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तो दिव्यांग पेंशन के नाम पर हुआ था करोड़ों का फर्जीवाड़ा

समाज कल्याण विभाग में दिव्यांग पेंशन के नाम पर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ है। जांच में इसबात की पुष्टि भी हो गर्इ है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 12 Mar 2018 04:23 PM (IST)Updated: Mon, 12 Mar 2018 04:23 PM (IST)
तो दिव्यांग पेंशन के नाम पर हुआ था करोड़ों का फर्जीवाड़ा

देहरादून, [जेएनएन]: समाज कल्याण विभाग में दिव्यांग पेंशन के नाम पर करोड़ों रुपये के गड़बड़झाले की जांच पूरी हो गई है। इसमें भी 1927 दिव्यांग पेंशन का फर्जी आवंटन होने की पुष्टि हुई है। इस जांच रिपोर्ट के बाद विभाग की कार्यप्रणाली पर फिर सवाल खड़े हो गए हैं। इससे पहले विभाग की ओर से दिए गए तमाम तर्क भी जांच में झूठे साबित हुए और मिलीभगत से करोड़ों रुपये की धनराशि ठिकाने लगाए जाने की बात भी पुख्ता हो गई। तत्कालीन अपर सचिव समाज कल्याण मनोज चंद्रन ने भी मामले को गंभीर माना था। उन्होंने मामले पर विभाग की रिपोर्ट को भ्रामक बताते हुए प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए तीन सदस्यीय कमीशन गठित किया था। 

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दरअसल, अगस्त 2017 में सहकारिता सहायक विकास अधिकारी (कालसी) प्रेम कुमार की आरटीआइ में 1927 दिव्यांग पेंशन के फर्जी आवंटन का मामला उजागर हुआ था। इसमें पेंशन के दो या तीन बार भुगतान होने की बात सामने आई थी। इस पर तत्कालीन अपर सचिव समाज कल्याणमनोज चंद्रन ने चार सितंबर 2017 को सभी जिला समाज कल्याण अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की थी। संबंधित मामले में जिला समाज कल्याण अधिकारी देहरादून ने अपर सचिव को रिपोर्ट भेजी थी। जिसमें उक्त प्रकरण में किसी तरह की अनियमितता होने से इंकार किया गया था। 

तत्कालीन अपर सचिव मनोज चंद्रन ने विभागीय रिपोर्ट को अपूर्ण एवं भ्रामक ठहराते हुए प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमीशन गठित किया था। इसमें डॉ. डीएस रावत (सेवानिवृत्त), सहकारिता सहायक विकास अधिकारी प्रेम कुमार और वसंत कुमार थपलियाल शामिल थे। कमीशन की जांच में पाया गया कि 1927 दिव्यांग पेंशनों को दो या तीन बार भुगतान हुआ है। कमीशन के सदस्यों का कहना है कि इसमें करोड़ों रुपयों का गलत भुगतान किया गया है। अब कमीशन ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है, लेकिन अभी तक शासन ने जांच रिपोर्ट पर कदम नहीं उठाया है। 

विभाग ने कबूली थी डुप्लीकेसी 

जिला समाज कल्याण विभाग की ओर से तत्कालीन अपर सचिव को भेजी गई रिपोर्ट में बड़ी अनियमितताओं से तो साफ इंकार किया गया था, लेकिन 236 पेंशनर डुप्लीकेट पाए जाने की बात कबूली गई थी। जबकि कुछ मामलों में विभाग ने पात्र की ओर से खाता नंबर गलत दिए जाने या नहीं दिए जाने का तर्क दिया था। 

जांच कमीशन के सदस्य प्रेम कुमार ने बताया कि तत्कालीन अपर सचिव द्वारा गठित कमीशन ने उक्त प्रकरण की जांच कर ली है। इसमें 1927 लोगों को पेंशन का फर्जी तरीके से आवंटन किए जाने की पुष्टि हुई है। इसमें करोड़ों रुपयों की अनियमितताएं पाई गईं। जबकि इस मामले में विभागीय कार्मिकों की भूमिका भी  सवालों के घेरे में है। जांच के समय भी जिला समाज कल्याण विभाग ने कमीशन का जरा भी सहयोग नहीं किया। 

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