हैदराबाद पुलिस के इंसाफ से खुश देहरादून की बेटियां, पढ़िए पूरी खबर
हैदराबाद की बेटी के आरोपितों के एनकाउंटर से दून की बेटियां भी खुश हैं। उन्होंने इसे इंसाफ बताते हुए हैदराबाद पुलिस की प्रशंसा की।
देहरादून, जेएनएन। हैदराबाद की बेटी के आरोपितों के एनकाउंटर से दून की बेटियां भी खुश हैं। 10 दिन पहले हुए हैदराबाद दुष्कर्म प्रकरण से आक्रोशित दून की आधी आबादी के चेहरे पर शुक्रवार को तब सुकून नजर आया, जब उन्हें सूचना मिली कि आरोपितों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया है। उन्होंने इसे इंसाफ बताते हुए हैदराबाद पुलिस की प्रशंसा की। कॉलेजों से लेकर शहर के हर गली-मोहल्ले में दिनभर इस एनकाउंटर को लेकर चर्चा होती रही।
जीजीआइसी राजपुर की छात्राओं ने बांटे समोसे
हैदराबाद एनकाउंटर से खुश जीजीआइसी राजपुर की छात्राओं ने शुक्रवार को समोसा पार्टी की। कॉलेज में छात्रा स्नेहा ने अपनी सभी दोस्तों को समोसे बांटे। स्नेहा का कहना है कि मृतका हैदराबाद की ही नहीं पूरे देश की बेटी थी। उनके माता-पिता के साथ आज पूरा देश चैन की नींद सो पाएगा।
- अंकिता (महासचिव एमकेपी कॉलेज) का कहना है कि यह एक ऐतिहासिक पल है। दुष्कर्म जैसे अपराध तो सदियों से हो रहे हैं, लेकिन कभी इतनी जल्दी इंसाफ नहीं मिला। खुशी है कि सभी अपराधी पल में ढेर हो गए।
- प्रभा त्यागी (शिक्षिका) का कहना है कि सुबह उठते ही ऐसी खुशखबरी मिली कि पूरा दिन क्लास में भी उसी पर चर्चा करती रही। हैदराबाद पुलिस ने हर भारतीय महिला को इंसाफ दिलाने के साथ भरोसा दिलाया है कि अब अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।
- निधि (छात्रा जीजीआइसी, राजपुर) का कहना है कि इस एनकाउंटर के बाद हर व्यक्ति ऐसा घिनौना अपराध करने से पहले 20 बार सोचेगा। दुख इस बात का है कि अपराधियों को आम जनता के हवाले नहीं किया गया। ऐसे मामले में मॉब लिचिंग भी हो जाए तो उसे अपराध की श्रेणी में नहीं गिनना चाहिए।
- प्रिया (छात्रा जीजीआइसी, राजपुर) का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को भी ऐसा नियम बनाना चाहिए कि हर अपराधी को जल्द से जल्द सजा मिले। वर्षों तक फाइलों में मामला दबा रहने से अपराध बढ़ते जा रहे हैं।
- विशाखा (छात्रा) का कहना है कि दुष्कर्म करने वालों के साथ यही होना चाहिए। हैदराबाद पुलिस के इस साहस ने हमें विश्वास दिलाया है कि हर अपराधी को सजा मिलेगी।
- ज्योति (इन्दिरा नगर) का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभ्य समाज में एनकाउंटर स्वीकार्य नहीं है। यदि सभ्य समाज में एनकाउंटर स्वीकार्य नहीं तो दुष्कर्म जैसी घटनाएं क्यों? अगर हम पश्चिमी सभ्यता अपना सकते है तो अन्य देशों के ऐसे सही नियमों को क्यों नहीं।
- संध्या (पूर्व छात्रा, एमकेपी) का कहना है कि हर अपराधी को इससे सीख लेनी चाहिए और देश की बेटियों को सुरक्षित महसूस करवाना चाहिए। अगर ऐसी हैवानियत भरी घटनाएं होती रहीं तो लोग बेटियां पैदा करना छोड़ देंगे।
- अनीशा (छात्रा एमकेपी) का कहना है कि यह बहुत बड़ी खुशखबरी है। पुलिस को भी नियमों का पालन करना पड़ता है। हर बार एनकाउंटर नहीं किया जा सकता और न ही हर समय पुलिस बेटियों के साथ रह सकती है। इसलिए सभी पुरुषों को हर बेटी को अपनी बेटी समझना चाहिए।
- पल्लवी (निरंजनपुर) का कहना है कि भारत में भी ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कानून होने चाहिएं। उन्हें जनता के बीच सजा देनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे अपराध दोबारा न हों।
- कामिनी गुप्ता (उपाध्यक्ष, महिला आयोग) का कहना है कि महिलाओं को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी, तभी पुरुष प्रधान देश के कानून में बदलाव आएगा। महिलाओं को भी जीने का उतना ही अधिकार है, जितना कि पुरुषों को।