कश्मीरी युवाओं के दिल में जिंदा है देशभक्ति की लौ, पढ़िए पूरी खबर
कश्मीर में अलगाववाद का जहर घोलने की चाहे जितनी कोशिश की गई हो पर वहां के युवाओं के दिलों में देशभक्ति की लौ जिंदा है।
देहरादून, सुकांत ममगाईं। कश्मीर में अलगाववाद का जहर घोलने की चाहे जितनी कोशिश की गई हो, पर वहां के युवाओं के दिलों में देशभक्ति की लौ जिंदा है। वह न सिर्फ खुद को भारत का अभिन्न मानते हैं बल्कि देश की आन, बान और शान की खातिर न्यौछावर करने को भी तत्पर हैं।
यही कारण है पासिंग आउट परेड में अंतिम पग भर जम्मू-कश्मीर के छह युवा अफसर देश की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। उन्होंने धारा के विपरीत अपना अलग मुकाम बनाया है। उनके लिए राष्ट्रीयता का भाव सबसे ऊपर है।
जम्मू कश्मीर के बांदीपोरा के शाहिद शाह भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं। यह मुकाम उन्होंने एसीसी के माध्यम से पाया है। उनके पिता शकील शाह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में अधिकारी थे। मां जवादा बेगम गृहणी हैं। बहन शबनम शफी अभी पढ़ाई कर रही हैं। माता-पिता की शुरू से हसरत थी कि बेटा सेना का हिस्सा बने।
शाहिद कहते हैं कि भारत नायाब मुल्क है। यहां पर सभी धर्म व जातियों-बिरादरियों के लोग रहते हैं। कश्मीर के साथ ही भारत विविधता से भरा मुल्क है। यह एक सुंदर बाग की तरह है। उन्हें हिंदुस्तानी व सेना का अफसर होने का फख्र है।
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भारतीय सैन्य अकादमी में उन्हें एक अच्छा इंसान व आदर्श सेना अधिकारी बनने की ट्रेनिंग मिली। उन्हें अलहिंद का शहरी होने का इकबाल है। वह कहते हैं कि आइएमए में पूरी तरह से सेक्युलरिच्म वाला माहौल है। यहां पर किसी की बिरादरी और मजहब धर्म को लेकर बात नहीं की जाती। सभी धर्मों की इज्जत और आदर होता है। कश्मीर के युवाओं को उनका संदेश है कि मन में कट्टरवाद का जहर नहीं, देशभक्ति की मशाल जलाएं, क्योंकि आतंक और अलगाववाद से कुछ भी हासिल नहीं होगा।
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