चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने शुरू किया आंदोलन, काली पट्टी बांधकर किया प्रदर्शन
चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ (चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाएं) ने लंबित मांगों को लेकर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है।
By Edited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 05:58 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 09:05 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ (चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सेवाएं) ने लंबित मांगों को लेकर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। इसके तहत प्रदेशभर के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने सोमवार को काली पट्टी बांधकर विरोध-प्रदर्शन किया। उन्होंने चेतावनी दी कि मांगों पर कार्रवाई न होने पर 24 सितंबर से वह बिना अन्न ग्रहण किए ड्यूटी करेंगे।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मनवर सिंह नेगी और महामंत्री दिनेश लखेड़ा ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मी कोरोनाकाल में अग्रिम मोर्चे पर रहकर बिना छुट्टी लिए ड्यूटी पर हैं। पर उनकी पदोन्नति लगभग पांच साल से लंबित है। जबकि अन्य सभी संवर्गों की पदोन्नति हो गई है। पशुपालन विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की तरह हाईस्कूल और इंटर पास कर्मचारियों को वेक्सीनेटर और लैब सहायक, डार्क रूम सहायक, ओटी सहायक की नियमावली में संशोधन करते हुए पदोन्नति की भी मांग की है।
इसके अलावा जोखिम भत्ता, वाहन चालकों और पुलिस विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की तरह एक माह का मानदेय, मरीजों के सपंर्क में रहने पर पौष्टिक आहार भत्ता, पदनाम परिवर्तन आदि की मांग भी उन्होंने की है। जिलाध्यक्ष नेलशन कुमार अरोड़ा ने बताया कि 12 सितंबर तक कर्मचारी काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। 14 से 17 सितंबर तक जिला स्तरीय अधिकारियों के माध्यम से स्वास्थ्य महानिदेशक, निदेशक आयुर्वेद, निदेशक होम्योपैथी और आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव को ज्ञापन भेजा जाएगा। 18 से 23 सितंबर तक कर्मचारी जनप्रतिनिधियों व मंत्रियों के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पीड़ा पहुंचाएंगे। यदि इसके बाद भी कोई ठोस कार्रवाई या वार्ता का न्योता नही दिया जाता तो कर्मचारी बिना अन्न ग्रहण किए ड्यूटी करेंगे।
कार्मिक अनुभाग की टिप्पणी में सुधार की मांग
उत्तराखंड पेयजल निगम एससी-एसटी इंप्लाइज एसोसिएशन ने कनिष्ठ अभियंताओं की वरिष्ठता सूची पर सरकार से लिए गए मार्गदर्शन में कार्मिक विभाग द्वारा की गई गलत टिप्पणी को हटाने की मांग की है। एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव सुनील कुमार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले का संज्ञान लेने और समस्या का निदान करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि पेयजल निगम में वर्ष 2004-05 में कनिष्ठ अभियंताओं की भर्ती हुई थी, उस समय सेवा नियमावली 1978 प्रभावी थी।
इसी सेवा नियमावली के नियम 6 के अनुसार साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने निगम को वरिष्टता निर्धारण करने के आदेश दिया थे। उन्होंने बताया कि निगम कार्मिक अनुभाग ने इसके पालन के लिए सरकार से मार्गदर्शन तो मांगा, लेकिन टिप्पणी सरकारी सेवक जेष्ठता नियमावली 2002 के आधार पर की। इससे कनिष्ठ अभियंताओं की वरिष्ठ था प्रभावित हो रही है। एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से कार्मिक विभाग द्वारा की गई इस गलती को सुधारने के लिए आदेश जारी करने की मांग की है।
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