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बेटा-बेटी ने दी गवाही, मां की हत्या में पिता को उम्रकैद की सजा

शिक्षक पत्नी की चाकू से गोदकर हुई हत्या में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरके खुल्बे की अदालत ने अभियुक्त पति को उम्रकैद की सजा सुनाई है। मामले में बच्चों की गवाही अहम मानी गई।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 15 May 2019 09:27 AM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 08:42 PM (IST)
बेटा-बेटी ने दी गवाही, मां की हत्या में पिता को उम्रकैद की सजा
बेटा-बेटी ने दी गवाही, मां की हत्या में पिता को उम्रकैद की सजा

देहरादून, जेएनएन। तीन साल पूर्व शिक्षक पत्नी की चाकू से गोदकर हुई हत्या में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरके खुल्बे की अदालत ने अभियुक्त पति को उम्रकैद की सजा सुनाई है। बच्चों के सामने वारदात को अंजाम देने के बाद अभियुक्त ने उस दिन खुद पर भी चाकू से तेरह से अधिक वार किए और जहर पीकर जान देने की कोशिश की थी, लेकिन वह जिंदा बच गया। पिता को सजा दिलाने में उसके बेटे और बेटी की गवाही अहम रही।

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घटना 19 अप्रैल 2016 की रायपुर क्षेत्र की है। सुधीर तिवारी (45) पुत्र मुकुंद राम तिवारी निवासी चंबा, टिहरी जिले के नकुची जौनपुर स्थित राजकीय इंटर कालेज में शिक्षक था। वह यहां रायपुर थाना क्षेत्र में कृष्णा विहार के लेन नंबर पांच मकान नंबर 115 में पत्नी मीनाक्षी (40) व बेटे अनिरुद्ध व बेटी निकिता के साथ रहता था। 

मीनाक्षी भी प्राथमिक विद्यालय हडेलीघाट, जौनपुर, टिहरी गढ़वाल में शिक्षिक थी। घटना से तीन दिन पहले सुधीर बेटी को परीक्षा दिलाने दिल्ली गया था। 19 अप्रैल 2016 की रात वह दिल्ली से लौटा। उस समय करीब आठ बज रहे थे। सुधीर ने पत्नी से पीने के लिए एक गिलास पानी मांगा, लेकिन उसने इनकार कर दिया, इस पर दोनों में झगड़ा होने लगा। 

इस बीच सुधीर ने किचन से चाकू लेकर आया और उसने मीनाक्षी पर ताबड़तोड़ कई वार कर दिए। लहूलुहान मीनाक्षी जमीन पर जमीन पर गिर पड़ी। उस समय अनिरुद्ध वहीं था, जबकि बेटी निकिता बाथरूम में थी। शोर सुनकर वह बाहर निकली। 

अनिरुद्ध व निकिता ने मां को बचाने की भी कोशिश की और शोर मचाया। आसपास के लोग एकत्रित होते, तब तक सुधीर ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। थोड़ी देर बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने सुधीर को कमरे से बाहर निकाला तो वह भी लहुलुहान था और उसके मुंह से फिनायल की बू आ रही थी। पुलिस एंबुलेंस से दोनों को लेकर दून मेडिकल कॉलेज पहुंची, जहां मीनाक्षी को मृत घोषित कर दिया गया। सुधीर तीन-चार दिन के उपचार के बाद ठीक हो गया तो रायपुर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 

मीनाक्षी के ममेरे भाई विनोद डंगवाल ने सुधीर के खिलाफ आइपीसी की धारा 302 (हत्या) व 309 (आत्महत्या का प्रयास) का नामजद मुकदमा दर्ज कराया था। तभी से वह जेल में था। 

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जेके जोशी ने अदालत को बताया कि अदालत ने अभियुक्त को हत्या में उम्रकैद व पांच हजार रुपये के अर्थदंड व आत्महत्या के प्रयास में छह माह के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। 

जिगर के टुकड़ों ने कातिल पिता से नजरें नहीं मिलाई

तीन साल पहले अपनी आंखों के सामने मां का कत्ल देख चुके अनिरुद्ध और निकिता आज भी वह खौफनाक मंजर नहीं भूले हैं। जहां एकतरफ उन्हें मां को खोने का गम सालता है, वहीं कातिल पिता को लेकर उनके दिल में अब भी गुस्सा कायम है। 

