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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच चलेगी इलेक्ट्रिक ट्रेन

ऋषिकेश-कर्णप्रयागके बीच साधारण नहीं, बल्कि पूर्ण रूप से धुआं रहित इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई जाएगी। प्रदूषण नियंत्रण व पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत केंद्र ने इस इलेक्ट्रिक रेल लाइन बनाने का निर्णय लिया है।

By Edited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2018 08:37 AM (IST)
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच चलेगी इलेक्ट्रिक ट्रेन
राज्य ब्यूरो, देहरादून: ऋषिकेश-कर्णप्रयागके बीच साधारण नहीं, बल्कि पूर्ण रूप से धुआं रहित इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई जाएगी। प्रदूषण नियंत्रण व पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत केंद्र ने इस इलेक्ट्रिक रेल लाइन बनाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा सरकार चारधाम रेल योजना में थोड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत गंगोत्री व यमुनोत्री को मोनोरेल, फ्यूनीकुलर व रोपवे से जोड़ने की तैयारी है। मकसद यह कि अधिक से अधिक पर्यटक इस ओर आकर्षित हो सकें। प्रदेश में 16000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाली ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन बनने का कार्य तेजी से चल रही है। रेल मंत्रालय ने वर्ष 2020 तक इसका पहला स्टेशन तैयार करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना के तहत रेलवे लाइन को 18 सुरंग व 18 पुलों से होकर गुजरना है। यह कई जगह नदी के साथ-साथ व जंगलों के बीच से होकर चलेगी। इसे देखते हुए रेलवे ने इस मार्ग पर शत-प्रतिशत इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रदेश में सतत विकास के क्रम में पर्यावरण का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। चार धाम रेल परियोजना के बारे में उन्होंने कहा कि दो धाम तो ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन से जुड़ जाएंगे। शेष दो धामों को जोड़ने के लिए चार धाम रेल परियोजना बनाई गई थी। 325 किमी लंबी इस पूरी परियोजना की लागत तकरीबन 44000 करोड़ रुपये आंकी गई है। अगर इसे एक सामान्य रेल यात्रा के रूप में देखें तो इसमें कुछ नयापन नहीं है। ऐसे में विदेशों की तर्ज पर इसे एक आकर्षक योजना बनाने की तैयारी है। इसके तहत इनके लिए यातायात के अलग-अलग साधनों का उपयोग किया जाएगा। इनमें मोनोरेल, फ्यूनीकुलर, रोप-वे आदि शामिल हैं। नई योजना बनाने के लिए प्रदेश सरकार व रेलवे को सर्वे करने को कहा गया है। जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। इससे यात्रा में रोमांच होगा और अधिक से अधिक पर्यटक इस ओर आकर्षित होंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के दृष्टिगत ही हेलीपैड और हेलीपोड बनाए जा रहे हैं ताकि विकास व प्रगति बराबर हो।

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