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    देहरादून में फैल रहा सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों का 'जाल', इन इलाकों में Bulldozer Action की तैयारी

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 01:18 PM (IST)

    देहरादून में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों का जाल फैलता जा रहा है, जिससे शहर का विकास बाधित हो रहा है। राजस्व, वन विभाग, नगर निगम जैसी विभागों की भूमि पर अतिक्रमण बढ़ रहा है। जिला प्रशासन अब सख्त कार्रवाई की तैयारी में है, ताकि सरकारी जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त कराया जा सके और विकास परियोजनाओं को गति मिल सके।

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    जिला प्रशासन की ओर से अभियान की तैयारी के बाद सरकारी जमीनों के अतिक्रमणमुक्त होने की आस। आर्काइव

    अंकुर अग्रवाल, देहरादून। राजधानी में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण और अवैध कब्जों की स्थिति गंभीर होती जा रही है। शहर और आसपास के क्षेत्रों में पिछले एक दशक के दौरान राजस्व, वन विभाग, नगर निगम, सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग और विकास प्राधिकरण की भूमि पर अवैध निर्माण व अतिक्रमण तेजी से बढ़े हैं। नालों, नदी किनारों, सड़क किनारे और वनभूमि पर किए जा रहे कब्जों ने न केवल शहर के विकास को बाधित किया है, बल्कि पर्यावरण और नागरिक सुविधाओं पर भी दबाव बढ़ा दिया है।

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    दून में अतिक्रमण की समस्या अब शहर की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन गई है। रिस्पना और बिंदाल नदी किनारे फैली अनधिकृत बस्तियां, सहस्रधारा रोड पर तेजी से उगा कंक्रीट जंगल, मुख्य सड़कों पर पैदल चलने के लिए जगह तक नहीं… यह तस्वीर है देहरादून की। जहां सरकारी भूमि पर अतिक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। राजधानी होने के बावजूद शहर योजनाबद्ध विकास से भटकता दिखाई देता है व इसका सबसे बड़ा कारण सरकारी जमीनों का अवैध कब्जा बन चुका है। नदी के प्राकृतिक बहाव के बीच चिनाई की गई दीवारें, पक्की संरचनाएं और कई मंजिला इमारतें। बारिश में इन जगह पर पानी चढ़ने का खतरा हमेशा बना रहता है।

    मुख्य मार्गों पर फुटपाथ गायब हैं और दोनों ओर दुकानें और शेड्स, जिससे सड़क की चौड़ाई आधी रह गई। ट्रैफिक जाम आम बात हो चुकी है। बिना नक्शा स्वीकृति बनाए जा रहे बिल्डर फ्लोर, जेसीबी और सीमेंट मिक्सर मशीनें लगातार काम करती दून में दिखती हैं। वन भूमि पर बनी पार्किंग, ढाबे और गोदाम भी लगातार फैलते जा रहे। सरकारी जमीनें लूटकर कुछ लोग अमीर बन रहे हैं और आम जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे में जिला-प्रशासन अब कठोर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि सरकारी जमीनों पर कब्जा किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं होगा। कार्रवाई रिकार्ड आधारित होगी और किसी भी दबाव में नहीं रुकेगी। जिला प्रशासन की इस तैयारी से उम्मीद है कि सरकारी जमीन मुक्त होकर विकास परियोजनाएं तेजी से आगे बढ़ेंगी। अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि कार्रवाई कितनी व्यापक और प्रभावी साबित होती है।

    सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र

    • रिस्पना और बिंदाल नदी किनारा इलाका: अस्थायी और स्थायी निर्माण, अवैध प्लाटिंग
    • नेहरू कालोनी, पटेलनगर, दून हास्पिटल क्षेत्र व घंटाघर के आसपास: सड़क-फुटपाथ पर व्यापारिक कब्जे
    • सहस्रधारा रोड, रायपुर रोड, आइएसबीटी, हरिद्वार रोड क्षेत्र: बिना नक्शा स्वीकृति के बिल्डर प्रोजेक्ट
    • बालावाला, गोविंदगढ़, बद्रीपुर और शिवलोक कालोनी: राजस्व भूमि पर अवैध कालोनियां
    • रायपुर, मालदेवता, हरबर्टपुर, कालसी, डोईवाला आदि: वनभूमि पर निर्माण व व्यावसायिक उपयोग

