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    हिंदी फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू की खासियत को जानिए निर्देशक की जुबानी

    By BhanuEdited By:
    Updated: Thu, 20 Sep 2018 08:50 AM (IST)

    फिल्म निर्देशक श्री नारायण सिंह ने कहा कि कुदरत ने उत्तराखंड को बेहपनाह खूबसूरती से नवाजा है। उन्होंने दैनिक जागरण से फिल्म बत्ती गुल, मीटर चालू की खासियत भी साझा की।

    हिंदी फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू की खासियत को जानिए निर्देशक की जुबानी

    देहरादून, [हिमांशु जोशी]: फिल्म निर्देशक श्री नारायण सिंह ने कहा कि कुदरत ने उत्तराखंड को बेहपनाह खूबसूरती से नवाजा है। यहां की हर एक लोकेशन खूबसूरत है, आपको कहीं बाहर जाने की जरूरत ही नहीं है। बस जरूरत है तो रोड कनेक्टिविटी की, ताकि आसानी से लोकेशन तक जाया जा सके। सरकार को ऐसा कोई रास्ता तलाशना चाहिए, जहां से आसानी से यहां तक पहुंचा जा सके। इसके मतलब यह बिल्कुल नहीं कि आप पहाड़ का ऐसा विकास करें कि उसकी खूबसूरती पर 'दाग' लग जाए। पहाड़ की खूबसूरती बनी रहनी चाहिए।  

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    21 सितंबर को रिलीज होने वाली फिल्म 'बत्ती गुल, मीटर चालू' बिजली कटौती और बढ़े हुए बिल पर केंद्रित है। फिल्म में अभिनेता शाहिद कपूर, अभिनेत्री श्रद्धा कपूर और यामी गौतम प्रमुख भूमिका में हैं। फिल्म के निर्देशक श्री नारायण सिंह ने दैनिक जागरण से खास बातचीत में बताया कि टॉयलेट एक प्रेम कथा की तरह ही यह फिल्म भी आम आदमी की समस्या पर केंद्रित है। 

    उन्होंने कहा कि आज बॉलीवुड में आम आदमी की समस्याओं पर फिल्मों का निर्माण हो रहा है और दर्शक भी इसे पसंद कर रहे हैं। बॉलीवुड के लिहाज से यह काफी अच्छा चेंज हैं। उन्होंने कहा कि जिस दिन इस फिल्म को लिखने की शुरुआत हुई थी, उसी दिन से हमारे केंद्र में टिहरी था। 

    हमने टिहरी को केंद्र में रखकर ही फिल्म लिखने की शुरुआत की थी। तो कहीं दूसरी जगह जाकर फिल्म शूट करनी की तो बात ही नहीं है। हमारी रिसर्च टीम ने यहां आकर फिल्म शूटिंग की संभावनाएं देखी और लोकेशन की जानकारी भी हमे दी।  

    किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने हमारा मकसद नहीं 

    उन्होंने कहा कि फिल्म में 'बल' और 'ठैरा' का प्रयोग करके हमने लोगों को एंटरटेन करने का काम किया है। हमारा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा कि आज तक बॉलीवुड में कभी भी 'बल' और 'ठैरा' का प्रयोग नहीं हुआ है। 

    उन्होंने कहा कि यदि हम फिल्म में बिल्कुल गढ़वाली या कुमाऊंनी बोली का प्रयोग करते तो दर्शक उसे आसानी से समझ नहीं पाते। इसलिए हमने 'बल' और 'ठैरा' का प्रयोग इस तरह किया ताकि लोग इसे आसानी से समझे, एंटरटेन हो और कनेक्ट भी करें। 

    लोकेशन के असली नाम का किया गया है प्रयोग

    उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में शूट हुई फिल्म शायद यह पहली बार हुआ होगा कि लोकेशन के असली नाम का प्रयोग हुआ होगा। हमने टिहरी में शूटिंग की तो फिल्म में जगह का नाम टिहरी ही रखा गया है। हमारा मकसद यहां की लोकेशन को दुनिया का सामने रखना है, ताकि लोग यहां की खूबसूरती से परिचित हो सकें।

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