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    डॉक्‍टर बोले, कफ को निगल लें; पेट का अम्ल इसे गला देगा

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 17 Apr 2020 11:24 AM (IST)

    जिससे कफ ज्यादा बनता है। पर सार्वजनिक स्थान पर ऐसी कोई स्थिति बने तो कफ को निगल लें पेट का अम्ल इसे गला देगा।

    डॉक्‍टर बोले, कफ को निगल लें; पेट का अम्ल इसे गला देगा

    देहरादून, जेएनएन। वर्तमान परिस्थिति में जहां-तहां थूकने से कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा है। जिस कारण सार्वजनिक स्थान पर थूकने पर प्रशासन भी सख्ती बरत रहा है। कोरोना ही क्यों, इस तरह थूकने से अन्य संक्रामक बीमारियां भी दूसरों को हो सकती हैं। जानकार बताते हैं कि मुंह में पाई जाने वाली ग्रंथियां कई प्रकार के एंजाइम उत्सजिर्त करती हैं। इससे भी थूक बनता है।

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    भारत में हर चौथे-पांचवें व्यक्ति में एलर्जी, साइनोसाइटिस, रायनाइटिस, अस्थमा, सांस फूलने के लक्षण मिलते हैं, जिससे कफ ज्यादा बनता है। पर सार्वजनिक स्थान पर ऐसी कोई स्थिति बने तो कफ को निगल लें, पेट का अम्ल इसे गला देगा।

    वेलमेड अस्पताल के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विवेक वर्मा के अनुसार बलगम की समस्या तीन कारण से हो सकती है। व्यक्ति को किसी तरह का संक्रमण है, एलर्जी की समस्या है या वह मुंह की सफाई नहीं रखता। म्यूकस ग्रंथि से कफ बनता है, जो फेफड़ों या श्वास नली से बाहर आता है। थूकना स्वाभाविक प्रक्रिया है, पर आबादी के बीच न थूकें। कोरोना ही नहीं बल्कि हर प्रकार के संक्रमण से बचने के लिए यह बहुत जरूरी है कि लोग सार्वजनिक जगहों पर थूकने से बचें। घर या दफ्तर में भी टॉयलेट में थूकने के बाद फ्लश चलाएं।

    उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नवीन जोशी के अनुसार चरक संहिता में सार्वजनिक स्थान पर थूकने की प्रवृत्ति को खतरनाक माना गया है। सार्वजनिक स्थान पर थूकने के बजाए निगल लेना चाहिए। थूकने से संक्रमण कई लोगों में जा सकता है। जबकि निगलने पर पेट में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल इसे जला देती है। वह कहते हैं कि खांसी केसाथ कफ आने का मतलब छाती जकड़ी हुई है। ऐसा व्यक्ति अपने साथ गर्म पानी की बोतल रखे और घूंट-घूंट पानी पिए। इससे छाती साफ रहेगी। ऐसा व्यक्ति जिसे ऐसे लक्षण हैं, तो सड़क पर न उतरे।

    लैब टेक्नीशियन बोले, ईएनटी सर्जन से करवाएं सैंपलिंग

    कोरोना जांच के लिए सैंपलिंग का कार्य ईएनटी सर्जन या रेजिडेंट डॉक्टर से करवाने के केंद्र के दिशा-निर्देश के बावजूद राज्य में इस पर अमल नहीं किया जा रहा। अभी भी लैब टेक्नीशियन ही सैंपलिंग का कार्य कर रहे हैं। उत्तराखंड मेडिकल लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन ने इस पर नाराजगी जताई है।

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    इस संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती को ज्ञापन भेजा है। एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव मनोज कुमार मिश्र ने बताया कि कोरोना की जांच के लिए सैंपल लेना बेहद संवेदनशील है। इसे विशेषज्ञ से ही कराया जाए।

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