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केंद्र के आदेश ने बढ़ाई उत्तराखंड सरकार की चुनौती, पढ़िए पूरी खबर

सीपीसीबी ने हाल ही में नदियों और आवासीय क्षेत्रों के समीप डेयरी और गोशाला न खोलने देने का फरमान जारी किया है।

By Edited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 09:00 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 08:40 PM (IST)
केंद्र के आदेश ने बढ़ाई उत्तराखंड सरकार की चुनौती, पढ़िए पूरी खबर
केंद्र के आदेश ने बढ़ाई उत्तराखंड सरकार की चुनौती, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। गाय, गंगा और गांव पर विशेष फोकस कर रही प्रदेश सरकार के प्रयासों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आदेश ने झटका दिया है। सीपीसीबी ने हाल ही में नदियों और आवासीय क्षेत्रों के समीप डेयरी और गोशाला न खोलने देने का फरमान जारी किया है। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार अब इस आदेश का विस्तृत अध्ययन कर रही है, जिससे सीपीसीबी के निर्देशों का अनुपालन किया जा सके और दूध के उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा सके। 

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प्रदेश सरकार का इस समय मुख्य फोकस लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने पर है। इसके लिए लोगों को डेयरी खोलने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। प्रदेश में इस समय अधिकांश डेयरी आवासीय क्षेत्रों या नदी के किनारे हैं। नदी के किनारे डेयरी खोलने पर गाय व भैंस के लिए पानी की कमी नहीं होती और इनका गोबर आदि भी नदी के जरिये निस्तारित कर दिया जाता है। पर्वतीय क्षेत्रों में डेयरी और गोशाला आबादी क्षेत्रों में ही हैं। 
इन्हें गांव से दूर बनाने पर जंगली जानवरों के शिकार होने का भय रहता है। इन परिस्थितियों में सीपीसीबी का आदेश सरकार की पशुपालन और दुग्ध उत्पादन के प्रयासों के सामने एक चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इस संबंध में डेयरी विकास राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि सीपीसीबी के आदेश का गहनता से अध्ययन किया जाएगा। सरकार दोनों सेक्टरों की चिंता करेगी। इस तरह की कार्ययोजना बनाई जाएगी, जिससे जल और वायु प्रदूषण न हो और डेयरी विकास को भी बढ़ावा दिया जा सके।
रोजगार और पशुधन प्रसार की रफ्तार पर पड़ेगा असर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मवेशियों के मलमूत्र से जल और वायु प्रदूषण होने और इसे लेकर देश भर में जारी किए गए दिशा-निर्देश से धर्मनगरी और आसपास कस्बों के डेयरी संचालक नाखुश हैं। उनका कहना है कि एक ओर सरकार पशुधन प्रसार पर जोर दे रही है। वहीं, दूसरी ओर इस तरह के निर्देश जारी कर रही है, जो किसी भी सूरत में जायज नहीं है। कहा कि कोरोना काल में पहले ही कारोबारी परेशान हैं अब सीपीसीबी के नये फरमान से उनकी मुश्किलें और बढ़ेगी। लालढांग के गैंडीखाता निवासी डेयरी संचालक मदनपाल सिंह चौहान ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गाय-भैंस के मलमूत्र से प्रदूषण फैलने को लेकर जारी निर्देश उनकी नजरों में पूरी तरह से गलत है। एक तरफ सरकार पशु पालन पर जोर दे रही है। 
दूसरी तरफ ऐसे आदेश जारी कर पशुपालकों का रोजगार समाप्त करने की दिशा में काम कर रही है। जगजीतपुर निवासी गोशाला संचालक जसवीर ने कहा कि गोवंशीय पशुओं मल-मूत्र से किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैलता है। अगर सीपीसीबी नदी किनारे या आवासीय क्षेत्रों में गोशाला, डेयरी नहीं खोलने के निर्देश जारी कर रही है तो गोशाला व डेयरी संचालकों के लिए अलग से इसके संचालन की व्यवस्था संबंधी दिशा-निर्देश भी जारी करें। इस आदेश को लेकर सरकार और संबंधित अधिकारियों को पुनर्विचार की जरूरत है। 
ज्वालापुर निवासी डेयरी संचालक गुलजार अहमद का कहना है कि नदी और आवासीय क्षेत्रों में अगर डेयरी नहीं चला पाएंगे तो इससे दिक्कतें तो खड़ी होंगी ही कारोबार भी चौपट हो जाएगा। यह आदेश एक तरह से पशुपालकों को बेरोजगार करने वाला है। वहीं ज्वालापुर क्षेत्र में ही डेयरी चलाने वाले कल्लू ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस आदेश को पशुपालकों का उत्पीड़न करने वाला आदेश बताया। डेयरी संचालकों ने कहा कि वह गोबर आदि का समुचित निस्तारण करते हैं। जैविक खाद के रूप में इसका प्रयोग किया जा रहा है।

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