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राज्य कर्मियों की चेतावनी, विभागों में 30 जून तक पदोन्नति नहीं तो होगा घेराव

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने 30 जून तक विभागों में पदोन्नति प्रक्रिया शुरू न होने पर विभागाध्यक्षों के घेराव की चेतावनी दी। साथ ही पुरानी पेंशन बहाली के आंदोलन को समर्थन दिया।

By Edited By: Published: Sat, 20 Jun 2020 02:59 AM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2020 10:44 AM (IST)
राज्य कर्मियों की चेतावनी, विभागों में 30 जून तक पदोन्नति नहीं तो होगा घेराव

देहरादून, जेएनएन। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने 30 जून तक विभागों में पदोन्नति प्रक्रिया शुरू न होने पर विभागाध्यक्षों के घेराव की चेतावनी दी है। परिषद के हाईपावर कमेटी की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि पुरानी पेंशन बहाली को लेकर चल रहे आंदोलन को समर्थन दिया जाएगा। जरूरत पड़ी तो बड़ा आंदोलन भी किया जाएगा।

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परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रहलाद सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य, पशुपालन, आयुर्वेद, होम्योपैथी, ग्राम्य विकास, पंचायती राज, जिला पंचायत आबकारी, अर्थ एवं संख्या, श्रम, वाणिज्य कर, खाद्य आपूर्ति, आरएफसी, तहसील, पर्यटन, मनोरंजन कर, रजिस्ट्रार स्टांप, खनन एवं भूतत्व खनिकर्म, कृषि, उद्यान, बाल विकास, रेशम, मंडी, आईटीआई, टाउन प्लान, वन, लघु सिंचाई, आरईएस व सूचना विभाग कई विभागों में पदोन्नति नहीं की गई है। 

इन विभागों में 30 जून तक पदोन्नति शुरू नहीं की गई तो एक जुलाई से विभागवार घेराव कर विरोध किया जाएगा। कार्यकारी अध्यक्ष नन्द किशोर त्रिपाठी ने कहा कि जन प्रतिनिधि एक के बजाय दो-दो पेंशन का लाभ ले रहे हैं, लेकिन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के लाभ से वंचित कर दिया गया है। 

परिषद पुरानी पेंशन बहाल करने के संदर्भ में संघर्ष समिति के 21 जून से प्रस्तावि आंदोलन का समर्थन करेगी। आवश्यकता पड़ने पर अपने कर्मचारियों को ब्लॉक, तहसील व जनपद स्तर पर लामबंद भी किया जाएगा। जिलाध्यक्ष चौधरी ओमवीर सिंह ने कहा कि वन विभाग, राजाजी पार्क और रिजर्व टाइगर में कर्मचारियों को छह माह से वेतन नहीं मिला। जिससे उनका परिवार भुखमरी की कगार पर है। 

मांग की है कि 1800, 1900, 2000 रुपये ग्रेड पे के अल्पवेतन भोगी जिनकी पदोन्नति के कोई अवसर नहीं हैं, उन्हें भी स्टांपिंग पैटर्न का लाभ दिया जाए। बैठक का संचालन करते हुए महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट ने अटल आयुष्मान योजना की कमेटी पर परिषद से वार्ता के विपरीत वादाखिलाफी करते हुए शासनादेश जारी करने का आरोप लगाया। 

कहा कि वार्ता में ओपीडी छूट व रेफरल की अनिवार्यता को समाप्त करने पर समझौता हुआ था, लेकिन इसके उलट शासनादेश जारी कर ओपीडी को कैसलैश नहीं किया गया और रेफरल की अनिवार्यता भी रखी गई। आरोप लगाया कि जहां ब्लॉक व तहसील स्तर के 5400 ग्रेड के अधिकारियों व कर्मचारियों से जो कटौती की जा रही है वही कटौती शासन में बैठे उच्च स्तर के अधिकारियों भी की जा रही जो आर्थिक सिद्धान्तों के विरूद्ध है।

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ऑनलाइन बैठक में अरुण पाण्डेय, गुड्डी मटूडा, राकेश प्रसाद ममगाई, रेणु लांबा, दिशा बडोनी, एसपी सेमवाल, सुनील देवली, हरेंद्र रावत, संदीप पाडेय, राम सलोने, अनिल बागा, इंद्र मोहन कोठारी, भोपाल सिंह व अन्य शामिल हुए।

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