मांग पर कार्रवाई ना होने से नाराज भोजन माताओं ने दी आंदोलन की चेतावनी
भोजन माता संगठन ने एक बार फिर से अपनी मांगों के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की है। संगठन ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में मध्यान्न भोजन योजना को संचालित करने वाली भोजन माताओं को उनके काम के हिसाब से वेतन व अन्य सुविधाएं दी जानी चाहिए।

संवाद सहयोगी, विकासनगर: भोजन माता संगठन ने एक बार फिर से अपनी मांगों के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की है। संगठन ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में मध्यान्न भोजन योजना को संचालित करने वाली भोजन माताओं को उनके काम के हिसाब से वेतन व अन्य सुविधाएं दी जानी चाहिए। बताते चलें कि भोजन माता संगठन ने लॉकडाउन की घोषणा से पहले खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना दे रखा था, लेकिन लॉकडाउन की घोषणा होने के चलते उन्होंने अपना धरना स्थगित कर दिया था।
हरबर्टपुर स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में आयोजित हुई भोजन माता संगठन की बैठक में सरकार से संगठन की मांगों को पूरा कराने के लिए आगामी रणनीति पर विचार किया गया। बैठक में उपस्थित भोजन माताओं को संबोधित करते हुए संगठन की प्रदेश अध्यक्ष ऊषा देवी ने कहा प्रदेश के सभी राजकीय विद्यालयों में तीस हजार भोजन माताएं कई वर्षों से बेहद कम मानदेय पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने कहा भोजन माताओं का मानदेय बढ़ाकर आठ हजार रुपये प्रतिमाह किए जाने, 65 से 70 वर्ष की आयु वाली भोजन माताओं को कल्याण निधि कोष से लाभान्वित कराकर उन्हें सेवानिवृत्त करने, छात्र संख्या कम होने पर भोजन माताओं को विद्यालयों से नहीं हटाए जाने, उन्हें प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना से लाभान्वित किए जाने, भोजन माताओं को एक साल में दस आकस्मिक अवकाश दिए जाने की मांगों पर सरकार को शीघ्र निर्णय लेना चाहिए।
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इसके साथ ही उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि यदि सरकार ने इस संबंध में जल्दी ही कोई कार्रवाई नहीं की तो वह दोबारा से अपना आंदोलन शुरू करेंगी। बैठक में माधुरी तोमर, सुनीता, उमा, रेनू, सुमन, बबली, सोनी, अनीता, तारा देवी, नकरी देवी, निर्मला खत्री, इंद्रा देवी, जगदीश गुप्ता उपस्थित रहे।
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