IMA Passing Out Parade: भारतीय सेना को मिले 306 युवा जांबाज अधिकारी, रक्षा मंत्री ने ली परेड की सलामी
भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में अभेद सुरक्षा के बीच हुई पासिंग आउट परेड के बाद भारतीय सेना को 306 युवा जांबाज अधिकारी मिल गए।
देहरादून, जेएनएन। भारत माता तेरी कसम, तेरे रक्षक बनेंगे हम। आइएमए गीत पर कदमताल करते जेंटलमैन कैडेट ड्रिल स्क्वायर पहुंचे, तो लगा कि कोई विशाल सागर उमड़ आया है। एक साथ उठते कदम और गर्व से तने सीने दर्शक दीर्घा में बैठे हरे शख्स के भीतर ऊर्जा का संचार कर रहे थे।
शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में अंतिम पग भरते ही 306 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। इसके साथ ही 71 विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परेड की सलामी ली। उन्होंने कहा कि पासिंग आउट परेड का रिव्यू करते मुझे बेहद खुशी हो रही है। क्योंकि आज भारतीय सेना की गौरवशाली परम्परा की नयी कड़ी को जुड़ते हुए मैं प्रत्यक्ष देख रहा हूं। अपने नपे तुले और सधे कदमों से कदमताल करते कैडेटों में सुरक्षित और सुनहरे भारती की तस्वीर दिख रही है।
सुबह 08 बजकर 45 मिनट पर मार्कर्स कॉल के साथ परेड का आगाज हुआ। कंपनी सार्जेंट मेजर रोनिश कुमार, हर्षित मिश्रा, संजय सिंह, शिवकुमार सारंग, मंजिल राय, विश्वन काटल, सबा उमा महेश व सत्यम पंत ने ड्रिल स्क्वायर पर अपनी-अपनी जगह ली। 8 बजकर 50 मिनट पर एडवास कॉल के साथ ही छाती ताने देश के भावी कर्णधार असीम हिम्मत और हौसले के साथ कदम बढ़ाते परिमल पराशर के नेतृत्व में परेड के लिए पहुंचे। परेड कमांडर विनय विलास गरड़ ने ड्रिल स्क्वायर पर जगह ली। कैडेट्स ने शानदार मार्चपास्ट से दर्शक दीर्घा में बैठे हर शख्स को मंत्रमुग्ध किया।
इधर, युवा सैन्य अधिकारी अंतिम पग भर रहे थे, तो आसमान से हेलीकाप्टरों के जरिए उन पर पुष्प वर्षा हो रही थी। रक्षा मंत्री ने कैडेटों को ओवरऑल बेस्ट परफारमेंस व अन्य उत्कृष्ट सम्मान से नवाजा। उन्होंने कहा इस पूरी ड्रिल में कैडेटों की मेहनत व लगन के साथ ही प्रशिक्षण का प्रतिबिंब भी साफ-साफ दिख रहा है। कदम से कदम और कंधे से कंधा मिलाकर चलने की यह काबिलियत किसी बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होती है। यही काबिलियत हमारी सशस्त्र सेनाओं को मजबूत भी बनाती है।
भारतीय सैन्य अकादमी, भारत की उस शौर्य परम्परा से जुड़ी हुई है जिसने हमें देश और समाज के मान-सम्मान व स्वाभिमान के लिए मरते दम तक बलिदान देने की प्रेरणा दी है। कैडेटों से कहा कि जितना गर्व आपको अपनी वर्दी पर है उतना ही गर्व उन माता-पिता को भी है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने कलेजे के टुकड़े को समर्पित कर दिया। इसलिए यह दिन आपके परिवार के लिए भी खास है। क्योंकि उन्हें आज यह गौरव मिला है जिसका सपना उनकी आंखों में वर्षों से पल रहा था। रक्षा मंत्री ने सभी अभिभावकों का आभार जताया कि उन्होंने अपने बच्चे देश की हिफाजत के लिए भारतीय सेना को सौंप दिए हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सेना से जुड़ने का मतलब होता है अक्साई चिन से अरुणाचल तक और कश्मीर से कच्छ तक, जो शौर्य गाथाएं लिखी गई हैं उनके साथ जुड़ जाना। कहा कि ये स्थान भारत के नक्शे पर लगे निशान भर नहीं हैं बल्कि यह पूरा हिस्सा भारतीय सेना के पराक्रम व बलिदान का स्मारक भी है। यह अवसर उन सैनिकों को याद करने का भी है जिन्होंने अपनी सेवा, त्याग व बलिदान से पराक्रमी सैन्य परम्परा का निर्माण किया है। आप जब इस परम्परा से जुड़ रहे हैं तो इसका अनुकरण करना है और अनुसरण भी। इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, कमाडेंट ले जनरल एसके झा, डिप्टी कमान्डेंट मेजर जनरल गुलाब सिंह रावत सहित कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी व सेवानिवृत्त अधिकारी मौजूद रहे।
इन्हें मिले सम्मान
- स्वार्ड ऑफ ऑनर व स्वर्ण पदक-विनय विलास गरड़।
- रजत पदक-पीकेंद्र सिंह।
- रजत पदक (टीजी)-शिवराज सिंह।
- कांस्य पदक-ध्रुव मेहला।
- सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट- कुएंजंग वांगचुक भूटान।
- चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बैनर-केरन कंपनी।
आइएमए से पासआउट होने वाले कैडेटों का राज्यवार आंकड़ा
- प्रदेश-कैडेट
- उत्तरप्रदेश-56
- हरियाणा-39
- बिहार-24
- राजस्थान-21
- उत्तराखंड-19
- हिमाचल प्रदेश-18
- महाराष्ट्र-19
- दिल्ली-16
- पंजाब-11
- मध्य-प्रदेश-10
- केरल-10
- तमिलनाडु-09
- जम्मू-कश्मीर-06
- कर्नाटक-07
- पश्चिम बंगाल-06
- आंध्र प्रदेश-06
- तेलंगाना-05
- मणिपुर-04
- झारखंड-04
- चंडीगढ़-04
- गुजरात-04
- असम-02
- उड़ीसा-01
- मिजोरम-01
- सिक्किम-01
(दो कैडेट नेपाल के)
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