पदोन्नति में आरक्षण पर सरकार गई सुप्रीम कोर्ट, पढ़िए पूरी खबर
सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दाखिल कर दी है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दाखिल कर दी है। सरकारी अधिवक्ताओं का प्रयास इस याचिका को पहले से ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर अन्य याचिकाओं से जोड़ने का है। इन याचिकाओं पर 18 नवंबर को सुनवाई होनी है। सरकार के इस कदम का जहां सामान्य वर्ग के कर्मचारियों ने स्वागत किया है तो वहीं आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों से इसमें रोष है।
प्रदेश में इस समय पदोन्नति में आरक्षण को लेकर कर्मचारी संगठनों में उबाल है। यह मामला इस समय सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इस बीच सरकार ने भी ज्ञानचंद बनाम शासन व अन्य के मामले में आए हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पदोन्नति में आरक्षण पर रोक लगाने संबंधी वर्ष 2012 में जारी शासनादेश को निरस्त करने का आदेश दिया था।
इस आदेश के जारी होने के बाद पदोन्नति में आरक्षण के मामलों के सुप्रीम कोर्ट में होने के चलते शासन ने फिलहाल डीपीसी की बैठकों और पदोन्नति पर रोक लगाई हुई है। कुछ समय पहले सरकार ने हाईकोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका वापस ले ली थी। इसके बाद अब सरकार हाईकोर्ट की डबल बैंच के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। उत्तराखंड की स्टैंडिंग काउंसिल वंशजा शुक्ला ने इसकी पुष्टि की है।
सरकार के इस कदम के बाद कर्मचारी संगठनों में मिश्रित प्रक्रिया है। एससी, एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने सरकार के इस कदम पर खासी नाराजगी जताई है। फेडरेशन के अध्यक्ष करम राम ने कहा कि यदि सरकार ने ऐसा किया है तो यह निंदनीय है। सरकार सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की बात कर रही है। यहां कर्मचारियों का विश्वास तोड़ा गया है। फेडरेशन 18 नवंबर को इस मामले में आने वाले फैसले के बाद रणनीति तय करेगा।
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वहीं, उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सामान्य और ओबीसी वर्ग के दर्द को समझा है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से सकारात्मक निर्णय आएगा और सेवानिवृत्ति के नजदीक खड़े कार्मिकों को इसका लाभ मिलेगा।
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