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    वन विभाग की एंटी पोचिंग टीम की शिकारियों पर पैनी नजर

    By Sunil Singh NegiEdited By:
    Updated: Wed, 30 Dec 2020 09:23 PM (IST)

    नए साल और कोहरे के बीच वन तस्करों की सक्रियता की आशंका के चलते वन विभाग भी मुस्तैद हो गया है। एंटी पोचिंग टीमों ने गश्त और चेकिंग बढ़ा दी है। साथ ही सीमाओं पर भी सख्ती से चेकिंग की जा रही है।

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    ऋषिकेश में देहरादून मार्ग पर इस तरह सड़क पार करता है हाथियों का झुंड।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। नए साल और कोहरे के बीच वन तस्करों की सक्रियता की आशंका के चलते वन विभाग भी मुस्तैद हो गया है। एंटी पोचिंग टीमों ने गश्त और चेकिंग बढ़ा दी है। साथ ही सीमाओं पर भी सख्ती से चेकिंग की जा रही है। वन मुख्यालय के आदेश के बाद देहरादून वन प्रभाग ने भी वन तस्करों और शिकारियों की गतिविधियों पर नजर बनानी शुरू कर दी है।

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    दरअसल, नए साल आगमन के दौरान कड़ाके ठंड और कोहरे का सहारा लेकर शिकारी सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में वन विभाग को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है। प्रभागीय वन अधिकारी राजीव धीमान ने बताया कि रेंज स्तर पर वनकर्मियों को गश्त को लेकर और सतर्क होने को कहा गया है। 31 दिसंबर के मद्देनजर भी सुरक्षा को लेकर गश्त बढ़ा दी गई है। मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के जंगलों में पैनी नजर रखने के लिए दो शिफ्ट की जगह अब तीन शिफ्ट में कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। वन अफसरों और कर्मचारियों को कोर जोन में रहने वाले ग्रामीणों से मित्रवत व्यवहार करने और मुखबिर तंत्र को सक्रिय करने के निर्देश दिए गए हैं। लगातार संदिग्ध गतिविधियों वाले इलाकों में कैमरों से निगरानी रखने का प्रयास किया जा रहा है।

    एंटी पोचिंग यूनिट और डॉग स्क्वायड किए गए हैं मुस्तैद

    शिकारियों पर नकेल कसने के लिए वन्य प्राणियों की अधिक गतिविधि वाले क्षेत्रों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दी गई है। इसके अलावा एंटी पोचिंग यूनिट और डॉग स्क्वायड को जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, पूर्व में पकड़े गए शिकारियों की गतिविधि और संपर्क पर भी नजर बनाई जा रही है। उत्तराखंड में हाथी, बाघ, चीतल, सांभर, सल्लू सांप आदि को अक्सर शिकारी निशाना बनाते हैं। खासकर तराई के संवेदनशील जंगल में शिकार की अधिक आशंका रहती है। कोहरे की वजह से गश्ती दल के सामने दृश्यता कम होने की समस्या पैदा हो जाती है। ऐसे में तस्करों के लिए खुद छुपना व काटे गए पेड़ों को ठिकाने लगाना आसान हो जाता है। सर्दियों में पेड़ कटान के मामले भी बढ़ जाते हैं। लकड़ी तस्कर चोरी-छुपे पेड़ों को काटकर ठिकाने लगा देते हैं। दिसंबर और जनवरी में हर साल ही वन विभाग को अतिरिक्त कसरत करनी पड़ती है।

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