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डॉक्टरों ने विकृत लाल रक्त कणिकाओं को सामान्य में बदला, पढ़िए पूरी खबर Dehradun News

एम्स की ट्रांस्फ्यूजन मेडिसिन विभाग की टीम ने विकृत हो चुकी लाल रक्त कणिकाओं को सामान्य रक्त कणिकाओं में परिवर्तित करने में कामयाबी पाई है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 05:13 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 07:00 AM (IST)
डॉक्टरों ने विकृत लाल रक्त कणिकाओं को सामान्य में बदला, पढ़िए पूरी खबर Dehradun News
डॉक्टरों ने विकृत लाल रक्त कणिकाओं को सामान्य में बदला, पढ़िए पूरी खबर Dehradun News

ऋषिकेश, जेएनएन। चिकित्सा विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के नाम मंगलवार को एक और उपलब्धि जुड़ गई। यहां ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की टीम ने विकृत हो चुकी लाल रक्त कणिकाओं को सामान्य रक्त कणिकाओं में परिवर्तित करने में कामयाबी पाई है। एम्स निदेशक प्रो रविकांत ने इसके लिए पूरी टीम की पीठ थपथपाई है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में यह अपने तरीके का पहला प्रोसीजर हुआ है। देशभर के बहुत कम अस्पतालों में ही ऐसे मामले संभव हो पाते हैं। 

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एम्स ऋषिकेश में रक्ताधान चिकित्सा और रक्तकोष विभाग ने थैराप्यूटिक रेडसेल एक्सचेंज, जिसमें मरीज की विकृत लाल रक्त कणिकाओं को रक्तदान से निकाली हुई सामान्य लाल रक्त कणिकाओं से बदला जाता है, की जटिल चिकित्सकीय प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। संस्थान के निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि महाराष्ट्र निवासी एक मरीज के रिश्तेदार उत्तराखंड में रहते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र से बुलाकर ऋषिकेश एम्स में उसका उपचार करवाया। 

चिकित्सकों के अनुसार 22 वर्षीय यह युवती ऊत्तकक्षय की वजह से हड्डी घिसने वाले रोग (एवेस्कुलर नेक्रोसिस) से ग्रसित थी। उसे यह बीमारी आनुवंशिक रक्त विकार (सिकिल सेल) से हुई थी और इसकी वजह से उसकी सर्जरी नहीं हो पा रही थी। युवती के शरीर में सिकिल सेल कणिकाओं का प्रतिशत 66.5 तक बढ़ गया था, जबकि चिकित्सकों के अनुसार 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस बीमारी के उपचार के लिए युवती को ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में भर्ती किया गया। यहां उसकी विकृत लाल रक्त कणिकाओं (रेड ब्लड सेल्स) को रक्तदाताओं से निकाली गई स्वस्थ लाल रक्त कणिकाओं से बदला गया।

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इसके फलस्वरूप युवती के शरीर में सिकिल सेल कणिकाओं का प्रतिशत 17.6 रह गया। इसके बाद उसकी एवेस्कुलर नेक्रोसिस सर्जरी की गई। ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में यह प्रक्रिया विभागाध्यक्ष डॉ. गीता नेगी की देखरेख में पूरी की गई। उनकी टीम में संकाय सदस्य डॉ. दलजीत कौर, डॉ. सुशांत कुमार मीनिया और डॉ. आशीष जैन शामिल रहे। इस उपलब्धि में डिपार्टमेंट ऑफ क्रिटिकल केयर, आर्थोपेडिक विभाग, मेडिकल ओंकोलॉजी एंड हेमेटोलॉजी, पैथोलॉजी (हेमेटोलॉजी) का भी सहयोग रहा। डॉ. गीता के अनुसार एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत की अगुआई में संस्थान के चिकित्सक नियमित तौर पर नए और जटिल मामलों को सफलतापूर्वक अंजाम दे रहे हैं। 

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