ले आउट की अनेदखी से तैयार हो रही मुसीबत की कॉलोनियां, Dehradun News
राजधानी में ले-आउट की अनदेखी कर हर साल मुसीबत की कॉलोनियां तैयार हो रही हैं। सामान्य दिनों में इन कॉलोनी में सिर्फ सड़क बिजली पानी और सफाई की समस्या रहती है।
देहरादून, संतोष भट्ट। राजधानी में ले-आउट की अनदेखी कर हर साल मुसीबत की कॉलोनियां तैयार हो रही हैं। सामान्य दिनों में इन कॉलोनी में सिर्फ सड़क, बिजली, पानी और सफाई की समस्या रहती है। मगर, बारिश के दौरान जल निकासी न होने से जल भराव की समस्या विकराल हो जाती है। यही कारण है कि बरसात में दून के आधे हिस्से में मनमाफिक तरीके से बसाई गई कॉलोनियां स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई हैं।
सरकार भले ही शहर को स्मार्ट बनाने का सपना दिखा रही है। पर सच्चाई यह है कि यहां बसाई जा रही अव्यवस्थित कॉलोनियां इसमें रोड़ा हैं। इसे लेकर जिम्मेदार विभागों ने भी आंखें मूंद रखी हैं। इनमें सबसे ज्यादा जिला प्रशासन जिम्मेदार है।
हर साल हजारों की संख्या में जमीनों और आवासीय घरों की रजिस्ट्रियां हो रही हैं। कायदे से रजिस्ट्री कराते वक्त क्षेत्र का ले-आउट, नक्शा, रास्ता, नाली, पार्क, पार्किंग जैसी व्यवस्थाएं देखी जानी चाहिए। मगर, जिला प्रशासन के नाक के नीचे ऐसे रजिस्ट्रियां हो रही हैं, जो बाद में मुसीबत बन रही हैं।
इस पर एमडीडीए की भूमिका पर भी सवाल उठने लाजमी हैं। जमीनों के ले आउट, नक्शे और रजिस्ट्री से पहले वास्तविक स्थिति की जानकारी एमडीडीए के पास रहती है। लेकिन, यहां भी बंद कमरे में ले आउट और नक्शे पास किए जाते हैं।
जिला प्रशासन और एमडीडीए के साथ ही नगर निगम की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। पर निगम सफाई के सिवाय सड़क, नाली, पानी की निकास जैसी व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं देता है। इससे शहर में हर साल बसाई जा रही अनियोजित कॉलोनी मुसीबत का कारण बन रही हैं। सूत्रों की मानें तो नगर निगम क्षेत्र में करीब ढाई सौ छोटी-बड़ी कॉलोनी बसी हैं।
इनमें से सिर्फ 35 ने ही एमडीडीए से ले-आउट पास कराया है। जबकि अन्य सभी कॉलोनी बिना ले-आउट के प्रॉपर्टी डीलरों और बिल्डरों ने मनमाफिक तरीके से बसाई गई हैं। बरसात के सीजन में जलभराव होने से अब इन कॉलोनी के लोगों को मुसीबतें झेलनी पड़ रही हैं। पानी की निकास के कोई इंतजाम न होने से समस्या हर दिन विकट हो रही है। बावजूद इसके जिम्मेदार विभाग इस समस्या के प्रति ध्यान नहीं दे रहे हैं।
ग्राम पंचायत क्षेत्रों में हुआ ज्यादा खेल
नगर निगम सीमा क्षेत्र से बाहर ग्राम पंचायतों में जमीनों का ज्यादा खेल हुआ है। यहां ग्राम प्रधानों ने अनुभवहीन प्रॉपर्टी डीलरों को मनमाफिक ले-आउट में छूट दे दी। नतीजा यह कि ग्राम पंचायत वाले इलाके में जो कॉलोनियां बसी हैं, उनकी स्थिति ज्यादा खराब हैं। अब यह क्षेत्र नगर निगम में जुड़ गए हैं। मगर, कॉलोनी में बने घर और दूसरी व्यवसायिक प्रॉपर्टी पर एमडीडीए का ध्यान नहीं है।
वोट बैंक के लिए नियमों की अनदेखी
राजधानी में बसाई गई अधिकांश कॉलोनी में नेताओं का हस्तक्षेप रहा है। यहां बसाई गई कॉलोनी में अपने वोट बैंक देखते हुए नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। कुछ विधायकों ने तो प्लॉटिंग के लिए बाकायदा अपनी निधि से सड़कें और बिजली के खंभे तक बिछा दिए। प्रॉपर्टी डीलरों को फायदा पहुंचाने के लिए यह काम किए गए। यही काम अब जनता के लिए मुसीबत बनने लगे हैं।
कॉलोनी में यह सुविधाएं जरूरी-
-कॉलोनी बनाने वाले क्षेत्र की जमीन की आवासीय स्थिति।
-कॉलोनी को आने-जाने वाले रास्ते की स्थिति।
-कॉलोनी में पानी की निकास को नाली का निर्माण।
-कॉलोनी में पार्क, पार्किंग की व्यवस्था।
-बिजली और पानी की जरूरी व्यवस्थाएं।
-साफ-सफाई से लेकर कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था।
यहां मनमाफिक बसाई कॉलोनी
शहर के देहराखास, सेवलाकला, चंद्रबनी, मोहब्बेवाला, क्लेमनटाउन, कारगी, बंजारावाला, मोथरोवाला, डांडीगांव, दून यूनिवर्सिटी रोड, मोहकमपुर, माजरीमाफी, बालावाला, नकरौंदा, हर्रावाला, मियांवाला, नत्थनपुर, नथुवावाला, अधोईवाला, तपोवन, सहस्रधारा, ङ्क्षरग रोड के दोनों तरफ, राजपुर क्षेत्र, कैंट, शिमला बायपास सड़क के दोनों तरफ, प्रेमनगर क्षेत्र में अधिकांश कॉलोनी बिना ले-आउट पास के बसाई गई हैं।
नियमों का सख्ती से होगा पालन
जिलाधिकारी देहरादून सी रविशंकर के अनुसार, बिना ले आउट के बनी कॉलोनी पूरी तरह से अवैध है। ऐसी कॉलोनी को चिह्नित किया जाएगा। एमडीडीए और संबंधित विभागों को इस मामले में कार्रवाई के लिए निर्देशित किया जाएगा। भविष्य में बसाई जाने वाली कॉलोनी में नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा।
बगैर ले आउट स्वीकृत कराए नहीं बन सकती कालोनी
एमडीडीए सचिव जीसी गुणवतंत का कहना है कि नियमानुसार ले-आउट पास न करने वाली कॉलोनियों में सबसे ज्यादा समस्याएं हैं। एमडीडीए ने करीब 35 कॉलोनी को ले-आउट की अनुमति दी है। कोई भी कॉलोनी बिना ले-आउट पास के नहीं बन सकती है। हाल ही में बोर्ड बैठक में कुछ संशोधन किया गया है। भविष्य में ले-आउट पर ध्यान दिया जाना जरूरी है।
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