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12 जिलों में इसी माह हो सकते हैं उपप्रधानों के चुनाव

हरिद्वार को छोड़ अन्य जिलों में ग्राम पंचायतों में उपप्रधानों के चुनाव इस माह के आखिर में हो सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में प्रस्तावित कार्यक्रम शासन को भेजा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 07:51 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 07:51 AM (IST)
12 जिलों में इसी माह हो सकते हैं उपप्रधानों के चुनाव
12 जिलों में इसी माह हो सकते हैं उपप्रधानों के चुनाव

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में हरिद्वार को छोड़ अन्य जिलों में ग्राम पंचायतों में उपप्रधानों के चुनाव इस माह के आखिर में हो सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में चुनाव का प्रस्तावित कार्यक्रम शासन को भेज दिया है, जिस पर मंथन चल रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि एक-दो दिन के भीतर सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद शासन इसकी अधिसूचना जारी कर देगा।

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त्रिस्तरीय पंचायतों में सामान्य निर्वाचन और उपनिर्वाचन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब ग्राम पंचायतों में उपप्रधानों का चुनाव किया जाना है। सामान्य निर्वाचन व उपनिर्वाचन के बाद 7485 ग्राम पंचायतों में से 7283 में पंचायतों का गठन हो चुका है। इनमें उपप्रधानों का चुनाव किया जाना है। इसके दृष्टिगत राज्य निर्वाचन आयोग से मिले चुनाव के प्रस्तावित कार्यक्रम पर शासन स्तर पर मंथन चल रहा है।

सूत्रों के मुताबिक सोमवार को उपप्रधानों के निर्वाचन के संबंध में फाइल तैयार कर मुख्यमंत्री और पंचायतीराज मंत्री को भेजी जाएगी। सरकार से अनुमोदन मिलने के बाद शासन इसकी अधिसूचना जारी करने के साथ ही आयोग को भी अवगत कराया जाएगा। फिर आयोग चुनाव की विधिवत अधिसूचना जारी करेगा। चुनाव इस माह के आखिरी हफ्ते में संभावित हैं।

मौसम के रुख पर नजर

सूत्रों ने बताया कि उपप्रधानों के उपचुनाव के मद्देनजर मौसम के रुख पर भी नजर रखी जा रही है। वर्तमान में राज्य के तमाम इलाकों में बर्फबारी हो रही है। ऐसे में पर्वतीय क्षेत्रों में इस चुनाव में दिक्कत आ सकती है। सूत्रों ने बताया कि यदि मौसम ने साथ नहीं दिया तो चुनाव फरवरी तक भी जा सकते हैं।

200 पंचायतों में प्रधान की कुर्सी अभी भी खाली

हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों में 202 ग्राम पंचायतों में अभी भी पंचायतों का गठन नहीं हो पाया है। सामान्य निर्वाचन और फिर उपनिर्वाचन में भी इनमें दो दर्जन से ज्यादा ग्राम प्रधान और शेष ग्राम पंचायत सदस्यों के पद रिक्त रह गए हैं। ऐसे में इन पंचायतों में प्रधानों की कुर्सी अभी भी खाली है। हालांकि, अब इन पदों के उपनिर्वाचन के लिए शासन स्तर पर कवायद शुरू कर दी गई है।

पिछले साल जुलाई व अगस्त में 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद शासन ने इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया था। इसके बाद अक्टूबर में इन जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुए, लेकिन इसमें ग्राम पंचायत सदस्यों के 30636 पद रिक्त रह गए थे। इसके चलते कोरम पूरा न होने के कारण 4600 से ज्यादा ग्राम पंचायतों में पंचायतों का गठन नहीं हो पाया।

इसके बाद रिक्त पदों के लिए उपनिर्वाचन के बावजूद 202 ग्राम पंचायतें ऐसी रह गई हैं, जहां गठन नहीं हो पा रहा है। अपर सचिव पंचायतीराज एचसी सेमवाल के अनुसार जिन ग्राम पंचायतों में गठन नहीं हो पाया है, उनके बारे में संबंधित जिलों से रिक्त पदों के ब्योरे सहित प्रस्ताव मांगा गया है। फिर इस पर मंथन के बाद उपचुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि उपचुनाव से संबंधित जरूरी औपचारिकताएं इसी माह पूरी कर ली जाएंगी और संभव है कि फरवरी में रिक्त पदों पर उपनिर्वाचन हो जाए।

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यहां नहीं पंचायतों का गठन

  • जिला---------------संख्या
  • अल्मोड़ा-------------61
  • पौड़ी-----------------35
  • चमोली--------------18
  • बागेश्वर-------------17
  • टिहरी----------------16
  • रुदप्रयाग-------------12
  • पिथौरागढ़------------11
  • ऊधमसिंहनगर------10
  • नैनीताल-------------08
  • चंपावत---------------07
  • उत्तरकाशी----------05
  • देहरादून-------------02

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