वह इस हद तक कि कोर्ट में मौजूद होने के बावजूद उन्होंने अभियुक्त पिता ने नजरें भी नहीं मिलाई। जिस वक्त अदालत उनके पिता सुधीर को सजा सुना रही थी, तब दोनों अदालत परिसर में मौजूद थे, लेकिन कोर्ट रूम तक इसलिए नहीं आए कि कहीं उन्हें पिता की शक्ल न दिख जाए। 

तीन साल पहले तक अन्य बच्चों की तरह अनिरुद्ध और निकिता की जिंदगी मां मीनाक्षी की ममता और पिता सुधीर तिवारी के प्यार में हंसी-खुशी आगे बढ़ रही थी। तब उन्होंने सपने में भी यह नहीं सोचा होगा कि घर में आए दिन होने वाला क्लेश एक दिन न सिर्फ उनसे उनकी मां को दूर कर देगा, बल्कि पिता का सहारा भी छीन लेगा। 

दरअसल, इन दोनों के ही सामने सुधीर तिवारी ने खूनी खेल खेला था। जब उसने पत्नी मीनाक्षी पर चाकू से हमला किया तो उस वक्त दोनों घर पर ही थे। दोनों पिता से मां पर रहम की भीख मांगते रहे, लेकिन सुधीर पर तब खून सवार था। बच्चों की चीख-पुकार और रोने-बिलखने का भी उस पर कोई असर नहीं हुआ। मां को खून से लथपथ तड़पता देख पिता के प्रति मन में जो प्यार था वह नफरत में बदल गया। 

दोनों के शोर मचाने के कुछ देर बाद जब पुलिस पहुंची तो दोनों पिता की करतूत पुलिस को बताने में जरा भी नहीं हिचकिचाए। समय बीता और अदालत ने सजा का एलान भी कर दिया, लेकिन इन तीन वर्षों में दोनों के मन में पिता के प्रति खाई बढ़ती गई। यही वजह रही कि अनिरुद्ध और निकिता सजा सुनाए जाने के वक्त कचहरी में मौजूद तो थे, लेकिन अदालत में नहीं गए। दोनों ही नहीं चाहते थे कि उनका उस पिता से आमना-सामना हो, जिसने उनकी मां को उनसे हमेशा-हमेशा के लिए दूर कर दिया।

बेटा-बेटी की गवाही रही अहम

अनिरुद्ध और निकिता ने हत्या के वक्त पुलिस को जो बयान दिया था, वही सब उन्होंने मजिस्ट्रेट के समक्ष भी दोहराया। वहीं अदालत में जब उनकी गवाही हुई तो भी दोनों अपने पूर्व के बयानों पर कायम रहे। उम्रकैद की सजा दिलाने में दोनों की गवाही अहम साबित हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 13 गवाह पेश किए गए थे, जबकि बचाव पक्ष की ओर से एक भी गवाह सामने नहीं आया।

फैसले के बाद डबडबा गई आंखें

पिता को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने की जानकारी मिलते ही अनिरुद्ध और निकिता की आंखें डबडबा आईं। इस दौरान साथ में मौजूद उनकी मौसी ने दोनों को संभाला और अपने साथ घर ले गईं। 

..तो बन जाता गैर इरादतन हत्या का केस

पत्नी की हत्या करने के बाद सुधीर ने खुद पर भी चाकू से 13 से अधिक वार किए थे और फिनायल पीकर जान देने की कोशिश की थी। उसने तब पुलिस को बताया था कि मीनाक्षी ने उस पर चाकू से हमला किया था और खुद के बचाव में उससे यह घटना हो गई। 

बच्चों के बयान के बाद उसकी इस मनगढ़ंत कहानी पर किसी ने यकीन नहीं किया। वहीं, जब उसे लगी चोटों की मेडिकल रिपोर्ट आई, तो उसमें भी यह पता चला कि सभी घाव उसके खुद के वार के हैं। चाकू पर भी सुधीर की ही उंगलियों के निशान मिले थे।

मामा-मौसी बने सहारा

हत्याकांड के बाद सुधीर के घर वालों ने भी अनिरुद्ध और निकिता की खोज-खबर लेनी कम कर दी। अनिरुद्ध मौसी के साथ रहने लगा तो निकिता मामा के साथ रहकर पढ़ाई कर रही है।

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