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    उद्यान विभाग विकास शाखा में रिक्त पदों पर पदोन्नति की मांग हुई तेज, मंत्री ने दिया आश्वासन

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Wed, 24 Jun 2020 05:09 PM (IST)

    उद्यान विभाग विकास शाखा में रिक्त पदों पर पदोन्नति की मांग तेज हो गई है। इस संबंध में कर्मचारी संघ ने विभागीय मंत्री से मुलाकात की।

    उद्यान विभाग विकास शाखा में रिक्त पदों पर पदोन्नति की मांग हुई तेज, मंत्री ने दिया आश्वासन

    देहरादून, जेएनएन। उद्यान विभाग विकास शाखा में रिक्त पदों पर पदोन्नति की मांग तेज हो गई है। इस संबंध में कर्मचारी संघ ने विभागीय मंत्री से मुलाकात की। जिस पर मंत्री ने शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया। मंगलवार को उत्तराखंड तकनीकी कर्मचारी संघ उद्यान और खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने काबीना मंत्री सुबोध उनियाल के आवास पर उनसे मुलाकात की। इस दौरान संघ महामंत्री दीपक पुरोहित ने बताया कि विकास शाखा से वर्ग-2 से वर्ग-1 में रिक्त पदों को पदोन्नति से भरा जाना है, लेकिन वरिष्ठता विवाद न्यायिक प्राधिकरण में लंबित होने के कारण पदोन्नति नहीं हो पा रही है। जबकि, अन्य संवर्गों में पदोन्नति प्रक्रिया जारी है। 

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    ऐसे में संघ ने मंत्री से पदोन्नति शुरू कराने की मांग की, जिस पर मंत्री सुबोध उनियाल ने मामले में शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके अलावा अधीनस्थ कृषि सेवा संघ के प्रतिनिधि मंडल ने भी मंत्री से मुलाकात की और विभाग में 58 अधिकारियों को पदोन्नति मिलने पर आभार जताया। इस दौरान विजयपाल सिंह चौहान, पीपी शैली, वीके धस्माना आदि शामिल थे।

    स्थापना दिवस पर संविधान बचाने का संकल्प

    अनुसूचित जाति, जनजाति शिक्षक एसोसिएशन ने मंगलवार को अपने परिवार के सदस्यों को भारतीय संविधान की शपथ दिलाई और इसे बचाने का संकल्प लिया। इसके साथ ही एक लाख ज्ञापन की श्रृंखला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भेजने शुरू किए। एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री जितेंद्र सिंह बुटोइया ने बताया कि 24 सितंबर 1932 को पूना पैक्ट में जातिवाद एवं अस्पृश्यता के आधार पर इस वर्ग को आरक्षण की व्यवस्था की गई थी, लेकिन ना तो जातिवाद समाप्त हुआ और ना ही समानता आई है। फिर भी सरकार लगातार आरक्षण को समाप्त करने की ओर कदम बढ़ाए जा रही हैं, जो चिंता का विषय है। इसलिए भारत की संसद से संविधान संशोधन बिल को पास करा कर संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने की मांग की जा रही है। ताकि बार-बार न्यायालय और सरकारी व्यवस्था में इसको चुनौती ना दी जा सके। 

    मुख्य शिक्षा अधिकारी को दिए जांच के निर्देश

    फीस जमा कराने का दबाव बनाने की शिकायत पर बाल आयोग ने एक स्कूल के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। इस संबंध में मुख्य शिक्षा अधिकारी को 15 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। हर्रावाला निवासी एक महिला ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग से शिकायत की थी कि मियांवाला स्थित संत कबीर अकादमी स्कूल नर्सरी में पढ़ने वाली उनकी बालिका की फीस जमा कराने को दबाव बना रहा है। 

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    आरोप लगाया कि फीस न भरने पर बच्ची का नाम काटने की धमकी दी जा रही है। जिसका संज्ञान लेते हुए बाल आयोग ने मुख्य शिक्षा अधिकारी को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। जिसमें कहा गया है कि शासनादेश के तहत भी केवल वही स्कूल फीस वसूल सकते हैं, जो ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं। साथ ही किसी अभिभावक को फीस जमा कराने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। किंडर गार्टन कक्षाओं के बच्चों को मोबाइल या अन्य ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाया न जाए। ताकि उनकी आंखों और मस्तिष्क पर बुरा असर न पड़े। 

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