ट्रैकरों के लिए उत्तराखंड में खास सौगात, केदारकांठा के बर्फ से ढके पहाड़ और बांसुरी वाले बाबा देते हैं अनूठा एहसास
Kedarkantha Trek केदारकांठा ट्रेक पर जयनोला थाच के पास विजयपाल का केदारकांठा का ढाबा ट्रैकर्स के लिए एक खास सौगात है। बांसुरी की मधुर धुनों से ट्रैकर्स की थकान छूमंतर हो जाती है। विजयपाल की सादगी और स्वादिष्ट भोजन भी ट्रैकर्स को आकर्षित करता है। केदारकांठा की ट्रैकिंग को प्रोत्साहित करने वाले भगत सिंह रावत कहते हैं कि विजयपाल की हर धुन में एक कहानी होती है।
शैलेंद्र गोदियाल, जागरण उत्तरकाशी। Kedarkantha Trek: सुपीन घाटी के केदारकांठा ट्रैक पर ऊंचे पहाड़, मखमली बर्फ से ढके ढलान के विहंगम दृश्य और घने जंगलों के बीच एक ढाबे के पास बांसुरी की मधुर धुन ट्रैकरों की थकान छूमंतर कर जाती है। यकीनन ये अनुभूति केदारकांठा ट्रैक के जयनोला थाच के पास विजयपाल (बांसुरी वाला बाबा) के ढाबे पर मिलती है।
जितनी मीठी धुन बांसुरी की है उससे कुछ खास विजयपाल का सादगी भरा व्यवहार और सोंधी महक वाली चाय के साथ खाने का लाजवाब स्वाद भी है। सुपीन घाटी में स्थित केदारकांठा जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 220 किलोमीटर दूर है। पिछले कुछ वर्षों में यह स्थल विंटर टूरिज्म का खास प्रसिद्ध हुआ है। केदारकांठा पहुंचने के लिए सांकरी से 11 किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी होती हैं। इस ट्रैक अलग-अलग पड़ाव है।
आठ हजार से अधिक पर्यटक केदारकांठा पहुंचे
क्रिसमस से लेकर नए वर्ष तक आठ हजार से अधिक पर्यटक केदारकांठा पहुंचे हैं। जो स्नो ट्रैकिंग और 12500 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारकांठा समिट से रोमांचित हुए और इस ट्रैक पर जयनोला थाच में “केदारकांठा का ढाबा” में विजयपाल की बांसुरी की धुनों से मंत्रमुग्ध भी हुए हैं।
इस ट्रैक पर यह एक छोटा सा ठिकाना ट्रैकरों के लिए खास विश्राम स्थल स्थल बन गया है। सांकरी सौड़ गांव निवासी 36 वर्षीय विजयपाल भगवान कृष्ण के भक्त हैं और बांसुरी बजाने में भी अद्भुत हैं। विजयपाल की बांसुरी की धुन सुनकर जब ट्रैकर ढाबे में पहुंचते हैं।
ट्रैकरों की मांग पर विजयपाल अपनी पत्नी के साथ नास्ता, खाना व रात्रि का खाना तैयार करते हैं। ढाबे पर ट्रैकर अपनी पसंद का चाय, मैगी, पराठा, खाना अपनी जरूरत की अनुसार खुद निकालते हैं। जबकि विजयपाल उन्हें बांसुरी की धुनों से आनंदित करता है।
विजयपाल कि हर धुन में एक कहानी
केदारकांठा की ट्रैकिंग को प्रोत्साहित करने वाले सांकरी सौड़ निवासी भगत सिंह रावत कहते हैं कि विजयपाल कि हर धुन में एक कहानी होती है, जिसमें हमारे लोक गीत की धुन, हिमालय और उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता के गीतों की धुन तो कभी भगवान कृष्ण की लीलाओं की धुन होती।
जब ट्रैकर खाने-पीने का भुगतान करते हैं, तो विजयपाल मुस्कुराकर कहते हैं, “हिसाब आप खुद जोड़ लीजिए।” विजयपाल की यह सादगी और विश्वास ट्रैकरों को मुरीद बना देता है। भगत सिंह रावत ने बताया कि केदारकांठा ट्रैक पर जयनोला थाच कैंपिंग साइड है।
2019 से विजयपाल जयनोला थाच में ढाबा चला रहा हैं और बांसुरी वाला बाबा नाम से प्रसिद्ध है। बांसुरी बजाने और अन्य संगीत वाद्य यंत्रों का अभ्यास विजयपाल ने खुद से सीखा है। सर्दियों और गर्मियों के सीजन में विजयपाल का ढाबा पर्यटकों का स्वागत करता है। विजयपाल का यह मुख्य व्यवसाय है। विजयपाल की दो बेटियां और दो बेटे हैं।
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