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खलंगा मेले में हुए गोर्खाली संस्कृति के दर्शन, जवानों ने किया खुखरी नृत्य

देहरादून के नालापानी स्थित सागरताल में 45वें खलंगा मेले का भव्य आयोजन किया गया। मेला परिसर में सांस्कृति कार्यक्रमों की धूम रही।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 09:04 AM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 09:04 AM (IST)
खलंगा मेले में हुए गोर्खाली संस्कृति के दर्शन, जवानों ने किया खुखरी नृत्य
खलंगा मेले में हुए गोर्खाली संस्कृति के दर्शन, जवानों ने किया खुखरी नृत्य

देहरादून, जेएनएन। खलंगा मेले में कलाकारों की प्रस्तुतियों ने खूब समा बांधा। रंगारंग प्रस्तुतियों ने गोर्खाली संस्कृति से रूबरू कराया, जबकि गोर्खा राइफल्स के जवानों ने खुखरी नृत्य से दर्शकों में जोश भरा।

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नालापानी स्थित सागरताल में 45वें खलंगा मेले का भव्य आयोजन किया गया। मेला परिसर में एक ओर जहां मंच पर सांस्कृति कार्यक्रमों की धूम थी तो दूसरी ओर सजीं खिलौनों व खाद्य पदार्थों की दुकानों पर लोगों का जमावड़ा लगा था। बच्चों और महिलाओं ने मेले में जमकर खरीददारी की। दूसरी ओर मंच पर एक के बाद कलाकारों की टोली लोक नृत्य की प्रस्तुतियां दे रही थी। इस दौरान सेना बैंड की प्रस्तुति भी शानदार रही।

गोर्खाली बच्चों ने 'तुलसी आंगन मा.., मेरा जीवन.., रेलई मा..' जैसे गीतों की प्रस्तुति से मन मोह लिया। 'मगर कौडिया' और फिर 'छल-छल छलकियो पानी..' आदि गीतों पर नृत्य प्रस्तुत कर कलाकारों ने खूब वाहवाही लूटी।

 

इससे पहले मेले के उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि विधायक गणेश जोशी समेत अन्य लोगों ने अंग्रेजों को युद्ध में नाकों चने चबवाने वाले गोर्खा फौज के सेनानायक बलभद्र और अन्य वीरों को भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान ले. जनरल शक्ति गुरुंग, ले. जनरल राम सिंह प्रधान, पदम सिंह थापा, जितेंद्र खत्री, बीनू गुरुंग, दीपक बोहरा, कर्नल बीएस क्षेत्री, पार्षद अभिषेक पंत, प्रभा शाह, पूजा सुब्बा, सीबी थापा, आनंद खड़का, उपसना थापा, संजीव थापा, जया क्षेत्री, संध्या थापा आदि उपस्थित रहे। इससे पहले सुबह खलंगा स्मारक सहस्रधारा रोड से नालापानी स्थित बलभद्र युद्ध स्मारक तक वीरता पदयात्रा निकाली गई।

खुखरी से दिया था तोप का जवाब

वर्ष 1814 में देहरादून में नालापानी के समीप खलंगा पहाड़ी पर महज 600 गोर्खा सैनिकों ने हजारों की तादाद वाली अंग्रेजी सेना को नाकों चने चबवा दिए थे। खलंगा स्थित किले को बचाने के लिए एक हजार से अधिक अंग्रेज सैनिकों को ढेर कर दिया था।

देहरादून स्थित खलंगा स्मारक अंग्रेजों के खिलाफ गोर्खा सैनिकों की बहादुरी की गाथा को बयां करता है। युद्ध में गोर्खा सैनिकों के पास हथियारों के नाम पर केवल खुखरियां थी, जबकि अंग्रेज फौज के पास बंदूक और तोप। युद्ध में गोर्खाली सेना का नेतृत्व कर रहे बलभद्र शहीद हो गए थे।

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पारंपरिक व्यंजनों का लिया जायका

मेले में पहुंचे लोगों ने पारंपरिक व्यंजनों का जायका लिया। मेले में मीठी सेल, सेल रोटी, मूली चटनी, फिनी रोटी आदि व्यंजन लोगों को खूब भाए। मेले में तपोवन, नालापानी, रायपुर सहित दूरदराज से भी लोग पहुंचे। बच्चों के लिए झूलों का इंतजाम भी किया गया था। साथ ही उत्तराखंडी उत्पादों के स्टॉल भी लगाए गए थे, जो लोगों को खूब भाए। 

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