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उत्तराखंड में अब इस तकनीक से तैयार होगा डाटाबेस, जानिए

कामकाज में पारदर्शिता के मद्देनजर प्रदेश में अब जीआइएस (ज्योग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम) का क्रियान्वयन किया जाएगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 04:21 PM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 04:21 PM (IST)
उत्तराखंड में अब इस तकनीक से तैयार होगा डाटाबेस, जानिए
उत्तराखंड में अब इस तकनीक से तैयार होगा डाटाबेस, जानिए

देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकारी महकमों के कामकाज में पारदर्शिता के मद्देनजर प्रदेश में अब जीआइएस (ज्योग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम) का क्रियान्वयन किया जाएगा। जीआइएस का उपयोग विकास कार्यों की मॉनीटरिंग, बेहतर प्रशासन, नियोजन और मानव संसाधन जुटाने समेत अन्य कार्यों में किया जाएगा। जीआइएस आधारित नियोजन प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए राज्य के सभी जिलों में जीआइएस सेल के गठन के साथ ही वहां विशेषज्ञों और तकनीशियनों की तैनाती की जा चुकी है। साथ ही विभिन्न विभागों का केंद्रीयकृत डाटा बेस तैयार करने की दिशा में नियोजन विभाग ने कदम बढ़ा दिए हैं। 

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नियोजन विभाग की ओर से रविवार को यहां एक होटल में आयोजित कार्यशाला में सभी विभागों के विभागध्यक्षों को जीआइएस आधारित नियोजन की प्रक्रिया और इसके क्रियान्वयन से संबंधित जानकारी दी गई। नेशनल रिसोर्स डाटा मैनेजमेंट सिस्टम इन उत्तराखंड (एनआरडीएमएस) के निदेशक प्रो. जेएस रावत और उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के प्रो.एमजीएस रावत ने जीआइएस एप्लीकेशन और राज्य में विषम परिस्थितियों में इसके उपयोग पर रोशनी डाली। इस एप्लीकेशन का संचालन यूसैक करेगा। 

केंद्रीयकृत डाटा फॉर्मेट पर चर्चा के अलावा डाटा कलेक्शन की कार्ययोजना और रणनीति पर भी कार्यशाला में चर्चा की गई। बताया गया कि जीआइएस आधारित नियोजन प्रक्रिया को प्रभावी बनाने को सभी जिलों में जीआइएस सेल गठित किए जा चुके हैं। राज्य में जिला स्तर पर आंकड़ों के संग्रह और पुनरीक्षण का कार्य जिला अर्थ और संख्याधिकारियों को सौंपा गया है। बताया गया कि जिला स्तर पर जिला अर्थ और संख्याधिकारी को समन्वयक और मुख्य विकास अधिकारी नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जबकि जिलाधिकारी को अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा गया है। 

कार्यशाला में सभी विभागों से अपेक्षा की गई कि वे आधारभूत स्तर पर परीक्षण कर जरूरी संशोधनों से नियोजन विभाग को अवगत कराएं, जिससे मिशन मोड में यह कार्य अगले साल 31 मार्च तक पूरा किया जा सके। अध्यक्षता करते हुए सचिव नियोजन और वित्त अमित नेगी ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि वे डाटा फॉर्मेट को अंतिम रूप देते हुए 15 दिनों में सभी जिला स्तरीय अधिकारियों को भेजना सुनिश्चित करें।

उन्होंने इससे संबंधित प्रशिक्षण नवंबर तक सभी जिलों में पूर्ण कराने पर भी जोर दिया, ताकि विभागीय अधिकारी अगले वर्ष फरवरी तक जीआइएस आधारित आंकड़े एकत्रित कर इसे जिओ पोर्टल में अपलोड कर सकें। कार्यशाला में अपर सचिव मेजर योगेंद्र यादव, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मनोज पंत, उप निदेशक जीएस पांडेय आदि मौजूद थे। 

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प्रो. रावत को रिसोर्स पर्सन का जिम्मा

नेशनल रिसोर्स डाटा मैनेजमेंट इन उत्तराखंड (एनआरडीएमएस) अल्मोड़ा के निदेशक प्रो. जेएस रावत को इस परियोजना में रिसोर्स पर्सन का जिम्मा सौंपा गया है। उन्हें जीआइएस तकनीक को बढ़ावा देने का श्रेय भी जाता है। प्रो.रावत की पहल पर ही राज्य स्तरीय जियो पोर्टल का ढांचा तैयार किया गया है। 

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