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    Delhi-Dehradun Expressway पर 12 किमी लंबी एलिवेटेड रोड बनकर तैयार, सालभर से लटके फोरलेन का अड़ंगा भी दूर

    Delhi-Dehradun Expressway दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर आशारोड़ी से झाझरा तक बनने वाली 12 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड का निर्माण शुरू हो गया है। वन भूमि हस्तांतरण में देरी के कारण रुका हुआ यह प्रोजेक्ट अब गति पकड़ रहा है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने एनएचएआई और वन विभाग के साथ समन्वय बनाकर 40 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि के हस्तांतरण की राह खोली है।

    By Suman semwal Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sun, 19 Jan 2025 12:26 PM (IST)
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    Delhi-Dehradun Expressway: आशारोड़ी से झाझरा तक फोरलेन का अड़ंगा दूर, काम शुरू. File

    जागरण संवाददाता, देहरादून। Delhi-Dehradun Expressway: दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के तहत 12 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड बनकर तैयार है। इसके दूसरे छोर पर बल्लूपुर-पांवटा राजमार्ग का चौड़ीकरण भी प्रगति पर है। लेकिन इन दोनों राजमार्ग को आपस में जोड़ने के लिए शुरू किया गया आशारोड़ी से झाझरा के बीच फोरलेन सड़क का निर्माण सालभर से आधर में लटका था।

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    बात सिर्फ इतनी थी कि वन भूमि के हस्तांतरण में विलंब हो रहा था। जिलाधिकारी सविन बंसल ने इस बात की गंभीरता को समझा। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) और वन विभाग के साथ समन्वय बनाते हुए 40 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि के हस्तांतरण की राह खोल दी।

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    जिलाधिकारी राजमार्ग निर्माण की साइट पर पहुंचे

    वन भूमि के हस्तांतरण के बाद धरातल पर काम शुरू हो पाया है या नहीं, इसकी तस्दीक भी जिलाधिकारी जल्द ही कर दी। प्रेमनगर से देहरादून आते हुए अचानक उनकी फ्लीट रुकी और जिलाधिकारी राजमार्ग निर्माण की साइट पर जा पहुंचे।

    संबंधित अधिकारियों को सूचित किए बिना ही जिलाधिकारी ने कार्य प्रगति का जायजा लिया। उन्होंने पाया कि वन भूमि हस्तांतरण का पेच दूर हो जाने के बाद अब निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया है। इसके अलावा जिलाधिकारी ने बल्लूपुर-पांवटा साहिब राजमार्ग चौड़ीकरण कार्य का भी जायजा लिया।

    अंडरपास की मांग पर कार्रवाई करें अधिकारी

    जिलाधिकारी सविन बंसल ने पाया कि स्थानीय निवासी आवागमन को बेहतर बनाने के लिए परियोजना में आबादी क्षेत्र में अंडरपास के निर्माण की मांग कर रहे हैं। उन्होंने एनएचएआइ के अधिकारियों को निर्देश दिए कि नागरिकों की मांग पर निर्धारित मानकों के अनुसार परीक्षण करें और उसके मुताबिक कार्रवाई की जाए।

    परियोजना से यह मिलेगा लाभ

    जो लोग दिल्ली की तरफ से सेलाकुई इंडस्टियल एरिया, पांवटा साहिब या दून की तरफ बल्लूपुर के पास तक आएंगे, उन्हें अनावश्यक रूप से शहर में प्रवेश नहीं करना पड़ेगा।

    पांवटा साहिब से दून होकर दिल्ली की तरफ जाने वाले वाहन भी दून में प्रवेश नहीं करेंगे। इससे शहर में अतिरिक्त वाहन दबाव नहीं पड़ेगा। भविष्य में नंदा की चौकी से मसूरी के लिए बाईपास रोड का निर्माण प्रस्तावित है। लिहाजा, यातायात के लिहाज से यह भाग बेहद कारगर साबित होगा।

    आशारोड़ी में आरटीओ चेकपोस्ट के पास से शुरू होगी सड़क

    प्रस्तावित सड़क आशारोड़ी में आरटीओ चेकपोस्ट के पास से शुरू होगी और वन समेत ग्रामीण आबादी क्षेत्र से होकर झाझरा में देहरादून-पांवटा साहिब राजमार्ग पर मिलेगी। राजमार्ग में जरूरत के मुताबिक पुल व फ्लाईओवर के निर्माण भी किए जाएंगे। ताकि जंक्शन वाले हिस्सों में दुर्घटनाओं को रोका जा सके। इस राजमार्ग का निर्माण एनएचएआइ का वसंत विहार स्थित परियोजना निदेशक कार्यालय कर रहा है।

