टूर-ट्रैवल ऑपरेटर्स पर जीएसटी की ताबड़तोड़ छापेमारी, पढ़िए पूरी खबर
स्टेट जीएसटी ने ऋषिकेश और हरिद्वार के नौ बड़े टूर एंड ट्रैवल ऑपरेटर पर छापेमारी की। टीम ने एक साथ ऑपरेटरों पर कार्रवाई शुरू करते हुए बड़ी संख्या में आय-व्यय के रिकॉर्ड कब्जे में ल
देहरादून, जेएनएन। राज्य माल और सेवा कर विभाग (स्टेट जीएसटी) ने ऋषिकेश और हरिद्वार के नौ बड़े टूर एंड ट्रैवल ऑपरेटर पर छापेमारी की। 40 अधिकारियों की टीम ने एक साथ ऑपरेटरों पर कार्रवाई शुरू करते हुए बड़ी संख्या में आय-व्यय के रिकॉर्ड कब्जे में लिए। प्रारंभिक जांच में ही करोड़ों रुपये के टर्नओवर छुपाने की बात सामने आई है।
गुरुवार को आयुक्त राज्य कर व अपर आयुक्त राकेश टंडन के निर्देश पर गठित टीम ने संयुक्त आयुक्त (एसटीएफ) एनसी जोशी के नेतृत्व में छापेमारी की। इनमें चार ऑपरेटर ऋषिकेश के हैं, जबकि पांच हरिद्वार के। अपर आयुक्त राकेश टंडन ने बताया कि प्रारंभिक जांच में ही पता चला है कि ऑपरेटर ने करोड़ों रुपये का कारोबार किया, मगर उसके अनुरूप आय को रिटर्न का हिस्सा नहीं बनाया। जिन आय-व्यय व टूर बुकिंग के रिकॉर्ड व में यह कच्चा चिठ्ठा दर्ज है, उन्हें कब्जे में लेकर जांच-पड़ताल शुरू कर दी गई है। शुक्रवार तक कुछ स्थिति स्पष्ट हो पाएगी और इसके बाद टर्नओवर के हिसाब से टैक्स व पेनाल्टी वसूल की जाएगी। अपर आयुक्त ने बताया कि कई और फर्म विभाग के राडार पर हैं और उन पर भी जल्द छापे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। छापा मारने वाली टीम में उपायुक्त संजीव सोलंकी, वीपी सिंह, रोशन लाल, वीर सिंह, पीपी शुक्ला, सहायक आयुक्त विनय पांडेय, संतोष सिंह, अवनीश पांडेय आदि शामिल रहे।
यात्रा शीट से पकड़ में आया ट्रैवल ऑपरेटरों का झूठ
टैक्स चोरी में लगे बड़े ट्रैवल ऑपरेटर का कच्चा चिठ्ठा खोलने के लिए जीएसटी के अधिकारियों ने छह माह पहले से कसरत शुरू कर दी थी। इसके लिए अधिकारियों ने परिवहन विभाग की यात्रा शीट का सहारा भी लिया।
विभाग को लंबे समय से सूचना मिल रही थी कि सर्विस सेक्टर के ये कारोबारी आय से कहीं कम रिटर्न दाखिल कर रहे हैं। इसका सच जानने के लिए उच्चाधिकारियों के निर्देश पर संयुक्त आयुक्त एनसी जोशी ने यात्रा शीट का दैनिक रिकॉर्ड मंगाना शुरू कर दिया। कुछ अन्य एजेंसी से भी चारधाम यात्रा की बुकिंग की जानकारी मांगी गई। इनका मिलान ट्रैवल ऑपरेटर्स के रिटर्न से किया गया। आंकड़े चौंकाने वाले थे, क्योंकि बुकिंग के अनुरूप या तो टैक्स नहीं भरा जा रहा था या उसका आंकड़ा ना के बराबर था। आंकड़ों को और पुख्ता करने के लिए अधिकारियों ने बुकिंग कराने वाले यात्रियों के नंबर लेकर उनको कॉल भी की। इससे और भी अधिक आश्चर्य भी बातें सामने आईं। यात्रियों ने बताया कि उनसे बड़ी राशि में किराया वसूल करने के बाद भी उन्हें बिल नहीं दिया गया। दूसरी तरफ अधिकतर मामलों में ट्रैवल एजेंटों ने नकद में ही किराया वसूल किया था। स्पष्ट था कि वह सुनियोजित तरीके से जीएसटी की चोरी कर रहे थे।
