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    सहस्रधारा में वन भूमि पर अतिक्रमण, नींद में अफसर Dehradun News

    By BhanuEdited By:
    Updated: Tue, 09 Jul 2019 11:42 AM (IST)

    सहस्रधारा क्षेत्र में वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर जनवरी में अति सक्रिय नजर आने वाला वन विभाग भी अब सुस्त पड़ गया है। अब वहां भूस्खलन होने से हादसे का भय बना हुआ है।

    सहस्रधारा में वन भूमि पर अतिक्रमण, नींद में अफसर Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। सहस्रधारा क्षेत्र में वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर जनवरी में अति सक्रिय नजर आने वाला वन विभाग भी अब सुस्त पड़ गया है। स्थिति यह है कि जनवरी माह में प्रमुख वन संरक्षक डॉ. जयराज ने स्वयं सहस्रधारा क्षेत्र का दौरा कर 15 दिन के भीतर जो सर्वेक्षण रिपोर्ट तलब की थी, उसका आज तक भी कहीं पता नहीं है। दूसरी तरफ अतिक्रमण की आशंका पर जिस पहाड़ी क्षेत्र में निर्माण कार्य रुकवाया गया था, वहां से अब भूस्खलन शुरू हो गया है। ऐसे में यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

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    भूस्खलन वाला यह स्थान सहस्रधारा में रोपवे के पास का है। इस क्षेत्र में भी प्रमुख वन संरक्षक डॉ. जयराज ने दौरा किया था और तब इसे वन भूमि पर अतिक्रमण बताकर काम रुकवा दिया गया था। गंभीर यह कि कुछ दिन के दिखावे के बाद वन विभाग ने इस तरफ ध्यान देना ही छोड़ दिया। 

    अब पूछे जाने पर प्रमुख वन संरक्षक डॉ. जयराज का कहना है कि प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी को भूस्खलन पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। यदि उनकी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो जवाब तलब किया जाएगा। रही बात अतिक्रमण को लेकर राजस्व विभाग के साथ संयुक्त सर्वे करने की तो इस बारे में भी अपडेट लिया जाएगा।

    चामासारी क्षेत्र में वनाधिकारी के अतिक्रमण की भी आई बात

    सहस्रधारा क्षेत्र में चामासारी गांव में एक वनाधिकारी के व्यापारिक प्रतिष्ठान की जद में वन भूमि के आने की बात भी सामने आई थी। इसको लेकर भी प्रमुख वन संरक्षक ने जांच कराने के निर्देश दिए थे। हालांकि, यह मामला भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। 

    प्रमुख वन संरक्षक के दौरे में यह हुआ था खुलासा

    सहस्रधारा क्षेत्र में वन भूमि पर न सिर्फ अतिक्रमण किया किया, बल्कि अवैध खनन का भी बोलबाला रहा। प्रमुख वन संरक्षक (पीसीसीएफ) डॉ. जयराज ने स्वयं जनवरी माह में किए औचक निरीक्षण में यह बात देखी और तब उन्होंने अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किए थे। उन्होंने सहस्रधारा और उससे लगे चामासारी, मझाड़ा, सिलकोटी, बकराल गांव आदि क्षेत्रों का निरीक्षण किया था।

    उन्होंने देखा था कि तमाम ऐसे स्थानों पर प्लॉटिंग व निर्माण कार्य गतिमान थे, जहां आरक्षित वन क्षेत्र है। ऐसे में इस बात की प्रबल आशंका व्यक्त की गई थी कि वन भूमि पर भी अतिक्रमण किया जा रहा है। साथ ही अवैध खनन भी चल रहा है। 

    इसके साथ ही पीसीसीएफ ने वन भूमि के मुनारों को भी ठीक कराकर अतिक्रमण करने के मंसूबों को नाकाम करने के निर्देश दिए थे। यह बात और है कि इसके बाद निर्देशों के क्रम में कुछ भी खास नहीं हो पाया।

    सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की भी जुटानी थी जानकारी

    पीसीसीएफ डॉ. जयराज ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि वह वन भूमि से इतर सरकारी भूमि पर किए गए अतिक्रमण की भी जानकारी जुटाएंगे। ताकि राजस्व व संबंधित विभाग को इसकी जानकारी दी जा सके। उन्होंने कहा था कि नाले-खालों की भूमि भी सरकारी है और उनका दायित्व बनता है कि वह उस पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने का प्रयास करें।

    सहस्रधारा के ठीक ऊपर हो रहा निर्माण, एमडीडीए भी बेखबर

    सहस्रधारा के बीच के इलाके में देहरादून की तरफ से जाते हुए बायीं तरफ की पहाड़ी पर बहुत तेजी से निर्माण कर चल रहे हैं। ऐसे में एमडीडीए यह जानने की जहमत नहीं उठा रहा कि निर्माण बिना स्वीकृति कैसे हो रहा है। इसके अलावा इस क्षेत्र में गोल्डन फॉरेस्ट की सरकार में निहित की जाने वाली भूमि पर भी एक होटल का निर्माण कार्य चल रहा है। एमडीडीए ने इस पर नोटिस तो जारी किया है, मगर इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की।

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