    मसूरी बाईपास परियोजना के नक्शे का किया अवलोकन

    जिलाधिकारी ने निरीक्षण के बाद मसूरी के लिए प्रस्तावित सुद्धोवाला से मसूरी बाईपास परियोजना के नक्शे का अवलोकन किया। उन्होंने परियोजना की अहमियत को समझते हुए इस दिशा में तेजी से औपचारिकता पूरी करने के निर्देश एनएचएआइ अधिकारियों को दिए।

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    दरअसल, यातायात दबाव की गंभीर चुनौतियों से जूझ रहे दून की सड़कों पर दूसरे राज्यों से आने वाला दबाव हालात को और विकट बना देता है। सबसे अधिक चुनौती पर्यटन सीजन और लांग वीकेंड (लंबा सप्ताहांत) पर तब बढ़ जाती है, जब पर्यटक मसूरी की तरफ उमड़ पड़ते हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि मसूरी के लिए एकमात्र मुख्य मार्ग देहरादून शहर से होकर ही गुजरता है।

    दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे की 12 किमी एलिवेटेड रोड पर यातायात का संचालन शुरू कर दिए जाने के बाद वाहनों के अतिरिक्त दबाव से हालात और विकट हो सकते हैं। इन्हीं हालात से निपटने के लिए एनएचएआइ ने मसूरी के लिए वैकल्पिक मार्ग की यह परियोजना प्रस्तावित की है। आशारोड़ी से झाझरा के बीच फोरलेन राजमार्ग का निर्माण हो जाने के बाद मसूरी बाईपास की और अधिक जरूरत महसूस होगी।

    लिहाजा, इस परियोजना के लिए भी अभी से प्रयास तेज करने होंगे। क्योंकि, वर्तमान में दिल्ली राजमार्ग या पांवटा साहिब की तरफ से आने वाले वाहन देहरादून शहर की तरफ से मसूरी पहुंचते हैं। इस वैकल्पिक मार्ग के निर्माण के बाद दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे की तरफ से मसूरी जाने वाले वाहन देहरादून की तरफ न आकर एक्सप्रेसवे के अंतिम छोर आशारोड़ी से जाझरा पहुंचेंगे और फिर बाईपास रोड से मसूरी जा सकेंगे।

    सुद्धोवाला से शुरू बाईपास मार्ग, 40 किमी होगी लंबाई

    एनएचएआइ के प्रस्ताव के मुताबिक मसूरी के लिए प्रस्तावित वैकल्पिक मार्ग सुद्धोवाला क्षेत्र से शुरू होगा, जो मसूरी में लाइब्रेरी चौक से 03 किमी आगे एकांत भवन के पास समाप्त होगा। इस मार्ग में दो सुरंग निर्माण भी प्रस्तावित किए गए हैं। जिनकी कुल लंबाई करीब साढ़े चार किमी होगी।

    यहां भी जमीन अधिग्रहण की चुनौती करनी होगी दूर, 157 हेक्टेयर की जरूरत

    मसूरी के वैकल्पिक मार्ग के लिए भी सबसे बड़ी चुनौती जमीन अधिग्रहण की आ सकती है। क्योंकि, परियोजना के दायरे में वन भूमि के साथ ही निजी वन भूमि और अन्य निजी भूमि भी आ रही है। कुल मिलाकर एनएचएआइ को 157.90 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की जरूरत पड़ेगी। साथ ही परियोजना के लिए 18 हजार 493 के करीब पेड़ों के कटान की जरूरत भी पड़ेगी।

    जमीन अधिग्रहण की स्थिति

    • वन भूमि, 57.18 हेक्टेयर
    • निजी वन भूमि, 19.32 हेक्टेयर
    • निजी भूमि, 81.40 हेक्टेयर

    परियोजना पर एक नजर

    • कुल लंबाई: 40 किमी
    • बजट: अनुमानित 3700 करोड़ रुपये
    • शुरुआती स्थल: सेलाकुई जंक्शन
    • अंतिम स्थल: लाइब्रेरी चौक से तीन किमी आगे
    • पहली टनल: 1.19 किमी
    • दूसरी टनल: 2.6 किमी
    • बड़े पुल सात और 1.5 किमी लंबे अलग अलग श्रेणी के पुल/एलिवेटेड रोड
    • छोटे पुल, अलग अलग लंबाई में कुल एक किमी