हिमालय हर वर्ष क्यों उठ रहा है पांच से 10 मिमी ऊपर ? आइआइटी रुड़की के विज्ञानियों ने खोला इसका राज
आइआइटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने रुद्रप्रयाग में हिमालय के हर साल 5-10 मिमी ऊपर उठने का रहस्य खोजा। उन्होंने पाया कि रुद्रप्रयाग में भूगर्भीय गतिविधि के कारण चट्टानें नीचे से ऊपर की ओर धकेली जा रही हैं। भारतीय प्लेट द्वारा यूरेशियन प्लेट को धक्का देने से चट्टानें कुचली जाती हैं और ऊपर उठती हैं, जिससे हिमालय की उत्पत्ति होती है।

सांकेतिक तस्वीर।
सुमन सेमवाल, जागरण देहरादून: हिमालय हर साल 05 से 10 मिमी ऊपर क्यों उठ रहा है, इसका राज आइआइटी रुड़की के विज्ञानियों ने रुद्रप्रयाग में भूगर्भ की गहराई से बाहर निकाला है। उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जिला भूगर्भीय रूप में काफी सक्रिय है।
लिहाजा, रुद्रप्रायग के बड़े हिस्से में भूगर्भ में क्या चल रहा और वहां चट्टानें पुनर्निर्मित रूप में किस तरह सतह की तरफ बढ़ रही हैं, इस बात से आइआइटी रुड़की के विज्ञानियों ने पूरी तरह पर्दा उठा दिया है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में नेशनल जो रिसर्च स्कालर्स मीट में वरिष्ठ शोधार्थी सुनियल कुमार ने इस शोध को प्रस्तुत किया।
सुनियल कुमार के अनुसार शोध के लिए रुद्रप्रायग से कुंड तक के 40 किमी भाग को शामिल किया गया। यहां बंसवाड़ा थ्रस्ट, कुंज्या स्ट्राइक-स्लिप फाल्ट और तिलवाड़ा फाल्ट क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से अत्यंत सक्रिय माना जाता है। यहां भूगर्भ में निरंतर दबाव, तापमान और गति बदलती रहती है।
संबंधित क्षेत्र में 18 से 22 किमी की गहराई में चट्टानों में ग्रेन-बाउंड्री माइग्रेशन (जीबीएम) नाम की प्रक्रिया पाई गई। यह प्रक्रिया दर्शाती है की चट्टानें नीचे से ऊपर की तरफ धकेली जा रही हैं। यह दबाव 250 किलो तक प्रति वर्ग सेंटीमीटर पाया गया। वहीं, तापमान 530 से 600 डिग्री सेल्सियस है।
इस स्थिति में चट्टानें पिघलती नहीं हैं, बल्कि नरम पड़ जाती हैं। जिससे वह दबाव के अनुसार मुड़ती, खिसकती और ऊपर की तरफ उठती चली जाती हैं। जितनी गहराई से चट्टानें ऊपर आती हैं, तनाव और तापमान कम होने पर उनकी संरचना फिर बदल जाती हैं। क्योंकि, 16 किमी की गहराई तक आने पर ही तापमान घटकर 390 से 420 डिग्री सेल्सियस रह जाता है।
वहीं, सतह के पास आते ही जब तापमान 40 से 100 डिग्री गया तो दबाव भी लगभग शून्य हो गया। फिर चट्टानें सख्त होकर किनारों से टूट रही हैं और ऊपर की तरफ सरक रही हैं। भूगर्भ से निरंतर दबाव होने से यह चट्टानें सतह के पास आती जा रही हैं और पहले से सतह पर उभरे पहाड़ों को और ऊंचा उठाने में मदद कर रही हैं। इस तरह की प्रक्रिया के कारण हिमालय हर साल 05 से 10 मिमी ऊपर उठ रहा है।
भूगर्भीय हलचल का हिमालय की उत्पत्ति से सीधा संबंध
भारत की जमीन (भारतीय प्लेट) लगातार यूरेशियन प्लेट को धक्का दे रही है। यूरेशियन प्लेट इस धक्के को रोकती है। दोनों प्लेटों के बीच यह धक्का-मुक्की करोड़ों सालों से जारी है। इस प्रक्रिया में बीच की चट्टानें कुचली जाती हैं और ऊपर की तरफ उठने को मजबूर हो जाती हैं। इससे पहाड़ बनते हैं, ऊंचे होते हैं और हिमालय की उत्पत्ति का भी मूल कारण यही धक्का-मुक्की है। जहां भी फाल्ट होते हैं, वह चट्टानों को रैंप की तरह रास्ता देते हैं।

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