शहीद मेजर चित्रेश की याद में पिता 22 मेधावियों को देंगे छात्रवृत्ति Dehradun News
शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट की याद में उनके पिता रिटायर्ड इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट हर साल 22 मेधावी छात्र-छात्राओं को दस हजार रुपये सालाना की छात्रवृत्ति देंगे।
देहरादून, जेएनएन। शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट की याद में उनके पिता रिटायर्ड इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट हर साल 22 मेधावी छात्र-छात्राओं को दस हजार रुपये सालाना की छात्रवृत्ति देंगे। रविवार को देहरादून के लाल की शहादत के एक वर्ष पूर्ण होने पर उनके नेहरू कॉलोनी स्थित आवास पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया है। वहीं, शाम को उनके पिता बाल वनीता आश्रम के बच्चों को भोजन भी कराएंगे।
शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट के पिता एसएस बिष्ट ने बताया कि उनका लाल चित्रेश पढ़ाई में मेधावी तो था ही देशभक्ति भी कूट-कूट कर भरी हुई थी। उसकी शहादत ने परिवार और उत्तराखंड का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। वह चाहते हैं कि मेधावी छात्र-छात्राओं को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसे देखते हुए बेटे की याद में हर 22 छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति दी जाएगी। इसमें हाईस्कूल की परीक्षा में मेरिट में आने वाली छह बालिकाओं और पांच बालकों को छात्रवृत्ति के लिए चुना जाएगा। इसके साथ उनके गृह जनपद अल्मोड़ा से भी 11 छात्र-छात्राओं को शामिल किया जाएगा। इसमें उनके रानीखेत तहसील के पैतृक गांव पिपली और चित्रेश की ननिहाल द्वारसोम से एक-एक बालिका और एक-एक बालक को चुना जाएगा। शेष सात बच्चों का चयन पूरे अल्मोड़ा से किया जाएगा।
आइएमए देहरादून से 2010 में हुए थे पासआउट
शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट 2010 में आइएमए से पासआउट हुए थे। 55 इंजीनियङ्क्षरग कोर में तैनाती हुई, जिसके बाद वह मथुरा, कुपवाड़ा, मेरठ, झंडियावाला व बठिंडा में तैनात रहे। वर्ष 2018 में उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर के राजौरी के नौसेरा सेक्टर में हुई। वह आईईडी डिफ्यूज करने में महारत रखते थे। 16 फरवरी 2019 को नौसेरा सेक्टर में आतंकियों की ओर से आईईडी लगाए जाने की सूचना पर वह उसे डिफ्यूज करने गए थे, लेकिन तभी धमाका हो गया, जिसमें वह शहीद हो गए। राष्ट्रपति ने 15 अगस्त 2019 को उन्हें मरणोपरांत वीरता पदक (सेना मेडल) से अलंकृत किया।
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घर में चल रही थीं शादी की तैयारियां
जिस दिन देहरादून के लाल की शहादत की खबर आई उस दिन उनके पिता शादी के कार्ड बांट रहे थे। शादी सात मार्च 2019 को होनी थी, जिसे लेकर घर में खुशियों का माहौल था, लेकिन जैसे ही चित्रेश की शहादत की खबर देहरादून पहुंची, हजारों की संख्या में लोग उनके घर पहुंच गए। मेजर के बलिदान की गाथा सुन हर किसी के आंखों से आंसुओं की धार बहते दिख रही थी।
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