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    यम की यातना से छुटकारे की चाहत में श्रद्धालु करते हैं मां यमुना की पूजा

    नवरात्र में यमुनोत्री धाम में मां यमुना की विशेष पूजा अर्चना होती है। आस्था है कि मां यमुना की पूजा से यम की यातना से छुटकारा मिल जाता है।

    By BhanuEdited By: Updated: Sat, 05 Oct 2019 08:57 PM (IST)
    यम की यातना से छुटकारे की चाहत में श्रद्धालु करते हैं मां यमुना की पूजा

    देहरादून, जेएनएन। नवरात्र में यमुनोत्री धाम में मां यमुना की विशेष पूजा अर्चना होती है। इन दिनों बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु मां यमुना का पूजन करने के लिए धाम आते हैं। इस दौरान यहां उत्सव का माहौल रहता है। धाम के कपाट बंद होने के बाद यमुना की उत्सव मूर्ति शीतकाल में छह माह के लिए यमुना के शीतकालीन प्रवास खरसाली में पहुंचती है। शारदीय नवरात्र ही एक ऐसा अवसर होता है जिसका अनुष्ठान यमुनोत्री धाम में होता है। चैत्र नवरात्र का अनुष्ठान यमुना के शीतकालीन पड़ाव खरसाली स्थिति यमुना मंदिर में होता है। आस्था है कि मां यमुना की पूजा से यम की यातना से छुटकारा मिल जाता है। 

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    मंदिर का इतिहास 

    यमुनोत्री धाम में मां यमुना साक्षात रूप में विराजती है। सूर्य पुत्री होने पर मां यमुना को सूर्य तनया तथा कालिंदी पर्वत से निकलने के कारण यमुना को कालिंदी के नाम से भी जाना जाता है। सबसे पहले जगतगुरु शंकराचार्य ने यमुना तीर्थ की खोज की थी। राजशाही के दौर में टिहरी नरेश ने मंदिर का निर्माण व पुनर्निर्माण करवाया। 1982 में मंदिर का नए तरीके से जीर्णोद्धार किया गया। 

    निर्माण की शैली

    पुराने समय में मां यमुना का मंदिर सामान्य स्थानीय भवन शैली से ही मेल खाता था। जिसे पत्थर के पठाल (पत्थर की स्लेट) और लकड़ी से बनाया गया था, लेकिन बाद में इसका पक्का निर्माण करवाया गया तथा मंदिर को शिखर शैली का रूप दिया गया।

    ये है आस्था 

    कलव कालिंदी केवलम, अर्थात कलियुग में कालिंदी (यमुना) की पूजा एवं आराधना को सर्वोपरि माना गया है। भक्ति स्वरूपा मां यमुना फल प्राप्ति की इच्छा पूरी करने वाली है। नमामि यमुना महं, सकल सिद्धी हेतु मुदा। अर्थात यमुना को प्रणाम करने मात्र से ही सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है। 

    नहीं पढ़ती शनि की वक्र दृष्टि 

    यमुनोत्री मंदिर समिति के एचिव एवं तीर्थ पुरोहित कीर्तेश्वर उनियाल के अनुसार, मां यमुना शनिदेव तथा यमराज की बहन हैं। जिस कारण यम तथा शनिदेव का यमुना को वरदान है कि यमुनोत्री में जो भी व्यक्ति स्नान करेगा तथा यमुना के दर्शन करेगा। उसे यम की यातना से मुक्ति मिलेगी तथा शनि की वक्र दृष्टि से भी छुटकारा मिलेगा।

    स्नान से होता है पापों का नाश 

    यमुनोत्री मंदिर समिति के उपाद्यक्ष एवं तीर्थ पुरोहित जगमोहन उनियाल के मुताबिक, यमुना में स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है। विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम में मां यमुना अपने भक्तों को मन इच्छित फल प्राप्ति का आशीर्वाद देती है। साथ ही रिद्धि-सिद्धि तथा इच्छित फल की प्राप्ति होती है। 

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    ऐसे पहुंचें मंदिर

    सड़क मार्ग से देहरादून से विकासनगर होते हुए 176 किमी व ऋषिकेश-धरासू होते हुए 246 किमी की दूरी तय कर यमुनोत्री धाम में पहुंचा जा सकता हैं। यमुनोत्री से पांच किलोमीटर पहले जानकी चट्टी सड़क मार्ग का अंतिम पड़ाव है। जहां से यमुनोत्री के लिए पैदल चलना पड़ता है। 

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