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उत्तराखंड में जंगलों को आग से बचाने की अग्नि परीक्षा, दो हफ्ते में सामने आ चुकी हैं इतनी घटनाएं

जंगलों को आग से बचाने के लिए वन महकमे को अब अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरना होगा। तापमान बढ़ने के साथ ही जंगलों के सुलगने का क्रम शुरू हो गया है।

By Edited By: Published: Fri, 17 Apr 2020 06:38 PM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2020 09:08 PM (IST)
उत्तराखंड में जंगलों को आग से बचाने की अग्नि परीक्षा, दो हफ्ते में सामने आ चुकी हैं इतनी घटनाएं
उत्तराखंड में जंगलों को आग से बचाने की अग्नि परीक्षा, दो हफ्ते में सामने आ चुकी हैं इतनी घटनाएं

देहरादून, राज्य ब्यूरो। डेढ़ माह का वक्त सुकून में बिताने के बाद जंगलों को आग से बचाने के लिए वन महकमे को अब अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरना होगा। तापमान बढ़ने के साथ ही जंगलों के सुलगने का क्रम शुरू हो गया है और दो सप्ताह में ही वनों में आग की 16 घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जबकि बीते वर्ष अप्रैल में 26 घटनाएं हुई थीं। ऐसे में महकमे की पेशानी पर बल पड़ने लगे हैं। वजह ये कि आग के दृष्टिकोण से सबसे संवेदनशील समय शुरू हो गया है। हालांकि, आग से निबटने को विभाग की ओर से पूरी तैयारियों का दावा है। साथ ही कोरोना की रोकथाम में सहयोग दे रहे विभाग के 150 कर्मियों के साथ ही वाहनों को वापस लिया जा रहा है। 

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उत्तराखंड में इस बार 15 फरवरी को फायर सीजन शुरू होने के बाद से मौसम की मेहर बनी थी। निरंतर होती रही वर्षा और बर्फबारी का परिणाम रहा कि मार्च तक जंगलों में आग की घटनाएं सामने नहीं आई। अलबत्ता, चार अपै्रल को बागेश्वर की कपकोट रेंज में लगी आग और इसकी चपेट में आकर दो महिलाओं की मौत की घटना ने झकझोर कर रख दिया। इसके बाद से अब तक राज्यभर में आग की 16 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें 8.53 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। सर्वाधिक सात घटनाएं गढ़वाल रीजन में हुई हैं।
गत वर्ष अप्रैल में आग की 26 घटनाओं में 38.51 हेक्टेयर क्षेत्र झुलसा था। इस बार अप्रैल में अब तक 16 घटनाएं हो चुकी हैं। सूरतेहाल, महकमे की चिंता भी बढ़ने लगी है और वजह है लगातार उछाल भरता पारा। चिंता ये साल रही कि आने वाले दिनों में तापमान और बढ़ेगा, जिससे आग की घटनाओं में बढ़ोतरी हो सकती है। इसे देखते हुए महकमा ने अब आग से निबटने को तैयारियां तेज कर दी हैं। जमीनी फौज को तैनात करने के साथ ही ग्रामीणों से सहयोग लेने को भी कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
जंगल की आग (इस साल अब तक) 
रीजन, घटनाएं, प्रभावित क्षेत्र, क्षति 
गढ़वाल, 07, 4.15, 10425 
कुमाऊं, 05, 3.55, 10650 
वन्यजीव, 04, 0.83, 805 (नोट, प्रभावित क्षेत्र हेक्टेयर में, क्षति रुपये में) 
ये की गई व्यवस्था 
-1437 क्रूस्टेशन राज्यभर में बनाए गए 
-42 मास्टर कंट्रोल रूम स्थापित किए 
-2.21 लाख हे. क्षेत्र में कंट्रोल बर्निंग 
-4000 किमी फायर लाइन क्लीयर स्टाफ की तैनाती 
-489 आरओ और डिप्टी आरओ 
-1496 फॉरेस्टर 
-1519 फॉरेस्ट गार्ड 
-608 चौकीदार 
-6725 फायर वाचर 
27 हजार लोगों से संपर्क 
जंगलों की आग से रोकथाम के मद्देनजर जनजागरण की मुहिम भी वन महकमे ने शुरू की है। राज्य के नोडल अधिकारी वनाग्नि बीके गांगटे के अनुसार जिला स्तर पर बने फायर प्लान के तहत लोगों को जागरूक करने के साथ ही जंगल की आग पर नियंत्रण में सक्रिय भागीदारी की अपील की जा रही है। इस कड़ी में अब तक राज्यभर में 27000 लोगों से संपर्क किया जा चुका है। 

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