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कांग्रेस भवन घेरने निकले कर्मचारियों को पुलिस ने रोका, सड़क पर ही धरने पर बैठे

बिना आरक्षण पदोन्नति पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दिए गए बयान से आक्रोशित कर्मचारी पूरे राज्य में जिला मुख्यालयों पर सड़क पर उतरे।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 07:43 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 08:48 PM (IST)
कांग्रेस भवन घेरने निकले कर्मचारियों को पुलिस ने रोका, सड़क पर ही धरने पर बैठे
कांग्रेस भवन घेरने निकले कर्मचारियों को पुलिस ने रोका, सड़क पर ही धरने पर बैठे

देहरादून, जेएनएन। बिना आरक्षण पदोन्नति पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दिए गए बयान से आक्रोशित कर्मचारी पूरे राज्य में जिला मुख्यालयों पर सड़क पर उतरे। देहरादून में उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इम्पलॉयज एसोसिएशन के बैनर तले कर्मचारी घंटाघर से राहुल गांधी के पुतले की अर्थी लेकर कांग्रेस भवन घेरने निकले, लेकिन पुलिस ने एस्लेहॉल चौक पर उन्हें रोक लिया। इससे भड़के कर्मचारी सड़क पर ही धरने पर बैठकर सभा करने लगे। कर्मचारी नेताओं ने चेतावनी दी कि कर्मचारियों के व्यापक हित से जुड़े मुद्दे पर राजनीति बर्दाश्त नहीं होगी। सरकार को भी चेताया कि बीस फरवरी तक बिना आरक्षण पदोन्नति प्रक्रिया बहाल नहीं की गई तो हड़ताल पर जाना तय है।

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बता दें, कर्मचारी संगठनों की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सात फरवरी को फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया कि पदोन्नति में आरक्षण का लाभ लेना मौलिक अधिकार नहीं है। वहीं, इसे राज्य सरकार का विषय बताते हुए कहा कि सरकार को फैसला लेना है कि वह पदोन्नति में आरक्षण देना चाहती है, या नहीं। ऐसे में कर्मचारी संगठनों की निगाह अब सरकार की ओर टिकी हुईं थीं। इस बीच संसद में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बयान देते हुए एससी-एसटी कर्मचारियों का पक्ष लिया। इस पर बिना आरक्षण पदोन्नति प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार कर रहे जनरल-ओबीसी वर्ग के कर्मचारियों में उबाल आ गया और उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 

उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इम्पलॉइज एसोसिएशन के आह्वान पर बुधवार को बड़ी संख्या में कर्मचारी घंटाघर पर एकत्र हुए। यहां से राहुल गांधी के पुतले की अर्थी लेकर कर्मचारी नारेबाजी करते हुए कांग्रेस भवन का घेराव करने निकले, लेकिन पुलिस ने उन्हें एस्लेहॉल चौक पर बेरिकेडिंग कर रोक लिया। इस पर कर्मचारी वहीं धरने पर बैठ गए। एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वोपरि है और वह सभी के हितों को ध्यान में रखकर दिया गया है। कांग्रेस की ओछी राजनीति से उसका चेहरा बेनकाब हो गया है। 

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सभा को फेडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रीयल सर्विस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील कोठारी, महामंत्री पूर्णानंद नौटियाल, पर्वतीय शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार, महामंत्री पंचम सिंह बिष्ट, अखिल भारतीय समानता मंच के वीपी नौटियाल, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रहलाद सिंह, राजकीय वाहन चालक संघ के प्रदेश महामंत्री संदीप मौर्य आदि ने संबोधित किया। उन्होंने कांग्रेस को चेताया कि बिना आरक्षण योग्यता के आधार पर पदोन्नति पाना हमारा हक है। इसमें राजनीति बर्दाश्त नहीं होगी। सभा का संचालन जनरल-ओबीसी इम्पलाइज एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने किया। 

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सरकार को 20 तक का अल्टीमेटम

कर्मचारी संगठनों ने राज्य सरकार को भी बिना आरक्षण पदोन्नति प्रक्रिया बहाल करने का शासनादेश जारी करने में की जा रही टालमटोल पर घेरा। कहा कि पहले सरकार कह रही थी कि जैसे ही कोर्ट का फैसला आएगा, डीपीसी खोल दी जाएगी, लेकिन अब सरकार के सुर बदल गए हैं। उसे वोट बैंक दिखने लगा है। सरकार के पास बीस फरवरी तक का वक्त है। अगर तब तक पदोन्नति बहाल नहीं की जाती है और सीधी भर्ती के रोस्टर में पहला पद अनारक्षित नहीं रखा जाता है तो बेमियादी हड़ताल सुनिश्चित है। 

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