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    National Education Policy 2020: नई शिक्षा नीति से जमींदोज होंगे लॉर्ड मैकाले के ख्वाब, जानिए किसने कहा

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Fri, 07 Aug 2020 07:26 PM (IST)

    लॉर्ड मैकाले के जमाने की शिक्षा व्यवस्था से निजात मिली है। यह संभव हुआ है भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बदौलत। ये कहना है कमल घनशाला का।

    National Education Policy 2020: नई शिक्षा नीति से जमींदोज होंगे लॉर्ड मैकाले के ख्वाब, जानिए किसने कहा

    देहरादून, जेएनएन। नई पीढ़ी को लॉर्ड मैकाले के जमाने की शिक्षा व्यवस्था से निजात मिली है। यह संभव हुआ है भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बदौलत। करीब डेढ़ शताब्दी बाद देश उस लबादे को उतार फेंकने वाला है, जिसे लॉर्ड बैबिंगटन मैकाले की शिक्षा प्रणाली कहते हैं। 19वीं सदी के मध्य में लॉर्ड मैकाले ने भारत की समृद्ध संस्कृति और शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर देश में गुलाम मानसिकता वाली शिक्षा प्रणाली की बुनियाद डाली थी। अब देश ने उसका कारगर तोड़ ढूंढ निकाला है। ये कहना है ग्राफिक एरा के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. कमल घनशाला ने कहा।  

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    घनसाला ने कहा कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा प्रणाली हमेशा से सवालों और शंकाओं के घेरे में रही है, लेकिन यह पहला अवसर है कि नई शिक्षा नीति के जरिये उससे छुटकारा पाने की ईमानदार कोशिश की गई है। मैंने जब इसका अध्ययन किया तो पाया कि नई शिक्षा नीति में बहुत कुछ नया है। इसकी एक बड़ी विशेषता इसे तैयार करने के तरीके और नीयत से भी जुड़ी हुई है। देश का भविष्य तय करने वाली इस अति महत्वपूर्ण नीति का मसौदा बंद कमरों में तय नहीं किया गया।

    इसे बनाने के लिए उन लाखों लोगों से सुझाव लिए गए हैं, जो नई पीढ़ी की बुनियाद को मजबूत बनाने के हिमायती हैं और इस कार्य में जमीनी स्तर पर भूमिका निभाते हैं। इनमें देश के शिक्षाविद्, विशेषज्ञ अधिकारी, अभिभावक, छात्र और निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं। इन सबके सुझाव एकत्र करके गहन मंथन के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया गया है। एक साथ दो लाख से ज्यादा लोगों की भागीदारी ने इसे विश्व की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा नीति बना दिया है। 

    मेरा मानना है कि इस शिक्षा नीति से परंपरा बन चुकी रटने की प्रवृत्ति से देश की नई पीढ़ी मुक्त होगी। इसके लिए ईमानदार कोशिश हुई है। पहली बार देश की शिक्षा नीति में बच्चों को कक्षा छह से ही प्रोफेशनल स्किल से जोड़ने का प्रविधान किया गया है। यह राह देश को प्रधानमंत्री के पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के सपने को सच करने की दिशा में आगे बढ़ाने वाली है।

    नई शिक्षा नीति उन बुनियादी सवालों का जवाब देने की भी कोशिश करती है, जो देश को पिछड़ेपन की ओर धकेलने से जुड़े हैं। बीच में पढ़ाई छोड़ने की युवाओं की मजबूरी को इस नीति ने मिटा दिया है। नई शिक्षा नीति युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का मौका देगी। शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में ही वह इतनी स्किल सीख जाएंगे कि उसके आधार पर कोई काम करके गुजर-बसर कर सकें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह प्रविधान किया गया है कि बारहवीं करने के एक साल बाद पढ़ाई छोड़ने वालों को सर्टिफिकेट और दो साल बाद शिक्षा छोड़ने पर डिप्लोमा दिया जाएगा। तीन से चार साल की शिक्षा के बाद डिग्री दी जाएगी।

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    केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने इस नीति में छात्र-छात्राओं के प्रदर्शन के आकलन की नई व्यवस्था के जरिये 21वीं सदी की सोच का अहसास कराया है। डॉ. निशंक ने नई शिक्षा नीति के रूप में जहां देश को नासूर बनती बेरोजगारी की समस्या से छुटकारा दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। वहीं, देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, आत्मनिर्भरता के जरिए खुशहाली लाने और हर हाथ को काम देने की रणनीति अपनाई है। डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने देश के विकास, समृद्धि और विश्वपटल पर देश का सम्मान बढ़ाने की ऐसी कारगर योजना प्रस्तुत की है, जो दुनिया के लिए एक बेहतरीन मॉडल साबित होगी।

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