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    मुख्‍यमंत्री तीरथ के फटी जींस वाले विवादित बयान के बाद सामने आई पत्‍नी रश्मि रावत, यह बात कहकर किया बचाव

    By Sumit KumarEdited By:
    Updated: Thu, 18 Mar 2021 11:30 PM (IST)

    मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की पत्नी डॉ. रश्मि त्यागी रावत ने मुख्यमंत्री के विवादित बयान पर उनका बचाव किया। कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति संस्कार व नैतिक मूल्यों को बच्चों के सम्मुख रखते हुए कुछ उदाहरण देकर मुख्यमंत्री अपने विचार व्यक्त किए इसमें विरोधाभास कहां है।

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    मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की पत्नी डॉ. रश्मि त्यागी रावत ने मुख्यमंत्री के विवादित बयान पर उनका बचाव किया।

    जागरण संवाददाता, देहरादून : मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की पत्नी डॉ. रश्मि त्यागी रावत ने मुख्यमंत्री के विवादित बयान पर उनका बचाव किया। कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति, संस्कार व नैतिक मूल्यों को बच्चों के सम्मुख रखते हुए कुछ उदाहरण देकर मुख्यमंत्री अपने विचार व्यक्त किए इसमें विरोधाभास कहां है। परिवार के मुखिया यदि अपने बच्चों को देश व राज्य की संस्कृति व भारतीयता होने के बारे में प्रेरित करते हैं तो इसमें बुराई क्या है।

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    मुख्यमंत्री की पत्नी व डीएवी कॉलेज की शिक्षक डॉ. रश्मि त्यागी रावत ने बुधवार को दैनिक जागरण के साथ अपने विचार साझा किए। कहा कि मीडिया में उनके विचारों को नकारात्मक रूप में लिया गया।जबकि उन्होंने युवाओं के आधुनिक फैशन की जी व्याख्या की वह सकारात्मक प्रभाव में थी। मुख्यमंत्री खुद साधारण परिवार से रहे हैं। वह आज भी जमीनी हकीकत से वास्ता रखते हैं लेकिन संस्कृति व संस्कारों के मामले में उच्च सोच रखते हैं।डॉ. रश्मि ने कहा की मुख्यमंत्री बनने के कुछ घण्टों बाद सीएम ने जनभावनाओं को ध्यान में रखकर ऐतिहासिक फैसले लिए।उत्तराखंड में अभी भी कई समस्याओं को मिटाना चाहते हैं।

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    इस प्रकार की छोटी बातों पर यदि उलझे रहंगे तो विकास प्रभावित हो सकता है। मुख्यमंत्री मातृशक्ति का शुरू से ही बेहद सम्मान करते हैं। उनके विचार आधुनिक फैशन ले प्रचलन पर थे इसे उनके सीएम विरोधी विचार कैसे मान लिया गया है। संघ में लंबे समय से रहकर देश व प्रदेश की संस्कृति, सभ्यता व सुसंस्कार की बात करना गलत कैसे हो सकता है।

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    डॉ. रश्मि रावत ने कहा कि युवाओं को नैतिक मूल्यों, अपनी भेषभूषा के बारे में बताना अभिभावकों का कर्तव्य बनता है मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में इसी नाते अपने विचार रखे। उनके विचारों की आलोचना के बजाय समालोचना होती तो बेहतर होता। 

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