इस दीपावली में मिट्टी के दीयों में 'रोशनी' लौटने की उम्मीद जगमगाई
इस दीपावली में मिट्टी के दीयों में 'रोशनी' की उम्मीद जगमगाई है। इससे थोड़ी ही सही कुम्हारों के चेहरे पर मुस्कान तो आई। कुम्हार साधारण के साथ फैंसी दीये बनाने में जुटे हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: इस दीपावली में मिट्टी के दीयों में 'रोशनी' की उम्मीद जगमगाई है। इससे थोड़ी ही सही कुम्हारों के चेहरे पर मुस्कान तो आई। इसका कारण है चाइनीज आइटमों के बहिष्कार को लेकर चल रही मुहिम। अभी बिक्री में बहुत ज्यादा तो नहीं हो रही, पर पिछले सालों के मुकाबले थोड़ी अधिक है। इसीलिए कुम्हार साधारण के साथ फैंसी दीये बनाने में जुटे हैं।
दीपावली की रौनक बिना दीयों के अधूरी है। इसी रौनक के भरोसे दीये बनाने वाले कुम्हार बेसब्री से दीपावली का इंतजार तो करते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से चाइनीज लड़ियों, दीयों और झल्लरों ने उनकी दीपावली फीकी ही की है। हर बार कलाकार एक महीने पहले ही काम में जुट जाते हैं, लेकिन हमेशा हर बार निराशा ही हाथ लगती है।
पढ़ें- बाजारों में बिखरी दीपावली की रौनक, चाइनिज उत्पाद से मुंह फेरा
लेकिन, उड़ी आतंकी हमले और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चीन का पाकिस्तान के साथ होने से लोगों में चाइनीज आइटमों के खिलाफ आक्रोश है। सोशल मीडिया समेत हर माध्यम से चीनी सामान का विरोध हो रहा है।
पूजा प्रजापति बताती हैं कि इस बार तो लोगों को आकर्षित करने के लिए रंग-बिरंगे दीयों के साथ आकर्षक मंदिर भी बनाए हैं, जिनकी कीमत भी कुछ ज्यादा नहीं। जबकि, मिट्टी का भाव काफी बढ़ गया है।
पढ़ें-उत्तराखंडः चमोली गढ़वाल के इस गांव में मनती है अनूठी दीपावली
आनंद प्रकाश कहते हैं कि बिक्री में बढ़ोत्तरी हुई है। उम्मीद है कि आने वाले एक-दो दिन में बिक्री बढ़ेगी। मिट्टी के दीयों को आकर्षक बनाने की कोशिश की है।
स्थानीय निवासी वंदना अग्रवाल का कहना है कि दीपावली का उल्लास दीयों से दोगुना हो जाता है। जब आकर्षक दीये उपलब्ध हैं तो क्यों चाइनीज आइटम खरीदें। इस बार स्वदेशी उत्पादों से दीपावली मनाएंगे।
पढ़ें: दीपावली आते ही दून में शुरू हो गया मिलावट का जहर
दीयों के दाम
साधारण दीये: 1 रुपया
बड़े दीये: दो से तीन रुपये
फैंसी दीये: तीन से पांच रुपये
मिट्टी के मंदिर: 50 से 200 रुपये
रंगीन दीयों से तेल की कम खपत
रंगीन दीये के दो फायदे हैं। एक तो यह आकर्षक दिखते हैं, दूसरा इसमें तेल की खपत भी कम होती है। क्योंकि, रंग लगने के बाद मिट्टी के दीये तेल को सोखते नहीं हैं।
पढ़ें: उत्तराखंड में जल्द लगेगा विदेशी पटाखों पर प्रतिबंध
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।