    अवैध निर्माण व कब्जों के मुख्य कारण

    • तेजी से बढ़ती जनसंख्या और जमीन की मांग
    • जमीन व प्रापर्टी माफिया व राजनीतिक संरक्षण
    • कमजोर निगरानी और वर्षों तक कार्रवाई का अभाव
    • नियमों के बाहर बनी अनधिकृत कालोनियों का बेतहाशा विस्तार

    विकास कार्यों पर असर

    • अतिक्रमण के कारण परियोजनाएं हो रहीं बाधित
    • सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं अटकी हुई हैं
    • नाले और ड्रेनेज सिस्टम बाधित
    • आरक्षित पार्क और सामुदायिक भवन योजनाएं लटकीं
    • यातायात और आपदा प्रबंधन योजनाओं पर नकारात्मक असर

    हरबर्टपुर ईओ पर निलंबन की तलवार

    जिलाधिकारी की बैठक की सूचना के बाद हरबर्टपुर नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी (ईओ) को तहसील विकासनगर से समन्वय के लिए चिठ्ठी चलाने की याद आई। इस पर जिलाधिकारी ने उपस्थित अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि वह सभी चिठ्ठीबाजी से बाज आएं। ईओ हरबर्टपुर को चेतावनी दी गई कि अगर दो दिन में सरकारी संपत्ति से अतिक्रमण न हटाया गया तो उनके निलंबन की कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, क्षेत्र में तीन चिह्नित अतिक्रमण पर कार्रवाई की बात पर ईओ ने बताया कि 22 नवंबर को ही फोर्स उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजा गया है, जिस पर जिलाधिकारी का पारा चढ़ गया।

    दो दिन में अतिक्रमण पर रिपोर्ट देंगे अधिकारी

    जिलाधिकारी ने कहा कि अतिक्रमण न केवल सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा उत्पन्न करता है, बल्कि सार्वजनिक सुविधा और कानून-व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक विभाग अपनी परिसंपत्तियों का अद्यतन विवरण व अतिक्रमण की स्थिति रिपोर्ट दो दिन के भीतर जिला-प्रशासन को प्रस्तुत करे। जहां भी अतिक्रमण की पुष्टि होती है, वहां कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप ही नोटिस निर्गत कर निर्धारित समय-सीमा में कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

    अतिक्रमण हटाने के दौरान होगी वीडियोग्राफी

    जिलाधिकारी ने चेतावनी दी कि प्रगति न दिखाने वाले विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी और उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि कार्रवाई के दौरान वीडियोग्राफी, साइट मैपिंग, राजस्व रिकार्ड के मिलान एवं सुरक्षा-व्यवस्था जैसी प्रक्रियाएं अनिवार्य रूप से अपनाई जाएं, ताकि किसी प्रकार के विवाद की स्थिति न खड़ी हो। राजस्व विभाग, नगर निगम, विकास प्राधिकरण, सिंचाई विभाग, लोक निर्माण, वन एवं अन्य विभाग आपसी समन्वय के साथ संयुक्त अभियान चलाने को कहा गया।

    मसूरी में 99 में से महज 09 अतिक्रमण हटाए

    नगर पालिका परिषद मसूरी अन्तर्गत 99 चिह्नित अतिक्रमण हैं, जिसमें से महज नौ हटाए गए। जिलाधिकारी ने आनलाइन माध्यम से जुड़े उप जिलाधिकारी मसूरी से नाराजगी जताते हुए अधिशासी अधिकारी नगर पालिका से तत्काल कार्रवाई कराने को कहा। लोनिवि प्रांतीय खंड ने 125 में से 87, लोनिवि ऋषिकेश ने 274 में से महज 79, एनएच देहरादून ने चार में से दो, एनएच डोईवाला ने नौ में से सात, सिंचाई विभाग ने 315 में से 221, नगर निगम देहरादून ने 203 में से 194, तहसील सदर क्षेत्र में 54 में से 49, विकासनगर में 34 में से 20 और डोईवाला में 26 चिह्नित अतिक्रमण में से 19 हटा लिए गए हैं।

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