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    कोरोना से उबरे मरीजों को सता रहा दोबारा संक्रमण का डर, पढ़िए पूरी खबर

    कोरोना संक्रमण की चपेट में आए लोग इस महामारी को मात देने के बाद अब कई तरह की मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। खासतौर पर ऐसे व्यक्तियों को दोबारा संक्रमित होने का डर सता रहा है। मनोचिकित्सकों के पास इस समस्या से ग्रसित कई लोग रोजाना पहुंच रहे हैं।

    By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 03 Jun 2021 01:37 PM (IST)
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    कोरोना से उबरे मरीजों को सता रहा दोबारा संक्रमण का डर।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आए लोग इस महामारी को मात देने के बाद अब कई तरह की मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। खासतौर पर ऐसे व्यक्तियों को दोबारा संक्रमित होने का डर सता रहा है। मनोचिकित्सकों के पास इस समस्या से ग्रसित कई लोग रोजाना पहुंच रहे हैं। चिकित्सक इसे पोस्ट ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर बता रहे हैं। उनका कहना है कि इस तनाव को चिकित्सकीय परामर्श, व्यायाम, संतुलित खानपान और ध्यान से दूर किया जा सकता है।

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    मनोचिकित्सक सोना कौशल ने बताया कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप ने हर व्यक्ति के मन में भय पैदा कर दिया है। खासतौर पर खुद संक्रमण का शिकार हुए लोग, जिन्होंने अस्पताल में इलाज कराया, वह उस दौरान के अस्पताल के माहौल को भूल नहीं पा रहे। उनके पास हर रोज औसतन ऐसे 20 मरीजों का फोन आ रहा है। जो कुछ समय पहले कोरोना की चपेट में आए थे और अब मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। अधिकांश मरीज इस डर के कारण तनाव में होते हैं कि कहीं वह फिर से कोरोना की चपेट में न आ जाएं। इस भय से उन्हें पैनिक अटैक, नींद न आना, संक्रमण के दौरान की बुरी यादों के बारे में सोचते रहना जैसी समस्याएं भी हो रही हैं। मनोचिकित्सक सोना कौशल का कहना है कि यह पोस्ट ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर है। ऐसे मरीज का ध्यान रखना जरूरी है।

    केस एक: राजपुर रोड निवासी एक व्यक्ति ने बताया कि वह दून अस्पताल में 20 दिन तक कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए भर्ती रहे। उनके वार्ड में भर्ती दूसरे मरीजों की तबीयत बिगड़ने पर जो स्थिति होती थी, वह दृश्य उन्हें अब भी याद आता है। उस समय खुद उनका भी आक्सीजन स्तर कम होने लगा था। यह सब सोच कर कई दफा उन्हें नींद भी नहीं आती।

    केस दो : सहस्रधारा रोड निवासी एक महिला ने बताया कि उन्होंने श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में कोरोना का इलाज कराया था। वह करीब दो हफ्ते तक अस्पताल में भर्ती रहीं। इस दौरान कई दफा उनके शरीर में आक्सीजन का स्तर गिरा। तब उन्हें ऐसा लगता था कि अब जीवन समाप्ति की तरफ है। अब भी उन्हें दोबारा संक्रमित होने और मौत से जूझने का डर सताता रहता है।

    व्यायाम व ध्यान से कम होगा तनाव

    मनोचिकित्सक सोना कौशल ने बताया कि ऐसी कोई भी समस्या होने पर तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें। नियमित दिनचर्या, व्यायाम, सकारात्मक सोच, संतुलित भोजन, ध्यान (मेडिटेशन) को अपनाकर यह तनाव दूर किया जा सकता है। ऐसे व्यक्तियों के लिए जरूरी है कि वह ज्यादातर समय परिवार और करीबियों के साथ बिताएं। नशे और नकारात्मक विचारों से दूर रहें। परिवार भी उनकी बात अच्छी तरह सुने और उनका ध्यान दूसरी चीजों में लगाने की कोशिश करें।

    यह है पोस्ट ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर

    मनोचिकित्सक मुकुल शर्मा ने बताया कि पोस्ट ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर वह स्थिति है, जिसमें कोई बुरी याद मरीज के दिमाग में घर कर जाती है। वह याद बार-बार उसके जेहन में आती है। इससे तनाव बढ़ता है और संबंधित व्यक्ति अवसाद में चला जाता है। स्वभाव में चिड़चिड़ापन, नींद नहीं आना, घबराहट, अनहोनी का भय आदि इसके लक्षण हैं।

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