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    उत्तराखंड में अब रफ्तार पकड़ेगी भांग की खेती, सशक्त होगी किसानों की आर्थिकी; खुलेंगे निवेश के रास्ते

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Thu, 17 Dec 2020 10:39 PM (IST)

    संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा औषधीय उपयोग के लिए भांग (हैंप) को मान्यता दिए जाने के बाद अब उत्तराखंड में इसकी खेती रफ्तार पकड़ने लगेगी। इस कड़ी में नियम विनियम व उपनियम बनाने की कवायद शुरू हो गई है।

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    उत्तराखंड में अब रफ्तार पकड़ेगी भांग की खेती।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा औषधीय उपयोग के लिए भांग (हैंप) को मान्यता दिए जाने के बाद अब उत्तराखंड में इसकी खेती रफ्तार पकड़ेगी। इस कड़ी में नियम, विनियम व उपनियम बनाने की कवायद शुरू हो गई है। प्रयास है कि प्रदेश में बंजर पड़ी भूमि के अलावा पॉलीहाउस में भांग की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाए। माना जा रहा है कि इससे जहां किसानों की आर्थिकी सशक्त होगी, वहीं राज्य में दवा कंपनियों के आने से निवेश के रास्ते खुलेंगे। साथ ही रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

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    उत्तराखंड में वर्ष 2016 में भांग की खेती को बढ़ावा देने के लिए नीति बनाई गई थी, जो विभिन्न कारणों से धरातल पर आकार नहीं ले पाई। इस बीच वैश्विक स्तर पर औषधीय उपयोग के लिए हैंप की मांग आने लगी तो राज्य की मौजूदा सरकार ने भी इस दिशा में प्रयास शुरू किए। इसके तहत इंडस्ट्रियल हैंप को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया। इस सिलसिले में सगंध पौधा केंद्र (कैप) के निदेशक डॉ. नृपेंद्र चौहान को स्टेट नोडल अधिकारी (हैंप) की जिम्मेदारी सौंपी। साथ ही राज्य में भांग की खेती, इसका मैकेनिज्म, इससे लाभ समेत विभिन्न पहलुओं का आकलन किया गया। 

    अब भांग की खेती को नियंत्रित स्थिति में कराने की रणनीति बनाई जा रही है। बीते रोज ही कृषि एवं उद्यान मंत्री ने इस संबंध में नियम, विनियम व उपनियम बनाने के लिए कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।स्टेट नोडल अधिकारी (हैंप) डॉ. चौहान के अनुसार इस बीच संयुक्त राष्ट्र संघ ने भांग के औषधीय उपयोग के लिए मान्यता दी है। बताया कि अभी तक यूनानी व आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में दवा के तौर पर भांग का इस्तेमाल हो रहा था, लेकिन एलोपैथ में इसकी इजाजत नहीं थी। अब संयुक्त राष्ट्र संघ से मान्यता मिलने के बाद एलोपैथ में भी इसका इस्तेमाल हो सकेगा। जाहिर है कि मेडिकल व्यवसाय के क्षेत्र में नए अवसर सृजित होंगे।

    चौहान ने बताया कि अब राज्य में भी विधिक रूप से भांग की खेती को बढ़ावा देने की रणनीति तय की जा रही है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में इस पर फोकस रहेगा और इसमें भी वह भूमि उपयोग में लाई जाएगी, जो बंजर पड़ी है। इसके अलावा पॉलीहाउस में कंट्रोल कंडीशन में भांग की खेती हो सकेगी। बताया कि भांग का उपयोग केवल औषधीय निर्माण में हो, इसके लिए अन्य विभागों के सहयोग से विशेष निगरानी व्यवस्था अमल में लाई जाएगी।

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