Coronavirus: संक्रमण के बाद भी दिल्ली से कैसे आया बुजुर्ग दून Dehradun News
चमन विहार के कोरोना संक्रमित बुजुर्ग से जुड़ी गुत्थी स्वास्थ्य विभाग के लिए भी सुलझाना आसान नहीं होगा। इस मामले में राज्यों के बीच तालमेल की कमी दिखी।
देहरादून, जेएनएन। चमन विहार के कोरोना संक्रमित बुजुर्ग से जुड़ी गुत्थी स्वास्थ्य विभाग के लिए भी सुलझाना आसान नहीं होगा। इस मामले में न सिर्फ राज्यों के बीच तालमेल की कमी दिखी, बल्कि सवाल यह भी है कि बुजुर्ग संक्रमण की जद में कहां और कब आया। वहीं दिल्ली के अस्पताल ने पॉजिटिव आने के बाद भी भर्ती क्यों नहीं किया।
उत्तराखंड का स्वास्थ्य महकमा कह रहा है कि यह केस दिल्ली के रिकॉर्ड में दर्ज है। पर कोरोना संक्रमित व्यक्ति की जानकारी संबंधित राज्य के साथ शेयर क्यों नहीं की गई, यह खुद में बड़ा सवाल है। यह सिस्टम की बड़ी खामी है कि कोरोना संक्रमित एक व्यक्ति लॉकडाउन में दिल्ली से दून तक पहुंच गया। वह भी मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर कई लोगों की जान आफत में डाल कर।
जिला नेाडल अधिकारी डॉ. दिनेश चौहान ने बताया कि 65 वर्षीय यह व्यक्ति कैंसर से पीडि़त है। 28 अप्रैल को स्वजन उन्हें इलाज के लिए दिल्ली लेकर गए थे। वहां अपोलो अस्पताल ने भर्ती होने से पहले उसकी कोरोना जांच कराई गई। जिसमें वह कोरोना संक्रमित पाए गए। पर रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल ने उन्हें भर्ती नहीं किया।
इस पर 30 अप्रैल को वह देहरादून लौट आए। शनिवार को परिवार की ओर से आइडीएसपी सेल को सूचना दी गई। जिसके बाद एंबुलेंस भेजकर संक्रमित व्यक्ति व कोरोना संदिग्ध उनके बेटे को एम्स ऋषिकेश में भर्ती किया गया है। उनकी पत्नी और बेटी को दून अस्पताल के क्वारंटाइन वार्ड में भर्ती कराया गया है।
इसके अलावा घर की नौकरानी, दूध वाले और अन्य व्यक्ति को दून अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने बताया कि वृद्ध कोरोना संक्रमित कहां और कैसे हुए, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। वहीं संपर्क में आए लोगों का भी पता लगाया जा रहा है। अस्पताल में भर्ती कराए गए लोगों के सैंपल जांच को भेजे गए हैं। उनका कहना है कि व्यक्ति के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद उन्हें भर्ती करने से इन्कार कर अस्पताल ने केंद्रीय गाइडलाइन का उल्लंघन किया है।
क्या दिल्ली से आते छिपाई कोरोना हिस्ट्री?
डा. चौहान ने बताया कि दिल्ली में अस्पताल ने बुजुर्ग के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उन्हें भर्ती करने से इन्कार कर दिया। वहां से जब स्वजन उन्हें दून लाए तो क्या कोरोना संक्रमण की बात छिपाई गई? फिलहाल इस सवाल का भी जवाब नहीं मिला है।
यदि कोरोना की हिस्ट्री बताई जाती तो स्थानीय पुलिस-प्रशासन इन्हें किसी अन्य अस्पताल में भर्ती कराता। कहा जा रहा है कि इनके पास मेडिकल इमरजेंसी से संबंधित पास था, पर सवाल यह कि तकरीबन 250 किमी के सफर में परिवार क्यों इस पर चुप्पी साधे रहा। दिल्ली में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के बाद उनके स्तर पर क्यों लापरवाही बरती गई।
खुद दी सूचना या पड़ोसियों ने
स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के परिवार ने आइडीएसपी सेल को संपर्क किया था। पर दूसरी तरफ यह कहा जा रहा है कि परिवार के दिल्ली से लौटने के बाद से मोहल्ले के लोग दहशत में थे। उन्होंने शनिवार सुबह से ही पुलिस, प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग में फोन मिलाना शुरू कर दिया था। जिसके बाद दोपहर के बाद टीम यहां पहुंची।
जमातियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग बनी चुनौती
बीते दिनों हरिद्वार में मिले आठ जमातियों के संपर्क में आने वालों का पता लगाना पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। हालांकि पुलिस ने सभी जमातियों के मोबाइल नंबर की सीडीआर मंगा ली है, जिसकी बारीकी से छानबीन की जा रही है। साथ ही मस्जिद में उनके संपर्क में आये लोगों से भी पूछताछ की जा रही है।
बता दें, गुरुवार देर शाम हरिद्वार के बहादराबाद थाना पुलिस को सूचना मिली कि कुछ जमाती मगरूमपुर गांव की मस्जिद में छिपे हैं। जिस पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने मस्जिद में छापेमारी कर आठ जमातियों को पकड़ लिया। हालांकि एक जमाती मौके से फरार हो गया।
जांच में पाया गया कि सभी मगरूमपुर और मुस्तफाबाद निवासी हैं। जो 25 फरवरी को देहरादून के सहसपुर की एक जमात में शामिल हुए थे और 28 मार्च को हरिद्वार लौट गए थे। तभी से मस्जिद में छिपकर रह रहे थे। सभी के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं, लेकिन अभी जांच रिपोर्ट नहीं आई है।
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शनिवार तक फरार जमाती की तलाश में कई जगह पुलिस ने दबिश दी, लेकिन उसका अभी कुछ पता नहीं चला है। पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि हरिद्वार पुलिस कांटेक्ट ट्रेसिंग में लगी है। एसटीएफ उन्हें तकनीकी मदद कर रही है।
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