All Weather Road: सड़क की चौड़ाई पर हाई पावर कमेटी एक राय नहीं
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष समेत चार लोगों और कमेटी के अन्य 21 सदस्यों में सड़क की चौड़ाई के मानक को लेकर मत भिन्नता है।
देहरादून, सुमन सेमवाल। All Weather Road करीब 826 किलोमीटर लंबी चारधाम राजमार्ग परियोजना (ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट) के निर्माण से पर्यावरणीय व सामाजिक प्रभाव की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जा चुकी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष समेत चार लोगों और कमेटी के अन्य 21 सदस्यों में सड़क की चौड़ाई के मानक को लेकर मत भिन्नता है। इतना जरूर है कि राजमार्ग परियोजना के तहत किए जा रहे कटान से उपजे खतरे को लेकर सभी सदस्यों ने एकमत होकर आगाह किया है। इतना ही नहीं, सभी मानकों का शत प्रतिशत पालन करने का सुझाव भी दिया है। सड़क की चौड़ाई पर एकराय न बनने पर कमेटी ने बाकायदा वोटिंग प्रक्रिया अपनाई।
हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष प्रो. रवि चोपड़ा का कहना है कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रलय के वर्ष 2018 के सकरुलर में स्पष्ट किया गया है कि प्रतिदिन 8000 पैसेंजर कार यूनिट (पीसीयू) तक के दबाव वाली सड़कों की चौड़ाई इंटरमीडिएट/डबल लेन के हिसाब से तय की जाएगी। चारधाम राजमार्ग पर अगले कई सालों तक भी 8000 पीसीयू तक के आसपास भी वाहनों का दबाव नहीं रहेगा।
लिहाजा, इसी के अनुरूप परियोजना में सड़क की चौड़ाई कार सरफेस के हिसाब से 5.50 से सात मीटर होनी चाहिए। सड़क की चौड़ाई बढ़ने पर अधिक पेड़ कटेंगे व भूस्खलन के नए जोन भी अस्तित्व में आने की आशंका बनी रहेगी। इसके विपरीत कमेटी के 21 अन्य सदस्यों ने डबल लेन पेव्ड शोल्डर के हिसाब से सड़क की चौड़ाई 10 से 12 मीटर करने की संस्तुति की है।
कमेटी में सामाजिक प्रभाव के आकलन के विशेषज्ञ के रूप में शामिल डॉ. हेमंत ध्यानी का कहना है कि राजमार्ग मंत्रलय के वर्ष 2018 के सकरुलर को कमेटी के अधिकतर सदस्यों के सामने रखा ही नहीं गया। उनकी यह भी शिकायत है कि कमेटी में अधिकतर सदस्य सरकारी एजेंसियों से होने की वजह से परियोजना के डिजाइन में किसी भी तरह का बदलाव किए बिना इसे मंजूरी दिलाने पर जोर दिया जा रहा है।
उधर, सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के पक्षधर 21 सदस्यों में शामिल भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के प्रधान विज्ञानी डॉ. धर्मवीर सिंह का कहना है कि चारधाम राजमार्ग परियोजना का धार्मिक व सामरिक महत्व भी है। इस बात को समझे जाने की जरूरत है। इन्हीं पहलुओं के मद्देनजर अधिकतर सदस्यों ने सड़क की चौड़ाई को डबल लेन पेव्ड शोल्डर के हिसाब से रखने का सुझाव दिया है। बेशक सड़क के चौड़ीकरण व सुधारीकरण के कायरें से पहाड़ कच्चे हो रहे हैं और डंपिंग यार्ड से भी खतरा उत्पन्न हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में सौंपी जा चुकी रिपोर्ट, अध्यक्ष समेत चार सदस्यों से जुदा है 21 अन्य सदस्यों की राय
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इन पर पूरी समिति एक राय
- 700 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि का भूपयोग बदल चुका है। इस क्षति की पूर्ति के लिए ठोस उपाय जरूरी हैं।
- 176 भूस्खलन जोन परियोजना क्षेत्र में हैं। इनके समाधान के लिए सुझाई गई वैज्ञानिक विधि पर शत प्रतिशत काम जरूरी है।
- पहाड़ कटान से निकले मलबे को डंप करने के लिए बनाए गए डंपिंग यार्ड की मजबूती जरूरी है। ऐसे स्थलों पर उचित वनीकरण कर जमीन की क्षमता को प्राकृतिक बनाया जाए।
- सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के लिए पहाड़ों का कटान इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों के अनुरूप किया जाए।
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