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    ई-रिक्शा चालकों ने दी आंदोलन तेज करने की चेतावनी Dehradun News

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 07 Feb 2020 09:48 PM (IST)

    ई-रिक्शा चालकों ने सरकार पर हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मनमाने तरीके से रूट निर्धारित किए जाने से कइयों की रोजीरोटी प्रभावित हो जाएगी।

    ई-रिक्शा चालकों ने दी आंदोलन तेज करने की चेतावनी Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। आमरण अनशन के पांचवें दिन ई-रिक्शा चालकों ने सरकार पर हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मनमाने तरीके से रूट निर्धारित किए जाने से कइयों की रोजीरोटी प्रभावित हो जाएगी। पर्यावरण के लिए सुरक्षित ई-रिक्शा को सड़क से हटाने के बजाए उन्हें प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है।

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    ई-रिक्शा चालक यूनियन बीती 27 जनवरी से आंदोलन की राह पर हैं। 27 को सचिवालय कूच करने के बाद पुलिस और परिवहन विभाग की ओर से रूट निर्धारित किए जाने के बाद मंगलवार से यूनियन ने आमरण अनशन शुरू कर दिया। यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि धरने को 17 दिन हो गए हैं, लेकिन शासन-प्रशासन का कोई भी सक्षम अधिकारी ई रिक्शा चालकों की सुध लेने नहीं आया। 

    क्योंकि यह गरीब लोग हैं। इसलिए इनकी खबर लेने वाला कोई नहीं है इस समय काफी ई रिक्शा चालक आर्थिक एवं मानसिक रूप से परेशान हैं। यदि शासन प्रशासन के द्वारा शीघ्र इनकी परेशानियों का समाधान नहीं किया जाता है, तो कोई भी ई-रिक्शा चालक गलत कदम उठा सकता है। यदि मांगें जल्द नहीं मानी गईं तो वह सड़क पर उतर कर आंदोलन करने को विवश होंगे।

    शुक्रवार को क्रमिक अनशन पर रोहित कुमार, दीपक कुमार, विजय कुमार धर्मेंद्र के अलावा यूनियन के अध्यक्ष रविंद्र त्यागी, भुवनेश चंद्रा, सत्यवीर, संतोष कुमार, विशाल अहमद, भूपेंद्र बंगाली, पीयूष तिवारी व अन्य मौजूद रहे। 

    यह है पूरा मामला

    विगत दो-तीन वर्षों के दौरान शहर में ई-रिक्शा की बाढ़ सी आ गई। शहर के मुख्य मार्गों से लेकर गली-कूचों तक में इनकी पहुंच हो जाने से धीरे-धीरे यह शहर की यातायात व्यवस्था के लिए नासूर बनने लगे। लिहाजा सरकार को इन्हें सुनियोजित करने के बारे में सोचना पड़ा। 

    साल 2019 के शुरुआत में शासन ने देहरादून पुलिस से ई-रिक्शा को लेकर रिपोर्ट मांगी। इस रिपोर्ट के मिलने के बाद सरकार ने शहर के प्रमुख मार्गों से लेकर घंटाघर क्षेत्र में ई-रिक्शा को प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद भी ई-रिक्शा पहले की ही तरह फर्राटा भरते रहे। 

    पुलिस ने सख्ती बरतने की कोशिश की तो आंदोलन करने लगे। हाल ही में ई-रिक्शा चालकों ने सचिवालय कूच कर प्रमुख मार्गों पर चलने की अनुमति मांगी, जिस पर शासन ने यातायात निदेशालय और परिवहन विभाग को ई-रिक्शा का रूट निर्धारित करने का निर्देश दिया।

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    इस पर बीती एक फरवरी को ई-रिक्शा यूनियन के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर 31 रूट निर्धारित कर दिए गए। कहा गया कि इन रूटों पर एक सप्ताह के ट्रायल के बाद उन्हें एक-दो प्रमुख मार्गों पर लोगों की सुविधा का ख्याल रखते हुए अनुमति दी जा सकती है। मगर ई-रिक्शा यूनियन के पदाधिकारियों ने रूटों की इस व्यवस्था को मानने से इन्कार कर दिया और आंदोलन जारी रखा। 

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