आतिथ्य सत्कार के नाम वन विकास निगम ने सरकारी खजाने में लगाई सेंध, तीन कार्मिकों के नाम आए सामने
उत्तराखंड वन विकास निगम के पूर्वी हल्द्वानी कार्यालय में आतिथ्य सत्कार के नाम पर फर्जी बिल बनाकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया गया। जांच में पता चला कि जिस होटल के नाम पर बिल लगाए गए, वह वास्तव में मौजूद ही नहीं है। इस मामले में तीन कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई है, और अन्य की भूमिका की जांच की जा रही है। शासन इस मामले में विजिलेंस जांच की अनुमति दे सकता है।

वन विकास निगम के पूर्वी हल्द्वानी कार्यालय के इस प्रकरण को लेकर शासन गंभीर. Concept Photo
राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। उत्तराखंड वन विकास निगम के पूर्वी हल्द्वानी स्थित कार्यालय में तैनात कार्मिकों ने आतिथ्य सत्कार के नाम पर फर्जी बिल बनाकर सरकारी खजाने में सेंध लगा डाली। शासन की ओर से कराई जांच में उस नाम का कोई होटल नहीं मिला, जिसके नाम के बिल लगाकर पैसा निकाला गया। अभी तक प्रकरण में तीन कार्मिकों की संलिप्तता की बात सामने आई है। अन्य के भी इसमें लिप्त होने के दृष्टिगत शासन ने निगम की प्रबंध निदेशक से ब्योरा मांगा है। सभी तथ्य सामने आने पर शासन इस प्रकरण की विजिलेंस जांच की अनुमति दे सकता है।
यह मामला तब खुला, जब सितंबर की शुरुआत में निगम के पूर्वी हल्द्वानी स्थित कार्यालय में आतिथ्य सत्कार के नाम पर फर्जी बिल से धन हड़पने की विजिलेंस से शिकायत हुई। विजिलेंस ने प्रकरण की जांच के दृष्टिगत शासन को पत्र भेजा। इसके साथ शिकायतकर्ता का शपथ पत्र भी शामिल था। इसमें शिकायत की गई कि वन विकास निगम के पूर्वी हल्द्वानी स्थित कार्यालय में तैनात कार्मिकों ने आपसी सांठगांठ कर कार्यालय में कर्टसी एवं रिफ्रेसमेंट समेत अन्य मदों में नेगी स्वीट्स एंड रेस्टोरेंट नाम से फर्जी रेस्टोरेंट के बिल लगाकर इसका भुगतान स्वयं प्राप्त किया।
शासन से जुड़े सूत्रों के अनुसार प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन नैनीातल से संबंधित रेस्टोरेंट की पुष्टि कराने की अपेक्षा की गई। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने बीती 30 सितंबर को शासन को भेजे पत्र में अवगत कराया कि हल्द्वानी में नेगी स्वीट्स एंड रेंस्टोरेंट नाम का कोई प्रतिष्ठान है ही नहीं। इससे शिकायकर्ता की शिकायत की पुष्टि हुई। साथ ही साफ हुआ कि सरकारी धन हड़पने के लिए धोखाधड़ी कर कूटरचित बिल तैयार कर इसके आधार पर गबन किया गया। प्रथम दृष्ट्या इसमें तीन कार्मिकों की संलिप्तता की बात सामने आई है।
सूत्रों के अनुसार अब प्रबंध निदेशक वन विकास निगम से पूछा गया है कि इस प्रकरण में संबंधित कार्यालय द्वारा बिलों का भुगतान किया गया है अथवा नहीं। साथ ही यह जानकारी उपलब्ध कराने को भी कहा गया है कि इस प्रकरण में तीन के अतिरिक्त अन्य किसी विभागीय कार्मिक की संलिप्तता तो नहीं है। इस संंबध में निगम प्रबंधन के जवाब की प्रतीक्षा की जा रही है।
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