कोरोना काल में बढ़ा साइबर ठगी का संक्रमण, बचने को रखें इन बातों का ध्यान
कोरोनाकाल में लॉकडाउन लागू होने के बाद लोग तकनीकी और डिजिटल पेमेंट पर ज्यादा निर्भर हुए तो साइबर ठगी का संक्रमण भी बढ़ गया। एक अप्रैल से अब तक आए मामले इसकी बानगी हैं।
देहरादून, सोबन सिंह गुसांई। कोरोनाकाल में लॉकडाउन लागू होने के बाद लोग तकनीकी और डिजिटल पेमेंट पर ज्यादा निर्भर हुए तो साइबर ठगी का संक्रमण भी बढ़ गया। एक अप्रैल से अब तक आए मामले इसकी बानगी हैं।
इस दरमियान दून में साइबर ठगी के 241 मामले दर्ज किए गए यानी रोजाना औसतन छह केस। जबकि इससे पहले मार्च में महज 81 मामले सामने आए थे। जनवरी से अब तक की बात करें तो साइबर सेल के पास 574 मामले आ चुके हैं। इसमें तकरीबन 50 फीसद केस लॉकडाउन लागू होने के बाद के हैं।
20 लोगों को वापस दिलाए रुपये
साइबर सेल के इंचार्ज सब इंस्पेक्टर नरेश राठौर, शिल्पा सैनी, कांस्टेबल ज्योति आर्य, प्रदीप चौहान और पंकज भट्ट 20 लोगों को पैसे दिलाने में कामयाब रहे। हालांकि, इसमें किसी को 100 प्रतिशत रकम वापस मिली तो कई लोगों को मूल रकम का 10 प्रतिशत ही वापस मिल सका।
ठगी होने पर तुरंत दें जानकारी
साइबर सेल के सीओ नरेंद्र पंत ने बताया कि झांसे में आकर लोग अपने बैंक खाते की जानकारी ठगों को दे देते हैं। अगर ठगी का शिकार होने पर तुरंत पुलिस को जानकारी दी जाए तो पैसे वापस आने की संभावना रहती है। क्योंकि साइबर ठग को पैसे ट्रांसफर करने और निकालने में समय लगता है। समय पर ठगी का पता लगने से इस रकम को होल्ड किया जा सकता है।
साइबर ठगी से ऐसे बचें
-किसी भी व्यक्ति को अपने बैंक खाते की गोपनीय जानकारी न दें।
-एटीएम कार्ड और उसका पासवर्ड किसी से साझा न करें।
-यदि कोई रिश्तेदार बताकर मदद की गुहार लगाता है तो पहले पड़ताल करें।
-पेटीएम, फोन पे, गूगल पे पर आए किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उसके बारे में अच्छी तरह जान लें।
ऐसे हो रही ठगी
नौकरी लगवाने, सस्ता बैंक लोन दिलवाने, एटीएम बंद होने का झांसा देकर, फेसबुक हैक कर दोस्तों से ठगी, फेसबुक पर दोस्ती कर या पुराना परिचित बताकर मदद के नाम पर साइबर अपराधी लोगों को ठग रहे हैं।
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