पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन को कर्मचारी संगठनों ने दिया समर्थन
पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन मंच को प्रदेश के कई बड़े कर्मचारी संगठनों ने समर्थन दिया है। इस संबंध में संगठनों के पदाधिकारियों ने आंदोलन मंच को पत्र भेजा है।
देहरादून, जेएनएन। पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन मंच को प्रदेश के कई बड़े कर्मचारी संगठनों ने समर्थन दिया है। इसमें उत्तराखंड सचिवालय समीक्षा अधिकारी संघ, उत्तराखंड वैयक्तिक सहायक व अधिकारी महासंघ, उत्तरांचल (पर्वतीय) कर्मचारी शिक्षक संगठन, उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन, उत्तराखंड रेशम मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी महासंघ, उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच व प्रांतीय होम्योपैथिक चिकित्सा सेवा संघ शामिल हैं।
संगठनों के पदाधिकारियों ने आंदोलन मंच को भेजे पत्र में कहा है कि आंदोलन कर्मचारियों के हित से जुड़ा है, ऐसे में मंच के संघर्ष की हर गतिविधि में वह शामिल होंगे। ऐसे में अब बहाली की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे कर्मचारियों के आंदोलन को बल मिल गया।
श्रमकानूनों का सख्ती से पालन कराने की मांग
दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान कर्मचारी संघ, मसूरी ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। जिसमें दुकानों व वाणिज्य अधिष्ठानों, स्कूलों, होटल व रेस्तरां में कार्यरत कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान की मांग की गई है।
ज्ञापन में कहा गया है कि कई प्रतिष्ठानों की ओर से कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है, जबकि लॉकडाउन के कारण उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय बनी हुई है। उन्होंने मुख्यमंत्री से श्रमकानूनों का सख्ती से पालन करवाए जाने की मांग की है।
साथ ही पंजीकृत श्रमिकों को सरकार की ओर से तुरंत आर्थिक सहायता दिए जाने को भी कहा। ज्ञापन सौंपने वालों में संघ के महासचिव विक्रम बलूड़ी, बैशाख सिंह आदि शामिल थे।
केवि शिक्षकों ने मुख्य सचिव से की शिकायत
केंद्रीय विद्यालय प्रगतिशील शिक्षक संघ ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर केंद्रीय विद्यालय प्रबंधन पर शिक्षकों को अनिवार्य उपस्थिति के लिए बाध्य करने की शिकायत की है। शिक्षक संघ के अध्यक्ष संजीव राजपूत व सचिव राजेश कुमार राणा ने बताया कि उत्तराखंड के समस्त केंद्रीय विद्यालय में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद खुलने वाले हैं।
पहाड़ों में यह विद्यालय चार जून से खोल दिए गए हैं। विद्यालयों में छात्र-छात्रएं नहीं है। इसके बावजूद शिक्षकों को अनिवार्य रूप से विद्यालय आने के आदेश जारी किए गए हैं। कई शिक्षक राज्य से बाहर के हैं। यहां कोरोना संक्रमण की गति अभी बहुत अधिक है। शिक्षकों ने लॉकडाउन में छात्रों को ऑनलाइन विधि से पढ़ाया है।
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