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India New CDS: उत्‍तराखंड के पौड़ी के रहने वाले है सीडीएस अनिल चौहान, पांच साल पहले परिवार सहित आए थे गांव

India New CDS नवनियुक्त सीडीएस ले. जनरल अनिल चौहान (से नि) उत्‍तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले हैं। पांच वर्ष पहले अनिल चौहान परिवार सहित गांव आए थे। यह नृसिंह देवता की पूजा में शामिल हुए थे।

By JagranEdited By: Sunil NegiPublished: Thu, 29 Sep 2022 12:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 12:00 AM (IST)
India New Chief Of Defence Staff सीडीएस अनिल चौहान (सेनि) मूलरूप से उत्‍तराखंड के पौड़ी जिले के निवासी हैं।

जागरण संवाददता, देहरादून। India New Chief Of Defence Staff नवनियुक्त सीडीएस ले. जनरल अनिल चौहान (सेनि) मूलरूप से उत्‍तराखंड के पौड़ी जिले के खिर्सू ब्लाक के ग्रामसभा रामपुर कांडा गंवाणा निवासी हैं। उनके चचेरे भाई दर्शन सिंह चौहान ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व ले. जनरल अनिल चौहान (सेनि) परिवार सहित गांव आए थे। वह यहां नृसिंह देवता की पूजा में शामिल हुए। वह उसी दिन शाम को लौट गए थे।

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भाई ने रखा गांव के लिए विशेष भोज

उनके चचेरे भाई दर्शन सिंह चौहान ने कहा कि ले. जनरल अनिल चौहान (सेनि) के सीडीएस नियुक्त होने से गांव का हर व्यक्ति खुद को गौरान्वित महसूस कर रहा है। यह न केवल गांव, बल्कि राज्य के लिए भी गौरव का क्षण है। बताया कि उन्हें इसकी सूचना बुधवार रात करीब आठ बजे मिली। इसी खुशी में उन्होंने गुरुवार को गांव के लिए विशेष भोज भी रखा है।

गांव में खुशी की लहर

ले. जनरल अनिल चौहान (सेनि) के सीडीएस नियुक्त होने से उनके पैतृक गांव में खुशी की लहर है। ग्राम प्रधान ज्योति देवी ने बताया कि काफी पहले उनका परिवार दून में बस गया था, लेकिन गांव से उनका लगाव हमेशा रहा। यही वजह है कि उनके परिवार के सदस्य नियमित रूप से गांव आते रहे हैं। कहा कि नवनियुक्त सीडीएस राष्ट्र का गौरव हैं। उनकी इस पद पर नियुक्ति से न केवल गांव, बल्कि राज्य का भी मान बढ़ा है।

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मुखौटे एकत्र करने का शौक

ले जनरल अनिल चौहान (सेनि) एक कुशल सैन्य प्रशासक होने के साथ ही कला व संस्कृति से भी खास लगाव रखते है।उन्हें मुखौटे इक्ट्ठा करने का शौक है। शुरुआत में उन्हें दो-तीन मुखौटे नेपाल से मिले। ये विशुद्ध रूप से सजावट के लिए थे। वह अंगोला गए तो वहां कुछ और मुखौटे मिले। इनमे एकदम अलग संस्कृति का प्रतिबिंब था।

इससे उनकी रुचि बढ़ती गई। अब उनके संग्रह में देश-दुनिया के 160 से अधिक मुखौटे हैं। प्रत्येक मुखौटा एक अलग संस्कृति और इतिहास की झलक देता है।वहीं,यह संग्रह किसी व्यक्ति को एशिया से अफ्रीका, नागालैंड से लेह तक, देश-दुनिया की यात्रा करा देता है।

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