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एआरटीओ लॉगइन से जुड़ेंगे ड्राइविंग कालेज, पढ़िए पूरी खबर

फर्जीवाड़ा रोकने के लिए परिवहन विभाग नया सॉफ्टवेयर तैयार करा रहा है। प्रदेश के सभी मोटर ड्राइविंग कालेज का डाटा सीधे उसी क्षेत्र के आरटीओ-एआरटीओ के लॉग-इन से जुड़ जाएगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 12:58 PM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 12:58 PM (IST)
एआरटीओ लॉगइन से जुड़ेंगे ड्राइविंग कालेज, पढ़िए पूरी खबर
एआरटीओ लॉगइन से जुड़ेंगे ड्राइविंग कालेज, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। कामर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस के लिए रिफ्रेशर कोर्स में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए परिवहन विभाग नया सॉफ्टवेयर तैयार करा रहा है। इसमें मान्यता प्राप्त प्रदेश के सभी मोटर ड्राइविंग कालेज का डाटा सीधे उसी क्षेत्र के आरटीओ-एआरटीओ के लॉग-इन से जुड़ जाएगा। यानी, जब आवेदक किसी कालेज में कोर्स के लिए जाएगा तो कालेज में पंजीकरण होते ही उसका ब्योरा परिवहन विभाग के पास आ जाएगा। जिस आवेदक का ब्योरा विभाग तक नहीं पहुंचेगा, उसका कामर्शियल डीएल जारी नहीं होगा। 

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देहरादून में अक्टूबर-2014 में ड्राइविंग लाइसेंस घोटाला सामने के बाद से विभाग ऐसी घटनाओं को रोकने पर काम कर रहा था। इसी क्रम में पहले चरण में कार्यालयों को आनलाइन सेवा से जोड़ा गया। जिसमें पहले वाहन पंजीकरण ऑनलाइन किया व उसके बाद ड्राइविंग लाइसेंस आवेदन की प्रक्रिया। इसके बाद दूसरे चरण में लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र को डाक से घर भेजने का काम शुरू किया गया। तीसरे एवं अंतिम चरण में मोटर ड्राइविंग कालेजों को सीधे आरटीओ व एआरटीओ कार्यालय के सर्वर से जोड़ा जा रहा। इसमें पीपीपी मोड पर चल रहा परिवहन विभाग का इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च झाझरा से शुरूआत गत फरवरी से हो गई है।

असल में अक्टूबर-14 में हुआ कामर्शियल डीएल फर्जीवाड़ा इसी इंस्टीट्यूट के नाम से जारी प्रमाण-पत्रों पर अंजाम दिया गया था। इस घटना में 625 कामर्शियल डीएल रिफ्रेशर कोर्स के दौरान मिलने वाले प्रमाण-पत्रों की जांच के बगैर ही जारी कर दिए गए थे। बाद में मामले ने तूल पकड़ा और जांच हुई तो मालूम चला कि सभी प्रमाण-पत्र फर्जी हैं। जिसके बाद विभागीय जांच बैठी और डालनवाला थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया। मामला जिला अदालत में विचाराधीन है। 

इसके बाद कामर्शियल डीएल को लेकर विभाग खास चौकसी बरत रहा है। असल में नया कामर्शियल डीएल बनाने के लिए मान्यता प्राप्त ड्राइविंग कालेज में 21 दिन का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। इसके बाद जब डीएल का नवीनीकरण कराना हो तब भी दो दिन का रिफ्रेशर कोर्स करना जरूरी है। कोर्स के दौरान ड्राइविंग की बारीकियां बताई जाती हैं। रिफ्रेशर-कोर्स के दो दिन बचाने के लिए चालक दलालों से जुगाड़ भिड़ाकर फर्जी प्रमाण-पत्र हासिल कर लेते हैं। इसे रोकने के लिए विभाग एनआइसी के जरिए नया सॉफ्टवेयर तैयार करा रहा है जो ड्राइविंग स्कूलों को सीधे एआरटीओ के लॉग-इन से जोड़ देगा। 

सुनीता सिंह (अपर आयुक्त परिवहन) का कहना है कि रिफ्रेशर कोर्स के फर्जी प्रमाण-पत्रों को रोकने के लिए प्रदेश में परिवहन विभाग से मान्यता-प्राप्त सभी ड्राइविंग ट्रेनिंग कालेज को संबंधित आरटीओ व एआरटीओ सर्वर से जोड़ा जा रहा है। आवेदक जब अपना पंजीकरण कालेज में कराएगा तो परिवहन विभाग को उसका डाटा मिल जाएगा। फिर रिफ्रेशर कोर्स प्रमाण-पत्र को क्रॉस-चेक करने में कोई अड़चन नहीं आएगी।

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