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    केंद्र ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने का लिया निर्णय

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 08 Oct 2018 09:19 PM (IST)

    प्रदूषण नियंत्रण व पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत केंद्र ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच इलेक्ट्रिक रेल लाइन बनाने का निर्णय लिया है।

    केंद्र ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने का लिया निर्णय

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच साधारण नहीं, बल्कि पूर्ण रूप से धुआं रहित इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई जाएगी। प्रदूषण नियंत्रण व पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत केंद्र ने इस इलेक्ट्रिक रेल लाइन बनाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा सरकार चारधाम रेल योजना में थोड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत गंगोत्री व यमुनोत्री को मोनोरेल, फ्यूनीकुलर व रोपवे से जोड़ने की तैयारी है। मकसद यह कि अधिक से अधिक पर्यटक इस ओर आकर्षित हो सकें।

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    प्रदेश में 16000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाली ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन बनने का कार्य तेजी से चल रही है। रेल मंत्रालय ने वर्ष 2020 तक इसका पहला स्टेशन तैयार करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना के तहत रेलवे लाइन को 18 सुरंग व 18 पुलों से होकर गुजरना है। यह कई जगह नदी के साथ-साथ व जंगलों के बीच से होकर चलेगी। इसे देखते हुए रेलवे ने इस मार्ग पर शत-प्रतिशत इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रदेश में सतत विकास के क्रम में पर्यावरण का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा।

    चार धाम रेल परियोजना के बारे में उन्होंने कहा कि दो धाम तो ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन से जुड़ जाएंगे। शेष दो धामों को जोड़ने के लिए चार धाम रेल परियोजना बनाई गई थी। 325 किमी लंबी इस पूरी परियोजना की लागत तकरीबन 44000 करोड़ रुपये आंकी गई है। अगर इसे एक सामान्य रेल यात्रा के रूप में देखें तो इसमें कुछ नयापन नहीं है। ऐसे में विदेशों की तर्ज पर इसे एक आकर्षक योजना बनाने की तैयारी है। 

    इसके तहत इनके लिए यातायात के अलग-अलग साधनों का उपयोग किया जाएगा। इनमें मोनोरेल, फ्यूनीकुलर, रोप-वे आदि शामिल हैं। नई योजना बनाने के लिए प्रदेश सरकार व रेलवे को सर्वे करने को कहा गया है। जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। इससे यात्रा में रोमांच होगा और अधिक से अधिक पर्यटक इस ओर आकर्षित होंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के दृष्टिगत ही हेलीपैड और हेलीपोड बनाए जा रहे हैं ताकि विकास व प्रगति बराबर हो। 

    दून मेट्रो परियोजना के लिए पीपीपी मोड

    दून मेट्रो रेल परियोजना (लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम) का संचालन पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर अडानी ग्रुप के साथ संभव हो सकता है। उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट में उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन और अडानी समूह के बीच इस बात की सहमति बनी है। अब कॉर्पोरेशन निवेशक कंपनी के साथ आगे की बातचीत शुरू कर देगी।

    उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी के मुताबिक वैसे तो एलआरटीएस का संचालन दून से हरिद्वार और ऋषिकेश तक संचालित की जानी है। लेकिन, पहले चरण में दून के दो कॉरीडोर का निर्माण प्रस्तावित है। इसकी लागत करीब चार हजार करोड़ रुपये आ रही है। कुछ दिन पहले अडानी समूह के साथ 4650 करोड़ रुपये का एमओयू हस्ताक्षरित किए जाने के बाद इन्वेस्टर्स समिट में ही इसकी कुछ औपचारिकताओं को आगे बढ़ाया गया। साथ ही इस बात की भी उम्मीद बढ़ी है कि अडानी ग्रुप के साथ पीपीपी मोड पर एलआरटीएस का संचालन किया जा सकता है। समिट में समूह का प्रतिनिधित्व कर रहे कंपनी के वाइस प्रेजीडेंट आनंद सिंह बिसेन ने इस पर हामी भी भरी है। अब कंपनी से कुछ दस्तावेज मंगाकर आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

    दून में ये होंगे मेट्रो कॉरीडोर

    • आइएसबीटी-कंडोली या आइएसबीटी-कैनाल रोड (राजपुर से सटा क्षेत्र)
    • एफआरआइ-रायपुर या एफआरआइ-रिस्पना पुल

    मसूरी-देहरादून रोपवे भी पीपीपी मोड पर

    प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी ने बताया कि अडानी समूह के निवेश के प्रस्ताव में से 400 करोड़ रुपये देहरादून-मसूरी रोपवे के निर्माण पर लगाए जा सकते हैं। जबकि, 250 करोड़ रुपये हरिद्वार स्थित हरकी पैड़ी रोपवे पर खर्च करने की योजना है।

    पॉड टैक्सी में भी की जाएगी पार्टनरशिप

    इन्वेस्टर्स समिट में एफडब्ल्यू पावर कंपनी के निदेशक संजय सिंघवी के साथ पॉड टैक्सी का संचालन पीपीपी मोड पर किए जाने की सहमति बनी है। कंपनी ने इस काम के लिए 4000 करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इस राशि को देहरादून समेत हरिद्वार और राज्य के अन्य शहरों में पॉड टैक्सी के संचालन के लिए खर्च किया जा सकता है।

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