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कर्मचारियों की हड़ताल से उत्तराखंड में प्रभावित होंगी आवश्यक सेवाएं

पदोन्नति में आरक्षण के विरोध में अब उत्तराखंड में आवश्यक सेवाएं भी प्रभावित हो जाएंगी। प्रदेशव्यापी हड़ताल में आवश्यक सेवाओं से जुड़े विभागों के कार्मिक भी शामिल हो रहे हैं।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 07:34 AM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 07:34 AM (IST)
कर्मचारियों की हड़ताल से उत्तराखंड में प्रभावित होंगी आवश्यक सेवाएं
कर्मचारियों की हड़ताल से उत्तराखंड में प्रभावित होंगी आवश्यक सेवाएं

देहरादून, जेएनएन। पदोन्नति में आरक्षण के विरोध में अब उत्तराखंड में आवश्यक सेवाएं भी प्रभावित हो जाएंगी। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार जनरल-ओबीसी वर्ग की प्रदेशव्यापी हड़ताल में आवश्यक सेवाओं से जुड़े विभागों के कार्मिक भी शामिल हो रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं पर भी हड़ताल का असर दिख सकता है। 

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हालांकि, डॉक्टर और नर्स हड़ताल में शामिल नहीं होंगे, लेकिन फार्मेस्टि व टेक्निशियनों का हड़ताल को पूर्ण समर्थन है। आंदोलनकारियों ने इस मामले में मुख्यमंत्री की अपील को भी ठुकरा दिया है। उधर, हाईकोर्ट ने हड़ताल के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सरकार पर छोड़ दिया है। उधर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कर्मचारियों से हड़ताल समाप्त करने की अपील की है। 

पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने और पदोन्नति पर लगी रोक को हटाने की मांग को लेकर आंदोलनरत जनरल-ओबीसी वर्ग के कार्मिकों की हड़ताल जारी है। उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के बैनर तले हड़ताल पर बैठे कार्मिक किसी भी कीमत पर सरकार के आगे न झुकने का एलान किया है। 

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत आज से हड़ताल में आवश्यक सेवाओं को भी शामिल किया जा रहा है। इसके तहत विद्युत और पेयजल से जुड़े विभाग ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के संबंधित कार्मिक भी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। आवश्यक सेवाएं प्रभावित होने आमजन की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। जबकि, इससे सरकार पर भी दबाव बढ़ेगा। 

उधर, हाईकोर्ट में हड़ताल के विरोध में दायर की गई जनहित याचिका पर भी सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने सरकार को कार्मिकों की हड़ताल समाप्त कराने में सक्षम बताते हुए फैसला सरकार पर छोड़ दिया है। उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के बैनर तले बीते दो मार्च से सामान्य व ओबीसी वर्ग के कार्मिक हड़ताल पर हैं।

 

ये भी हुए हड़ताल में शामिल

-जल संस्थान व पेयजल निगम

-ऊर्जा के तीनों निगम

-वन निगम

-एमडीडीए

-फार्मेसिस्ट व लैब टेक्निशियन

जनरल-ओबीसी कार्मिकों ने तेज किया आंदोलन

मांगों को लेकर हड़ताल पर अड़े जनरल-ओबीसी वर्ग के कार्मिकों का आंदोलन और तेज हो गया है। अब कार्मिकों ने सरकार को अपनी ताकत दिखाने के लिए आवश्यक सेवाएं भी प्रभावित करने का एलान किया है। कार्मिकों ने साफ किया है कि जब तक सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया जाता, हड़ताल जारी रहेगी। इसके साथ ही ड्यूटी कर रहे कार्मिकों को भी जबरन हड़ताल में शामिल कराया जा रहा है। 

जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के बैनर तले कार्मिकों की हड़ताल जारी रही। बारिश के कारण परेड ग्राउंड के बजाए सुभाष रोड स्थित एक वेडिंग प्वाइंट में धरना-प्रदर्शन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में जनरल-ओबीसी वर्ग के कार्मिकों ने भाग लिया। यही नहीं कार्मिकों के सचल दस्ते भी सक्रिय रूप से विभिन्न विभागों में छापेमारी कर जनरल-ओबीसी वर्ग के कार्मिकों को ड्यूटी करने से रोकते रहे। 

कार्मिकों ने सरकार के खिलाफ हुंकार भर दी है और अब आवश्यक सेवाओं से जुड़े कार्मिक भी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। जिससे सरकार की दिक्कतें बढ़ने की संभावना है। एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाई ने कहा कि सरकार के उदासीन रवैये को देखते हुए कार्मिक हड़ताल को मजबूर हैं। 

धरने की अध्यक्षता मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के प्रातीय अध्यक्ष सुनील दत्त कोठारी और संचालन लोक निर्माण विभाग के कार्मिक विक्रम सिंह रावत ने किया। इस दौरान प्रताप सिंह पंवार, ओमवीर सिंह, राम सिंह चौहान, रेणु लांबा, हीरा सिंह बसेड़ा आदि ने भी विचार रखे। 

मुख्यमंत्री की अपील ठुकराई 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोरोना के प्रकोप का हवाला देते हुए कार्मिकों से आवश्यक सेवाओं को हड़ताल में शामिल न करने की अपील की थी, लेकिन हड़तालियों ने उनकी इस अपील को भी ठुकरा दिया है। आंदोलनकारियों का कहना है कि यह हड़ताल सामाजिक अधिकारों की लड़ाई के लिए है। सरकार कोई निर्णय ले तभी इससे पीछे हटा जाएगा। 

स्वास्थ्य सेवाओं में कुछ राहत 

आज से जनरल-ओबीसी कार्मिकों की हड़ताल में अधिकांश आवश्यक सेवा से जुड़े विभाग भी शामिल हो रहे हैं, लेकिन कोरोना के प्रकोप के चलते स्वास्थ्य सेवाओं में कुछ नरमी बरती गई है। इसमें डॉक्टर और नर्स शामिल नहीं हो रहे हैं। नर्सो का कहना है कि वे हाथ पर काली पट्टी बांधकर ही हड़ताल का समर्थन करेंगीं। जबकि, फार्मेसिस्ट और लैब टेक्निशियन दो-दो घंटे के रोटेशन में हड़ताल में शामिल होंगे, ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं पर आंशिक असर ही पड़ने की संभावना है। 

बिजली-पानी की हो सकती है दिक्कत 

जल संस्थान और पेयजल निगम के साथ ही बिजली के तीनों निगम हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में देहरादून समेत राज्य के अधिकांश शहरों में दिक्कतें पेश आ सकती हैं। हालांकि, कार्मिकों की हड़ताल का प्रभाव शाम तक पता चलेगा। 

एडीओ से धक्का-मुक्की 

हड़तालियों का विभागों में छापे मारने का क्रम बुधवार को जारी रहा। इस दौरान रायपुर में ड्यूटी कर रहे जनरल-ओबीसी वर्ग के सहायक खंड विकास अधिकारी के साथ नोकझोंक हो गई। सचल दस्ते ने जब उन्हें कार्य न करने और हड़ताल में शामिल होने को कहा तो वे नहीं माने। जिस पर दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की की नौबत आ गई। हालांकि, बाद में एडीओ भी कार्य से विरत हो गए। 

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जन सामान्य की तकलीफ बढ़ाना मकसद नहीं 

उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि आवश्यक सेवाओं को हड़ताल में शामिल कर वे जन सामान्य की दिक्कतें नहीं बढ़ाना चाहते, बल्कि अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक सामाजिक लड़ाई है, न कि कर्मचारियों की व्यक्तिगत। सरकार उन पर कार्रवाई करना चाहती है तो करे, लेकिन वे पीछे नहीं हटेंगे। सरकार निर्णय ले वरना हड़ताल जारी रहेगी।

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