Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    इसी जज्बे से सलामत हैं हमारे देश की सरहदें, पढ़िए पूरी खबर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 14 Feb 2020 07:55 PM (IST)

    पिता ने देश की खातिर अपने प्राण न्यौछावर किए और अब बेटा भी उन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर फौजी वर्दी पहनना चाहता है।

    इसी जज्बे से सलामत हैं हमारे देश की सरहदें, पढ़िए पूरी खबर

    देहरादून, जेएनएन। इसी जज्‍बे से सरहदें सलामत हैं। वीर प्रसूता इस भूमि पर जन्मे पुलवामा शहीद मोहन लाल रतूड़ी के परिवार का जज्बा ऐसा है कि उन्होंने अपने को खोया पर हौसला नहीं। पिता ने देश की खातिर अपने प्राण न्यौछावर किए और अब बेटा भी उन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर फौजी वर्दी पहनना चाहता है। शहीद की पत्नी का भी हौसला है कि वे अपने बच्चे को सेना में भेजना चाहती हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पुलवामा में हुए आतंकी हमले में उत्तराखंड के भी दो लाल शहीद हुए थे। इनमें उप निरीक्षक मोहन लाल रतूड़ी व सिपाही वीरेंद्र सिंह शामिल थे। शहीद मोहन लाल रतूड़ी का परिवार दून में कांवली रोड स्थित एमडीडीए कालोनी में रहता है। उनकी तीन बेटियां व दो बेटे हैं। जिनमें पिता की ही तरह देशभक्ति का जज्बा कूट-कूटकर भरा है। दसवीं का छात्र उनका छोटा बेटा श्रीराम कहता है कि हम युवाओं को देश के वीर शहीदों से सीख लेनी चाहिए। हम इस लायक बनें कि जब देश को हमारी जरूरत पड़े, तब पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करें। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि देश ने हमारे लिए क्या किया है, बल्कि खुद से यह पूछें कि हम देश के लिए क्या कर सकते हैं।

    उनकी इच्छा पिता की ही तरह वर्दी पहन देश रक्षा करने की है। सीआरपीएफ के डीआइजी दिनेश उनियाल ने कहा कि शहीद मोहनलाल रतूड़ी के परिवार से लगातार सीआरपीएफ संपर्क में है। उनके बड़े बेटे को राज्य सरकार ने शहादत के एक साल के भीतर सरकारी नौकरी दे दी है। छोटे बेटे के लिए भी कई आरक्षण केंद्र की नौकरी में रखे गए हैं। उनकी उम्र सीमा पूरी होती इसके लिए उन्हें तैयारी भी कराई जाएगी।

    शहीदों का सम्मान राष्ट्र का सम्मान

    भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) ने गुरुवार शाम शहीद मोहनलाल रतूड़ी के आवास पर जाकर उनके परिवार को सम्मानित किया। महामंत्री राजेश रावत ने शहीद की पत्नी सरिता को स्मृति चिन्ह देकर व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि शहीदों का सम्मान ही राष्ट्र का सम्मान है। न केवल शहीदों के प्रति, बल्कि उनके परिजनों के प्रति भी सम्मान का भाव होना चाहिए। जब भी अवसर मिले, उनके प्रति कृतज्ञता जाहिर करनी चाहिए। कहा कि परिवार को जब भी जरूरत होगी, भाजयुमो उनके साथ खड़ा होगा। इस दौरान पार्षद शुभम नेगी, सचिन कुमार, मंडल अध्यक्ष आशीष गुसाईं, अतुल बिष्ट, जय वीर राणा, अनिल नौटियाल, आनंद गढ़िया, चंदन कनौजिया, रोहित मौर्य, दीनदयाल पांडे आदि उपस्थित रहे।

    सीआरपीएफ आश्रितों को भी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण

    सीआरपीएफ के सेवारत व पूर्व कार्मिकों और शहीदों के आश्रितों को भी प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण मिलने की उम्मीद दिख रही है। सीआरपीएफ ने  इस संबंध में प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा है। जिसमें शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के साथ शुल्क में भी विशेष रियायत का अनुरोध किया गया है।

    आज पुलवामा हमले की पहली बरसी है। एक साल पहले हुई इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया था। पूरे देश में गुस्से, दुख और शोक की लहर दौड़ गई थी। जिसके बाद सीआरपीएफ ने शहीदों के परिवारों को संभालना और इस आपात स्थिति से उबारना अपनी प्राथमिकता में शामिल किया। सीआरपीएफ के देहरादून सेक्टर कमांडर महानिरीक्षक एनके भारद्वाज ने बताया कि शहीदों के परिवारों की आर्थिक, सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों में सहायता के लिए सुनियोजित कार्रवाई की गई।

    अधिकारियों और जवानों ने उनके परिवार को अपने परिवार की तरह संरक्षित किया है। शहीद कार्मिक के घर प्रत्येक तीन माह में उनकी देखभाल के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी का दौरा होता है। जिससे शहीदों के आश्रितों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं जानी जा सकें। आवास, बिजली, पानी और जमीन संबंधी मामलों में भी विभागीय अधिकारियों से मिलकर समस्या दूर करने का प्रयास किया जाता है।

    उत्तराखंड में राज्य सरकार, विभिन्न विभाग, यहां की जनता और शहीद के आस पड़ोस में रहने वाले लोगों के सहयोग की वजह से एक साल में ये परिवार मजबूती से खड़े हो चुके हैं। उप महानिरीक्षक दिनेश उनियाल ने बताया कि उत्तराखंड सरकार के पास भी एक प्रस्ताव विचाराधीन है। जिसमें शहीदों, सेवारत कार्मिकों व पूर्व कार्मिकों के आश्रितों को विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रवेश में आरक्षण और शुल्क में रियायत देने की मांग की गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार जल्द इस पर सकारात्मक निर्णय लेगी। बताया कि कई सामाजिक व शिक्षण संस्थाओं ने खुद मदद का हाथ बढ़ाया है। ये लोग सीआरपीएफ के शहीदों, सेवारत व पूर्व कार्मिकों के बच्चों को विभिन्न स्तर पर मुफ्त शिक्षा, मुफ्त आवास, फीस में छूट, मुफ्त में कोचिंग या कोचिंग फीस में रियायत प्रदान कर रहे हैं।

    इन्होंने बढ़ाया मदद का हाथ

    बलूनी क्लासेज, माया ग्रुप ऑफ कॉलेज, लिब्रा कॉलेज ऑफ लॉ, रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी, सरदार भगवान सिंह यूनिवर्सिटी, बीएफआइटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल व द दून स्कूल।

    यह भी पढ़ें: शहीदों के घर की मिट्टी बिखेरेगी राष्ट्रीय एकता की खुशबू

    जवान राजेंद्र सिंह की तलाश  को राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

    पूर्व सैनिक संगठन ने जवान राजेंद्र सिंह की जल्द तलाश की मांग की। इस संबंध में उन्होंने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा है। गुरुवार को पूर्व सैनिक संगठन के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि जवान राजेंद्र सिंह सीमा पर ड्यूटी के दौरान लापता हो गए थे, लेकिन अब तक उनका कुछ पता नहीं चला है। ज्ञापन देने वालों में संगठन के अध्यक्ष देव सिंह पुंडीर, पूर्व अध्यक्ष इंद्र सिंह नेगी, सत्यपाल सिंह पुंडीर, राजेन्द्र सिंह, आनंद सिंह आदि शामिल थे।

    यह भी पढ़ें: देश रक्षा को हमेशा आगे रहे शहीद मोहनलाल, जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े पहलू