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चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं तो रखें दिल का विशेष ख्याल, इन बातों का रखें ध्यान

चारधाम यात्रा के लिए निकल रहे हैं तो दिल का विशेष ख्याल रखें। कमजोर दिल वालों के लिए तो यात्रा से परहेज बरतने में ही भलाई है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 04:38 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2019 08:40 PM (IST)
चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं तो रखें दिल का विशेष ख्याल, इन बातों का रखें ध्यान
चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं तो रखें दिल का विशेष ख्याल, इन बातों का रखें ध्यान

देहरादून, जेएनएन। आप उत्तराखंड हिमालय में चारधाम यात्रा के लिए निकल रहे हैं तो दिल का विशेष ख्याल रखें। कमजोर दिल वालों के लिए तो यात्रा से परहेज बरतने में ही भलाई है। कारण यह कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में होने के कारण चारधाम यात्रा मार्गों पर हृदय रोग से सर्वाधिक मौतें होती हैं। इस साल भी यह सिलसिला थमा नहीं है और सात मई से अब तक 50 यात्री चारों धाम में दम तोड़ चुके हैं। ऐसे में जरूरी है कि चारधाम यात्रा पर (खासकर केदारनाथ और यमुनोत्री) आने वाले श्रद्धालु अपनी सेहत, खासतौर पर दिल का ख्याल रखें, ताकि यात्रा बिना किसी व्यवधान के संपन्न हो सके। 

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चारधाम यात्रा रूट के अधिक ऊंचाई पर होने के कारण विभिन्न रोगों से ग्रसित यात्रियों की तबीयत बिगडऩे की आशंका बनी रहती है। कारण यह भी है कि अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में यात्रा करने से पहले तमाम एहतियाती कदम उठाए जाने जरूरी हैं। जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके झा का कहना है कि अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों, खासकर केदारनाथ में ऑक्सीजन की कमी और लगातार चढ़ाई में रक्तचाप अनियमित होने के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है। ऐसे में हृदय रोगियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

डॉ. झा के अनुसार इस बार केदारनाथ में अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। इससे यात्रा के दौरान अब तक 400 से अधिक ऐसे यात्रियों की जान बचाने में स्वास्थ्य विभाग ने सफलता हासिल की, जिनकी समय पर उपचार न मिलने से जान भी जा सकती थी। 

जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी के सीएमओ डॉ. डीपी जोशी का कहना है कि यात्री को अगर चढ़ाई चढ़ने में दिक्कत आ रही हो तो उसे जबरन आगे बढ़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। बेहतर होगा कि वह यात्रा ही स्थगित कर दें, क्योंकि किसी भी तरह का रिस्क जीवन पर भारी पड़ सकता है। 

इसके अलावा यात्रियों को दवाओं की इमरजेंसी किट भी साथ में रखनी चाहिए। खासकर शुगर, सीने में दर्द, हृदय रोग व ब्लड प्रेशर की शिकायत वाले यात्री दवाएं साथ ले जाना न भूलें। डॉ. जोशी बताते हैं कि वर्तमान में पूरे उत्तरकाशी जिले में सिर्फ जिला अस्पताल में ही फिजिशियन की तैनाती है, लेकिन वह इन दिनों अवकाश पर हैं। हृदय रोग विशेषज्ञ जिले में कहीं नहीं है। अलबत्ता, जानकीचट्टी, यमुनोत्री और गंगोत्री में चिकित्सक तैनात हैं और यात्रियों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। 

सबसे ज्यादा चुनौती केदारनाथ में 

समुद्रतल से 11654 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम में मौसम पल-पल बदलता रहता है। अधिक ऊंचाई पर होने के कारण यहां ऑक्सीजन का लेबल भी 60 प्रतिशत के आसपास है। इससे यहां यात्रियों को सिर दर्द, सांस लेने में परेशानी, दिल की धड़कन बढऩे व चक्कर आने की आशंका बनी रहती है। गौरीकुंड से भीमबली तक तो पेड़-पौधे होने के कारण वातावरण काफी अनुकूल है। लेकिन, इससे आगे हवा का दबाव बहुत कम रहता है, जिससे यात्रियों को ऐसी दिक्कत पेश आती हैं। 

यात्रियों को चिकित्सकों की सलाह 

-60 वर्ष या इससे अधिक उम्र के यात्री विभिन्न पड़ावों पर स्वास्थ्य परीक्षण जरूर कराएं। 

-पैदल की बजाय घोड़ा-खच्चर या पालकी का उपयोग करें। 

-यात्रा के बीच में कुछ देर के लिए आराम अवश्य करें। 

-पर्याप्त संख्या में गर्म कपड़े अपने पास रखें। 

-बर्फ व बारिश में भीगने से बचें। 

-हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह, श्वास के रोगी बिना डॉक्टर के परामर्श के यात्रा न करें। 

-न तो खाली पेट यात्रा करें, न तला हुआ भोजन ही लें। इससे गैस की समस्या हो सकती है। 

अब तक हृदयगति रुकने से मरे यात्री 

धाम, मृत यात्री 

बदरीनाथ, 03 

केदारनाथ, 32 

गंगोत्री, 05 

यमुनोत्री, 10 

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