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    उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में  8100 साल पहले पड़े थे मानव के कदम, विशेषज्ञों ने दिया नई अवधारणा को जन्म

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 03:10 AM (IST)

    उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में विशेषज्ञों ने 8100 साल पहले मानव की उपस्थिति का पता लगाया है। यह खोज हिमालय के इतिहास को नई दिशा देती है और मानव सभ्यता के विकास को समझने में मददगार है। 

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    सांकेतिक तस्वीर।

    सुमन सेमवाल, जागरण देहरादून: उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पहली मानव सभ्यता की उपस्थिति के ऐसे प्रमाण मिले हैं, जिसने अब तक की सभी अवधारणाओं को बदल कर रख दिया है।

    भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइआइएसईआर) मोहाली के विशेषज्ञों के अध्ययन में पता चला है कि उत्तराखंड हिमालय में मानव सभ्यता के पहले कदम 8100 साल पहले पड़े। इससे पहले नाटिंघम यूनिवर्सिटी के शोध में यह अवधि 4600 साल पहले बताई गई थी।

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    आइआइटी रुड़की और आइआइएसईआर के विशेषज्ञों ने इस अध्ययन को वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में आयोजित नेशनल जियो रिसर्च स्कालर्स मीट में रखा। यह अध्ययन गोपेश्वर (चमोली) के उच्च क्षेत्र में स्थित मीठे पानी की टोली झील में किया गया।

    विशेषज्ञों ने झील के किनारे 178 मीटर गहरी तलछट-परत से नमूने लेकर उन्हें पांच अलग-अलग इकाइयों में बांटकर अध्ययन किया। अध्ययन में पता चला कि 18 हजार 100 साल से 13.6 हजार साल पहले तक यह क्षेत्र अत्यधिक सूखा था। यह समय लास्ट ग्लेशियल मैक्सिमम का अंतिम चरण था।

    उसी दौरान ग्लेशियर पीछे खिसकने लगे और गर्मी के साथ नमी बढ़ने लगी, जिससे पौधों और जीवों का विस्तार हुआ। सेडिमेंट्री एनिसेंट डीएनए (सेडा डीएनए) अध्ययन में उच्च मात्रा में यूकेरियोट्स (एक कोशिकीय जीव, शुरुआती पौधे) मिले। इसी जांच में 8,100 साल पहले मानव उपस्थिति के जैविक संकेत मिले।

    वहीं, आज से करीब 3,300 साल पहले मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) के प्रमाण मिले। जलवायु अनुकूल होने से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मानव की गतिविधि बढ़ने लगी। विशेषज्ञों ने झील के तलछट में पालिसिलिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन मापे तो करीब 2,400 साल पहले मानव जनित आग के प्रमाण भी मिल गए।

    ऐसे पता चली मानव उपस्थिति

    तलछट में बहुत सूक्ष्म मात्रा में ऐसे डीएनए अनुक्रम मिलते हैं, जो केवल मानव या मानव संबंधित जीवों में पाए जाते हैं। इसमें मनुष्य की त्वचा कोशिकाओं के डीएनए टुकड़े, मल या जैविक अवशेष से निकला माइक्रोबियल डीएनए शामिल होते हैं। ये अत्यंत सूक्ष्म होते हैं, लेकिन सेडा डीएनए आधारित जैसी आधुनिक तकनीक से इन्हें पहचाना जा सकता है।

    समूचे हिमालय में मानव की पहली उपस्थिति के प्रमाण

    • एक अध्ययन बताता है कि हिमालय के ऊंचे क्षेत्रों में मानव की उपस्थिति 5,000 वर्ष पुरानी है, वहीं एक जीनोमिक अध्ययन इसे 8,000 से 8,400 वर्ष पुरानी अवधि को बल देता है।
    • एक अध्ययन बताता है कि स्पीति घाटी जैसे ऊंचे क्षेत्रों में मानव उपस्थिति 25 हजार से 15 हजार साल पहले संभावित की गई है।
    • अलग-अलग अध्ययनों के अनुसार भारत में आधुनिक मानव (होमो सेपियंस) के आनुवंशिक अध्ययन में अवधि 65 हजार वर्ष पहले, जबकि पुरातत्व चिह्नों के अनुसार एक से 2.47 लाख साल पहले भी माने गए हैं।
    • विश्व की बात की जाए तो अलग-अलग अध्ययनों में पहली मानव उपस्थिति के संकेत तीन लाख साल पुराने माने गए हैं। मोरक्को में ऐसे प्रमाण मिले हैं। पहले यह अवधि दो लाख वर्ष पहले मानी जाती थी।

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