आठ माह में उत्तराखंड के वनों में 16 हजार से अधिक आग की घटनाएं
महाराष्ट्र के जंगलों में आग की सर्वाधिक घटनाएं देखने को मिलीं। इस मामले में उत्तराखंड का स्थान छठा रहा और यहां आठ माह में 16 हजार से अधिक बार आग की घटनाओं को रिकॉर्ड किया गया।
देहरादून, जेएनएन। देशभर के वनों में आठ माह के अंतराल में आग की करीब पौने दो लाख घटनाएं सामने आई। महाराष्ट्र के जंगलों में आग की सर्वाधिक घटनाएं देखने को मिलीं। इस मामले में उत्तराखंड का स्थान छठा रहा और यहां 16 हजार से अधिक बार आग की घटनाओं को रिकॉर्ड किया गया। वहीं, दो राज्य (चंडीगढ़ व लक्षद्वीप) ऐसे रहे, जहां आग की कोई भी घटना नहीं दिखी।
भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआइ) ने जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं का भी अपनी ताजा रिपोर्ट को जिक्र किया है। एफएसआइ के महानिदेशक डॉ. सुभाष आशुतोष ने बताया कि सेटेलाइट सिस्टम मॉडरेट रेजोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रो-रेडियोमीटर (एमओडीआइएस) व विजिबल इंफ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सुइट (एसएनपीपी-वीआइआइआरएस) के जरिये जंगलों की आग की मॉनिरिंग की जाती है।
रिपोर्ट में नवंबर 2018 से जून 2019 तक की आग की घटनाओं का जिक्र किया गया है। सेटेलाइट सिस्टम एमओडीआइएस ने 29 हजार 547 फायर अलर्ट जारी किए, जबकि दूसरे सिस्टम से दो लाख 10 हजार 286 अलर्ट भेजे गए।
उत्तराखंड में जंगल की आग की स्थिति का आकलन किया जाए तो 16 हजार से अधिक घटनाएं चिंता की बात है। क्योंकि लगभग समान भौगोलिक परिस्थितियों वाले पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में आग की महज 1588 घटनाएं रिकॉर्ड की गईं। वहीं, जम्मू कश्मीर में आग की सिर्फ 723 घटनाएं ही दर्ज पाई गई।
लिहाजा, कहा जा सकता है कि उत्तराखंड में वन संपदा को आग से बचाने के लिए अतिरिक्त काम करने की जरूरत है। यह स्थिति तब है, जब उत्तराखंड उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है, जहां आग की सूचनाएं सीधे बीट स्तर पर मिल रही हैं। जम्मू कश्मीर जैसे वन बाहुल्य राज्य में अभी रेंज स्तर पर ही फायर के अलर्ट मिल रहे हैं।
जंगल की आग की सर्वाधिक घटनाएं
राज्य------------------संख्या
महाराष्ट्र--------------29455
छत्तीसगढ़------------27358
मध्य प्रदेश-----------24831
ओढि़सा---------------21282
आंध्र प्रदेश-----------17494
उत्तराखंड------------16508
कर्नाटक----------------9306
मिजोरम---------------9142
मणिपुर----------------9136
25 हजार वर्ग किमी जंगल सर्वाधिक संवेदनशील
एफएसआइ की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 25 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक जंगल आग के लिहाज से अति संवेदनशील हैं। इसका आशय यह हुआ कि हर सीजन में इनमें सबसे अधिक आग लगती है। इसके अलावा 39 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक ऐसे जंगल हैं, जिसे बेहद उच्च संवेदनशीलता में रखा गया है। हालांकि, कुल वन क्षेत्र में 63.90 फीसद भाग को कम संवेदनशीलता में रखा गया है।
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आग की संवेदनशीलता की तस्वीर
संवेदनशीलता---------------------क्षेत्र (वर्ग किमी में)
सर्वाधिक संवेदनशील------------------25617
उच्च संवेदनशील-----------------------39500
संवेदनशील------------------------------75952
मध्यम संवेदनशील---------------------96422
कम संवेदनशील-----------------------420625
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