पुलिस ने किया उम्मीद से बढ़कर सहयोग
संयुक्त आयुक्त एनसी जोशी ने बताया कि गणेश उत्सव के तमाम कार्यक्रमों में पुलिस बल की अतिरिक्त तैनाती के बावजूद देहरादून व हरिद्वार के एसएसपी ने 30 पुलिस कार्मिकों की तैनाती की थी। इससे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में जाकर छापे की कार्रवाई करना आसान हो गया।
दून के कारोबारियों पर भी डीआरआइ का छापा
डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआइ) की देशभर में की गई छापेमारी की आंच दून व हरिद्वार तक भी पहुंची। डीआरआइ की देशव्यापी कार्रवाई के तहत देहरादून स्थित सेंट्रल जीएसटी की टीम के सहयोग से देहरादून व हरिद्वार में दो-दो कारोबारियों के प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की कार्रवाई की गई। इन कारोबारियों पर आइजीएसटी (इंटीग्रेटेड जीएसटी) का फर्जी ढंग से क्लेम प्राप्त करने का आरोप है।
छापे की यह कार्रवाई देहरादून में मातावाला बाग स्थित एमएन गुप्ता रीजेंसी, क्रॉस रोड स्थित शक्ति एंटरप्राइजेज पर की गई, जबकि हरिद्वार में एएस एंटरप्राइजेज व एपीके ऑटोमेटेड प्रा. लि. पर की गई। देहरादून के दोनों कारोबारी व हरिद्वार का एएस एंटरप्राइजेज रजनीगंधा तुलसी आदि का कारोबार करते हैं। सेंट्रल जीएसटी के सूत्रों ने बताया कि ये कारोबारी फर्जी ढंग से माल का एक्सपोर्ट करना दिखा रहे थे। जिसके माध्यम से करोड़ों रुपये का आइजीएसटी क्लेम लिया गया। वहीं, एपीके ऑटोमेटेड प्रा. लि. ब्रेक-शू का कारोबार करता है। यह फर्म भी अन्य की तरह फर्जी ढंग से आइजीएसटी क्लेम हड़प रही थी। छापे के दौरान चारों प्रतिष्ठानों से कारोबार संबंधी तमाम रिकॉर्ड कब्जे में लिए गए। बताया जा रहा है कि फर्जी क्लेम की यह राशि 50 से 100 करोड़ रुपये के बीच हो सकती है। अब इन प्रतिष्ठानों से रिकवरी की कार्रवाई शुरू की जाएगी और राजस्व क्षति पर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी की बात भी सामने आ रही है। छापे की कार्रवाई में उप निदेशक अमित भारद्वाज, अपर सहायक निदेशक अनुपम जोशी, आरएस राणा, शैलेंद्र शाह, शिखर शर्मा आदि शामिल रहे।
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जुलाई 2017 से चल रही थी जांच
सेंट्रल जीएसटी के सूत्रों ने बताया कि जिन कारोबारियों के प्रतिष्ठानों में छापा मारा गया, उन पर जुलाई 2017 से ही नजर थी। उनके आइजीएसटी क्लेम के हर एक प्रकरण की जांच-पड़ताल चल रही थी। जब यह पुख्ता हो गया कि बड़ी संख्या में देशभर में फर्में इस तरह फर्जी क्लेम हड़पकर राजस्व का चूना लगा रही हैं तो एकसाथ यहां के प्रतिष्ठानों पर भी कार्रवाई की गई।
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