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    उत्‍तराखंड में बजट खर्च को तय की डीएम की जवाबदेही

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    Updated: Thu, 16 Jul 2020 09:07 AM (IST)

    प्रदेश में बजट खर्च के लिए जिलाधिकारियों को जवाबदेह बना दिया गया है। योजनाओं के खर्च की हर महीने की 10 तारीख से पहले जिलेवार समीक्षा होगी।

    उत्‍तराखंड में बजट खर्च को तय की डीएम की जवाबदेही

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में बजट खर्च के लिए जिलाधिकारियों को जवाबदेह बना दिया गया है। जिला सेक्टर, राज्य सेक्टर, केंद्रपोषित और बाह्य सहायतित योजनाओं के खर्च की हर महीने की 10 तारीख से पहले जिलेवार समीक्षा होगी। इस खर्च का ब्योरा हर महीने मुख्य सचिव को अनिवार्य रूप से भेजा जाएगा। 

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    नियोजन प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन ने इस संबंध में जिलाधिकारियों को आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि केंद्रपोषित और बाह्य सहायतित परियोजनाओं के साथ ही राज्य वित्त पोषण से संचालित योजनाओं का पूरा लाभ पाने के लिए उनका नियमित अनुश्रवण जरूरी है। इसमें जिलाधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिला स्तर पर उक्त योजनाओं की हर महीने होने वाली समीक्षा में सभी संबंधित महकमों के सक्षम अधिकारियों की मौजूदगी अनिवार्य होनी चाहिए। 

    उन्होंने बताया कि बीते वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल सालाना बजट प्रविधान 51145.29 करोड़ में से महज 32984.15 करोड़ यानी 64.49 फीसद ही खर्च हो पाया। कुल बजट प्रविधान में से खर्च के लिए भी 37349.12 करोड़ स्वीकृत किए गए, लेकिन यह राशि भी पूरी खर्च नहीं हो पाई। इसमें से महज 88.31 फीसद खर्च हो पाया। केंद्रपोषित और बाह्य सहायतित परिायेजनाओं में स्वीकृत धनराशि की तुलना में क्रमश: 87.91 फीसद और 66.90 फीसद ही इस्तेमाल हो सका। जिलाधिकारियों को प्रति माह बजट की समीक्षा बैठक में विभिन्न योजनाओं के संचालन में पेश आ रही कठिनाइयों व समस्याओं से विभागीय सचिव और जिले के प्रभारी सचिव को भी अवगत कराने को कहा गया है। 

    उपनल के जरिये प्रवासियों को रोजगार देने की तैयारी

    प्रदेश सरकार अब कोरोना के कारण देशभर में हुए लॉकडाउन के बाद वापस आने वाले प्रवासियों को उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (उपनल) के जरिये भी रोजगार दिलाने की तैयारी कर रही है। अभी उपनल से केवल पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों को रोजगार दिया जाता है। अब इसके नियमों में बदलाव की तैयारी चल रही है।

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    पहले उपनल के जरिये पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के अलावा अन्य कुशल श्रमिकों की तैनाती की जाती थी। वर्ष 2016 में प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी कर इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया था। इसमें यह स्पष्ट किया गया था कि उपनल केवल पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को ही रोजगार उपलब्ध कराएगा। शेष प्रदेशवासियों के लिए अलग आउटसोर्सिग एजेंसी का गठन किया जाएगा। यह अलग बात है कि अभी तक कोई दूसरी आउटसोर्सिग एजेंसी बन नहीं पाई है। इस समय प्रदेश सरकार का फोकस कोरोना के कारण दूसरे प्रदेशों से लौटे प्रवासियों को रोजगार देने पर है। इनमें से बड़ी संख्या में कुशल लोग भी हैं।

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